क्षीरसागर का निरीक्षण
क्षीरसागर का निरीक्षण Shubham Tiwari
मध्य प्रदेश

शहडोल: क्षीर सागर की बदलेगी तकदीर और तस्वीर

Author : Shubham Tiwari

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के शहडोल शहर से 20 किमी दूर प्राकृतिक सौंदर्यता की चादर ओढ़े क्षीरसागर को यदि संवारा जाए तो गोवा से टक्कर ले सकता है। यदि प्रशासन इसे संवारता है तो यहाँ बड़ा पर्यटन स्थल विकसित किया जा सकता था। नया साल नजदीक है अब यहां पर पर्यटकों का पहुंचना भी शुरू हो गया है। क्षेत्र की मुड़ना और सोन दो बड़ी नदियों के इस संगम स्थल पर रेत की आकर्षक चादर बिछी रहती है।

सोमवार को शायद यह पहला मौका होगा, जब कलेक्टर ललित दाहिमा, अनुविभागीय अधिकारी सहित तहसीलदार व राजस्व अमले की टीम के साथ यहां पहुंचे। प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण क्षीरसागर के दृश्य को देखकर कलेक्टर ने प्रशासनिक अधिकारियों से इस क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य योजना बनाने के लिए कहा, राज एक्सप्रेस से की गई चर्चा के दौरान श्री दाहिमा ने बताया कि क्षीरसागर में विकास की अपार संभावनाएं हैं, सिर्फ विकास के नजरिये की जरूरत है, हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि क्षीरसागर को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए प्रशासनिक रूप से हर संभव प्रयास करें, इससे विराट धरा को अलग पहचान भी मिलेगी।

डीएम ने किया क्षीरसागर का निरीक्षण

ऐतिहासिक महत्व

शहडोल से अनूपपुर और उमरिया अलग होने के बाद अमरकंटक और बांधवगढ़ जैसे विश्व-विख्यात पर्यटन स्थल जिले के नक्शे से जुदा हो गये, हालांकि इसके बाद भी विराट मंदिर, कंकाली मंदिर व क्षीरसागर के अलावा बाणसागर ऐसे स्थान हैं, जो ऐतिहासिक रूप से महत्व रखते हैं। इनमें से क्षीरसागर मुख्यालय के समीप होने और अपने आप में अलग होने के बाद भी उपेक्षा के कारण विकसित नहीं हो सका। सोमवार की शाम कलेक्टर प्रशासनिक अमले के साथ यहां पहुंचे और इसके साथ ही क्षेत्र वासियों में क्षीरसागर के कायाकल्प की आस एक बार फिर जग उठी।

पर्यटक मस्ती को होते मजबूर

मुड़ना और सोन नदी के संगम स्थल पर करीब 50 एकड़ का मैदान रेत से सराबोर है। ठंड की गुलाबी धूप जब रेत पर पड़ती है तो ऐसा प्रतीत होता है मानों मैदान ने सोने की चादर बिछा दी हो। आकर्षक रेत बच्चों, महिलाओं और यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को मस्ती करने के लिए मजबूर कर देती है। परिवार सहित पहुंचने वाले लोग रेत में खेलते दिखाई देते हैं। इसके अलावा प्राकृतिक रूप से नदी के मुहाने पर बने पत्थर व चट्टानें, पेड़-पौधे, नदी का साफ कल-कल बहता पानी दृश्य को मनमोहक बना देते हैं।

पर्यटक मस्ती को होते मजबूर

बढ़ रही पर्यटकों संख्या

पर्याप्त संभावनाएं होने के बाद भी क्षीरसागर का विकास न होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि, यह स्थल प्रशासन की उपेक्षा का शिकार रहा है। आकर्षक मैदान तक पहुंचने के लिए लोगों को एक किलोमीटर कच्चे रास्ते से जाना पड़ता है। नदी में नीचे जाने के लिए घाट नहीं हैं। यहां सीमेंटेड सीढ़ियां बनाई जा सकती हैं। कूढ़ा दान न होने से पन्नियां और कचरा नदी के आसपास डाल दिया जाता है। करीब 10 वर्षों से यहां पर्यटकों की भीड़ प्रतिवर्ष बढ़ रही है। यहां आसपास जंगली जानवरों का मूवमेंट और बरसात में पानी के बहाव के कारण सुरक्षा की कमी भी रहती है, लेकिन अब कलेक्टर की इस पहल से यहां की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल जायेगी।

बढ़ेगी जायेगी रौनक

आश्रम से जुड़े लोगों ने बताया कि, क्षीरसागर सोनभद्र और मुड़ना नदी के संगम स्थली के साथ शिव परिवार, विष्णु भगवान एवं मां दुर्गा की स्थापना है। मंदिर प्रांगण में दक्षिण मुखी हनुमान जी, काल भैरव का मंदिर और पश्चिम में रैकुला कुण्ड स्थापित है। यहां माह में 20 से अधिक अस्थियां विसर्जित की जाती हैं। साथ ही पर्यटक स्थल होने से चार से पांच सौ लोग प्रतिदिन पिकनिक और मंदिर में दर्शन करने आते हैं, लेकिन बिजली की कमी बनी हुई है। बिजली पहुंच जाने से इस पर्यटन स्थल की रौनकता और बढ़ जाएगी।

संभ्रांत पहुंचते क्षीरसागर

शहडोल शहर ही नहीं बल्कि जयसिंहनगर, गोहपारू, बुढ़ार, पाली, मानपुर आदि क्षेत्रों के वाशिंदे आज भी पिकनिक मनाने के लिए अन्य स्थानों की तुलना में सार्वधिक संख्या में क्षीर सागर ही पहुंचते हैं। प्रशासनिक अमले के क्षीरसागर दौरे और स्थल को पर्यटन के रूप में विकसित करने की बातें सामने आने के बाद राज एक्सप्रेस ने मुख्यालय के संभ्रांतजनों से क्षीरसागर के संदर्भ में चर्चा भी की, शहर में गुरूकृपा डेयरी का संचालन कर रहे धर्मेन्द्र सूद ने बताया कि जब भी अम्बिकापुर से उनके ससुराल के मेहमान यहां आते हैं, उन्हें क्षीरसागर परिवार के साथ पिकनिक मनाने अवश्य ले जाते हैं। परिवार के लोग खाना बनाने का सामान भी अपने साथ लेकर जाते है और पूरे दिन की मस्ती वहीं होती है।

इसका रखना होगा ध्यान

  • पर्यटकों को बैठने और खाना-पीना खाने के इंतजाम हों

  • स्थल के आस-पास कूड़ेदान रखे जाएं

  • प्राथमिक उपचार की सुविधा

  • मंदिर के आसपास गार्डन, बच्चों के झूले लगाए जा सकते हैं

  • नदी तक पहुंचने के लिए घाट हो

  • पानी रोक कर वोटिंग की जा सकती है

  • 1 किमी कच्ची सड़क का निर्माण हो

  • सुरक्षा के इंतजाम हों

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