सड़क निर्माण देखने पहुंचे ऊर्जा मंत्री
सड़क निर्माण देखने पहुंचे ऊर्जा मंत्री Raj Express
मध्य प्रदेश

सड़क निर्माण देखने पहुंचे ऊर्जा मंत्री : अधिकारियों से बोले क्यों भई मुझे क्या नंगे पैर ही घूमना पड़ेगा

Pradeep Tomar

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। शहर के अंदर अधिकांश सड़कें पूरी तरह से जवाब दे चुकी है, जिसके कारण लोग खासे परेशान है, लेकिन ऊर्जा मंत्री को सबसे अधिक चिंता अपने विधानसभा की खस्ताहाल सड़कों को लेकर है, क्योंकि इन्ही सड़कों को लेकर कांग्रेस लगातार उनके खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने खस्ताहाल सड़कों को लेकर होने वाली आलोचना को लेकर 20 अक्टूबर को जूते-चप्पल त्याग दिए थे और उसी दिन से वह नंगे पैर चल रहे है। यही कारण है कि कब पैरों में जूते पहने इसको लेकर निर्माणाधीन सड़कों को बार-बार निरीक्षण करने पहुंच रहे है, लेकिन काम इतना धीमा चल रहा है कि उससे शुक्रवार को ऊर्जा मंत्री को निरीक्षण के दौरान अधिकारियों से कहना पड़ा कि लगता है कि आप मुझे नंगे पैर ही घूमता हुआ देखना चाहते हो।

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने जब से जूते-चप्पल त्याग कर नंगे पैर चल रहे है उस दिन से अभी तक तीन बार सड़कों का निरीक्षण कर चुके है, लेकिन हर बार अधिकारियों का एक ही जवाब रहता है कि माननीय जल्द ही सड़कों का काम पूरा हो जाएगा। शुक्रवार को तड़के जब ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह भोपाल से ग्वालियर पहुंचे तो वह सबसे पहले गेंडेवाली व लक्ष्मण तलैया वाली सड़क निर्माण का निरीक्षण करने पहुंचे। ऊर्जा मंत्री को विश्वास था कि 21 दिन हो चुके है तो सड़क का निर्माण पूरा हो गया होगा, लेकिन वह जब उन सड़कों को देखने पहुंचे तो हालात कुछ सुधरे थे, लेकिन पूरी तरह से काम नहीं हो सका था। ऊर्जा मंत्री के सड़कों का निरीक्षण करने पहुंचने की जानकारी अधिकारियों को लगी तो वह भी वहां पहुंच गए और मंत्री के आगे-पीछे घूमने लगे। इस दौरान मंत्री ने सड़क निर्माण कार्य की धीमी गति पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लगता है कि आप लोग मुझे नंगे पैर ही घूमता हुआ देखना चाहते है। अब मंत्री की इस बात को लेकर अधिकारी एक-दूसरे का मुंह तो देखते रहे, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं दे सके, क्योंकि जब दो सड़के ही 21 दिन में नहीं बन सकी तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि काम किस रफ्तार से चल रहा होगा?

आखिर मंत्री के फरमान पर गंभीर क्यों नहीं है अधिकारी :

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह हमेशा से छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों का सम्मान करते देखे जा सकते है और इसका फायदा अधिकारी उठा रहे है। जब मंत्री कई बार निर्देश दे चुके है, उसके बाद भी काम की गति में रफ्तार नहीं होना तो यही दर्शाता है कि अधिकारी मंत्री के फरमान पर गंभीर नहीं है। अब जनता को होने वाली परेशानी को महसूस करने के लिए ऊर्जा मंत्री 20 अक्टूबर से नंगे पैर चल रहे है, लेकिन इसके बाद भी जब काम में सक्रियता न हो तो यह स्पष्ट हो जाता है कि जब तक अधिकारियों में मंत्री का भय नहीं होगा ऐसे ही नंगे पैर रहने के लिए मजबूर रहना पड़ेगा। अब मंत्री को चुनाव में जनता के बीच जाना है, इसलिए उनको तो जनता की तकलीफो को दूर करना ही है, लेकिन हालात यह है कि अधिकारी ऊर्जा मंत्री की भावना को शायद नहीं समझ पा रहे है और अगर समझ रहे है तो वह उनके फरमान को नजरअंदाज कर अपनी चाल से ही चलना चाह रहे है।

21 दिन में जब दो सड़के ही नहीं बनी तो फिर अंदाजा लगाओ :

प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के आदेश के बाद भी जब 21 दिन होने के बाद दो सड़कों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका तो फिर पूरे शहर की सड़कें बनने में कितना समय लगेगा कहना मुश्किल है। हालात यह है कि शहर की सड़के पूरी तरह से ऊबड़-खाबड़ हो चुकी है और आम लोग हर दिन परेशान होकर धूल खाने के साथ ही दचके भी खाने के लिए मजबूर हो रहे है। मंत्री को भी इसकी चिंता है, लेकिन मजबूरी यह है कि व्यवस्था के खिलाफ वह बोल तो सकते नहीं है इसलिए नंगे पैर रहकर एक तरह से अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे है, लेकिन इस नाराजगी का भी अधिकारियो पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है, अगर दिखता तो 21 दिन में सिर्फ दो सड़कों का निर्माण कार्य पूरा क्यों नहीं हो पाया? यही कारण है कि शुक्रवार को जब पुन: ऊर्जा मंत्री सड़कों का निरीक्षण करने पहुंचे तो उनको अधिकारियों के सामने यह कहना पड़ा कि क्यों भई क्या मुझे ऐसे ही नंगे पैर घूमना पड़ेगा? अब मंत्री की इस बात को उनको सम्मान देने की तरह समझा जाए या फिर मजबूरी?

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