प्रदूषण का असर दिख रहा तापमान पर
प्रदूषण का असर दिख रहा तापमान पर Raj Express
मध्य प्रदेश

प्रदूषण का असर दिख रहा तापमान पर : 15 साल पुराने वाहनों को सड़कों से बाहर करना बना चुनौती

राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। प्रदूषण के मामले को लेकर डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में ग्वालियर का नाम आता रहता है, लेकिन इसके बाद भी अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि नहीं चेत रहे है। यही कारण है कि वाहनों की संख्या के कारण जहां शहर की सड़के हांफ रही है तो लोग खांसने के लिए मजबूर हो रहे है। शहर का प्रदूषण बिगाड़ने में सबसे अधिक योगदान डीजल से संचालित वाहनों का है, लेकिन अपनी मियाद पूरी करने के बाद भी ऐसे वाहनों को बंद करने का प्रयास नहीं किया गया है। वायु में धुएं एवं धूल के कणों की मात्रा अधिक होने से लोगों को श्वास संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

वाहनों की जिस तरीके से संख्या बढ़ी है उसको देखते हुए वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। हालत यह हो गयी है कि शहर की सड़कें भी वाहनों की संख्या से हांफने लगी है। शहर का कोई भी मार्ग ऐसा नहीं है जहां जाम न लगता हो। जाम स्थान पर वाहन चालू होने से धुएं का गुबार निकलकर उस क्षेत्र में फैलता है, साथ ही डीजल-पेट्रोल की भी बरबाद होता है। वाहनों की आयु निर्धारित है, लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है। चार साल पहले परिवहन आयुक्त ने 15 साल की मियाद पूरे करने वाले वाहनो को परमिट न देने के निर्देश दिए थे, लेकिन वह सिर्फ निर्देश बनकर रह गए, क्योंकि मियाद पूरी करने वाले वाहनो को सड़कों से बाहर करने की चुनौती ऐसी है कि उस चुनौती से पार पाने मे फिलहाल परिवहन विभाग असहाय दिख रहा है। इसके पीछे कारण यह है कि परिवहन विभाग गंभीरता से काम नहीं कर रहा है कारण एक नहीं कई है, क्योकि परमिट देने से ही खेला जो होता है।

आखिर 15 साल पुराने वाहनो को क्यों नहीं किया जा रहा चिन्हित :

पिछले माह ही केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए बैठक की थी उसमें उन्होने सख्त हिदायत दी थी कि शहर की सड़कों पर जिस तरह से जाम लगता है उससे किस तरह से छुटकारा मिलेगा इसको लेकर गंभीरता से प्लान बनाया जाये। केन्द्रीय मंत्री की बैठक के बाद से ही अमला सक्रिय हो गया ओर शहर में यातायात बाधा रहित कैसे रहे इसको लेकर प्रयोग किए जाते रहे। परिवहन आयुक्त ने भी आरटीओ को निर्देश दिए थे कि 15 साल पुराने वाहनो को चिन्हित कर उनको सड़को से बाहर किया जाए। अब निर्देश पहले भी दिए गए थे ओर अब फिर दिए गए है, लेकिन उस पर अमल क्यों नहीं हो पा रहा है यह समझ से परे है। हालात यह है कि 15 साल पुराने वाहन शहर में वायु प्रदूषण को फैलाने में काफी सहायक बने हुए है जिसके कारण शहर की आवोहवा खराब हो रही है। बताया गया है कि 15 साल पुराने टेंपो ही नहीं है बल्कि कई स्कूली बसें भी संचालित है जिनसे कभी भी हादसा होने की संभावना है, लेकिन इस तरह कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

सड़कों पर वाहनों का भार :

सर्राफा बाजार में 180 से 210 प्रतिमिनट वाहनों का आवागमन

  • हरीजा मार्ग में 130 से 180 प्रतिमिनट वाहनों का आवागमन

  • गोले का मंदिर में 150 से 210 प्रतिमिनट वाहनों का आवागमन

  • महाराज बाड़ा मार्ग में 130 से 190 प्रतिमिनट वाहनों का आवागमन

  • रॉक्सी पुल में 160 से 220 प्रतिमिनट वाहनों का आवागमन

  • ऊंट पुल में 150 से 220 प्रतिमिनट वाहनों का आवागमन

  • बारादरी(मुरार) में 180 से 240 प्रतिमिनट वाहनों का आवागमन

  • स्टेशन बजरिया में 180 से 230 प्रतिमिनट वाहनों का आवागमन

  • पड़ाव मार्ग में 185 से 235 प्रतिमिनट वाहनों का आवागमन

वायु प्रदूषण के बढ़ने के यह हैं मुख्य कारण :

  • वाहनों व उनसे निकलने वाले लिक्विड पेट्रोलियम गैसें, धुआं हैं मुख्य कारण।

  • वायु प्रदूषण कारखानों, पत्थर, गिट्टी की खदानों से अधिक फैलता है प्रदूषण।

  • फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं और अवशिष्ट पदार्थों से अधिक बढ़ता है प्रदूषण।

  • एसी, रेफ्रिजरेटरों में उपयोग की जाने वाली गैसें।

  • सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुएं परफ्यूम, सेंट, क्रीम यह सब एरोसोल बनाती हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है।

  • कीटनाशक दवाओं, घरों में उपयोग होने वाले केमिकल भी फैलाते हैं प्रदूषण।

  • गंदे पानी से बनने वाली गैस(मीथेन) जो बहुत ज्यादा हानिकारक।

  • लकड़ियों के जलाने से बढ़ता है प्रदूषण।

  • आधुनिक निर्माण कार्य, भवनों, सड़कों में उपयोग होने वाले डामर आदि भी प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं।

इनका कहना है :

शहर में जो वाहन 15 साल की मियाद पूरी कर चुके है उनकी पहचान करने का काम किया जा रहा है। बीच में अन्य काम आने से काम प्रभावित हो जाता है, लेकिन जल्द ही ऐसे वाहनो की पड़ताल कर उनके मालिको को नोटिस जारी करने की कार्यवाही की जाएगी।
एसपीएस चौहान, आरटीओ, ग्वालियर

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