वन रक्षक ने बताई सच्चाई, तो डीएफओ ने किया निलंबित
वन रक्षक ने बताई सच्चाई, तो डीएफओ ने किया निलंबित Anil Tiwari
मध्य प्रदेश

पन्ना: वन रक्षक ने बताई सच्चाई, तो डीएफओ ने किया निलंबित

Anil Tiwari

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के वन विभाग में व्यापक भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के अधिकांश मामले जंगल में ही होते हैं और जंगल में ही दफन हो जाते हैं। लेकिन कुछ मामले जब सामने आते हैं, तो जिम्मेदार अधिकारी खुद को बचाने के चक्कर में छोटे कर्मचारियों पर ठीकरा फोड़ देते है, कुछ ऐसा ही आज हुआ। कुछ समय पूर्व सलेहा रेंजर राम सिंह पटेल द्वारा डीएफओ दक्षिण वन मंडल को एक पत्र भेजकर अवगत कराया गया कि पन्ना काष्टागार डिपो में कार्यरत 33 कर्मचारी लापता हैं। इनकी वेतन नियमित रूप से काष्टागार से निकाली जा रही है। लेकिन मौके पर कोई उपस्थित नहीं मिलता। रेंजर का यह लेटर सोशल मीडिया में आने के बाद खूब वायरल हुआ और इसे लेकर वन विभाग की कार्यप्रणाली और अधिकारियों के संरक्षण में चल रहे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

सोशल मीडिया में उजागर हुए मामले पर कार्यवाही :

मामला सामने आने के बाद कुछ मीडिया कर्मियों ने विस्तृत खबर कवर करते हुए काष्टागार डिपो में पदस्थ वन रक्षक राजेश सोनी से संपर्क कर जानकारी चाही की वर्तमान में यहां कितने लोग कार्यरत हैं। वनरक्षक द्वारा वास्तविक जानकारी मीडिया को उपलब्ध करा दी गई। इसके बाद अधिकारियों द्वारा मीडिया को जानकारी देने के आरोप में उक्त वनरक्षक को ही निलंबित कर दिया।

मीडिया को जानकारी देने पर वनरक्षक हुआ निलंबित

मीडिया को जानकारी देने पर वनरक्षक हुआ निलंबित :

डीएफओ मीना मिश्रा द्वरा वनरक्षक द्वारा अप्राधिकृत रूप से मीडिया को जानकारी देने और हाजरी रजिस्टर की छायाप्रति प्रदान करने को विभागीय गोपनीयता भंग करने का आरोपी माना और मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचारण नियम 1965 के नियम 3 एवं 12 का उल्लंघनपात हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय रैपुरा निर्धारित किया गया। वनरक्षक पर हुई यह कार्यवाही सीधे तौर पर सत्य को उजागर करने की सजा मानी जा रही है।

वन रक्षक पर क्या कार्यवाही हुई, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। मेरा पत्र सोशल मीडिया में कैसे आया पता नहीं। इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकते, क्योंकि सरकार के ऐसे नियम हैं कि रेंजर व उसके अधिनस्त कार्य करने वाले कर्मचारी मीडिया को कोई जानकारी नहीं दे सकते। इस संबंध में वरिष्ट अधिकरी ही कुछ बता सकते हैं।
राम सिंह पटेल, काष्टागार प्रभारी एवं रेंजर सलेहा
रेंजर का पत्र सामने आने के बाद मुझसे सवाल किया गया कि काष्टागार में कितने लोग काम करते हैं। मैंने सही-सही जानकारी दी। मेरे द्वारा कोई गोपनीयता भंग नहीं की गई, क्योंकि यह मामला पहले ही सामने आ चुका था। इसके बावजूद मुझे निलंबित कर दिया गया। इस कार्यवाही के खिलाफ संगठन से मदद की मांग की है।
राजेश सोनी, निलंबित वनरक्षक

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