किसानों ने दी आत्मदाह की धमकी
किसानों ने दी आत्मदाह की धमकी Sanjay Awasthi
मध्य प्रदेश

छतरपुर: किसानों ने एनएच काम शुरू करने को लेकर दी आत्मदाह की धमकी

Author : Sanjay Awasthi

हाइलइट्स :

  • झांसी-खजुराहो फोरलेन में चल रहा है निर्माण कार्य

  • प्रशासन कार्य शुरू करने पहुंचे तो किसानों से हुई भिड़ंत

  • किसानों ने दी आत्मदाह की धमकी

  • किसान नहीं चाहते एनएच में काम हो

  • प्रशासनिक अधिकारी गुपचुप से कार्य कराने की फिराक में

राज एक्सप्रेस। झांसी-खजुराहो फोरलेन का निर्माण कार्य चल रहा है। चन्द्रपुरा के पास सड़क बनाने वाले ठेकेदार के कर्मचारियों के साथ प्रशासनिक अमला कार्य शुरू कराने पहुंचा तो किसान भड़क उठे। किसानों ने भड़क कर दे डाली आत्मदाह की धमकी।

किसानों का कहना :

किसानों का कहना है कि, उन्हें जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक इस जमीन पर कदम रखना भी मुनासिब नहीं होगा। किसानों ने चेतावनी दी है कि, यदि मानदण्डों को ताक पर रखकर मुआवजा दिया गया और काम शुरू किया गया तो, वे आत्मदाह कर लेंगे। प्रशासन की गुण्डागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शनिवार को एसडीएम, तहसीलदार, सीएसपी, पटवारी, आरआई सहित प्रशासनिक अमला रेलवे स्टेशन के सामने से निकल रहे नेशनल हाईवे का निरीक्षण करने पहुंचे उसी दौरान किसान भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने प्रशासन की कार्यवाही का विरोध किया।

बिना सूचना के काम करने की फ़िराक में है अधिकारी :

किसानों ने बताया कि, प्रशासनिक अधिकारी बिना पूर्व सूचना के गुपचुप तरीके से कार्य कराने की फिराक में है। 2009 से अब तक किसानों को जमीन का मुआवजा नहीं मिल। बिना भूमि अधिग्रहण प्रशासनिक अमला काम कराने की कोशिश में लगा हुआ है।

यह है मुआवजे में विसंगति :

किसान श्रीराम निवासी चंद्रपुरा ने बताया कि, उसकी पूरी जमीन एनएच में चली गई है, लेकिन उसे यह भी पता नहीं कि, उसका मुआवजा आया है या नहीं। उसकी बेटी की शादी थी, उस समय मुआवजा के लिए वह भटकता रहा, लेकिन कई बार आवेदन देने के बाद भी उसे मुआवजा राशि नहीं मिली। किसानों का कहना है कि, मुआवजा वितरण में घोर विसंगति सामने आ रही हैं। कहीं एक एकड़ के दो लाख रूपए मिल रहे है तो, कहीं 2 एकड़ के 30 लाख रूपए दिए जा रहे हैं। किसान अरविंद वर्मा ने बताया कि, 2008 के तहत उन्हें मुआवजा मिल रहा है जबकि, जमीन आज अधिग्रहित की जा रही है। प्रशासन ने उसकी जमीन पर जबरन बुल्डोजर चलवा दिया जिससे पूरी फसल नष्ट हो गई। पिछले तीन वर्षों से आवेदन दिए जा रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

जावेद अख्तर का सवाल :

जावेद अख्तर ने सवाल उठाया कि, जिस जमीन की कीमत आज 20 लाख रूपए है सरकार उसके 30 हजार रूपए दे रही है। ऐसी दशा में किसान आत्महत्या नहीं करेगा तो क्या करेगा। एक ओर राजनेताओं को प्रशासन मोटी रकम बांट रहा है तो वहीं गरीब किसानों के हक को छीन रहा है। नियम के मुताबिक, 5 साल तक कब्जा न लेने पर जमीन अधिग्रहण का मामला स्वत: निरस्त हो जाता है। 2009 में जमीन अधिग्रहित करने का सिलसिला शुरू हुआ था, लेकिन 10 साल बाद जमीन छीनी जा रही है और पुरानी दर पर मुआवजा किसान स्वीकार नहीं कर रहा। आशीष बाजपेयी ने कहा कि, प्रशासन जबरन जमीन पर कब्जा कर रहा है। प्रशासन की गुण्डागर्दी नहीं चलने देंगे। पहले प्रशासन सही मुआवजा वितरित कराए इसके बाद ही निर्माण कार्य शुरू कराए।

एसडीएम का कहना :

छतरपुर के एसडीएम केके पाठक का कहना है कि, एनएचएआई की सड़क बाईपास छतरपुर की प्रस्तावित जमीन का निरीक्षण किया गया है छोटी-छोटी समस्याएं भी सामने आई है, जिनका निराकरण किया जाएगा अगर नियम विरुद्ध तरीके से मुआवजा वितरित किया गया है तो ऐसे लोगों पर कार्यवाही की जाएगा।

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