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मध्य प्रदेश

गांधी स्मारक न्यास भवन ट्रस्ट मामला : 13 साल से ट्रस्ट में सचिव पर एक ही व्यक्ति काबिज

Pradeep Tomar

ग्वालियर। शहर कांग्रेस के गांधी स्मारक न्यास भवन ट्रस्ट का मामला अब सुर्खियो में आ गया है ओर एआईसीसी से पत्र आने के बाद से प्रदेश कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है ओर इस मामले की जानकारी के  लिए कमलनाथ की लीगल एडवाइडर सुशांत शेखर ग्वालियर आएं थे ओर उन्होंने कुछ कांग्रेसियो से बंद कमरे में ट्रस्ट में हुई गड़बड़ी की जानकारी ली। अब इस मामले के बाद से ही शहर कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है ओर हिसाब-किताब कैसे बनाया जाएं इसको लेकर मंथन किया जा रहा है।

 बताया गया है कि ट्रस्ट के नियम के हिसाब से ट्रस्ट के सचिव पद का कार्यकाल 4 साल व अन्य पदाधिकारियो का कार्यकाल 2 साल का रहता है, लेकिन यहां मजेदार बात यह है कि सचिव पद पर एक ही व्यक्ति पिछले 13 साल से पदस्थ है ओर वह भी महल खैमे से जुड़ा बताया जा रहा है। इसको लेकर कुछ कांग्रेसियो ने एआईसीसी से लेकर प्रदेश कांग्रेस के पास दस्तावेजो के साथ शिकायत की थी जिसके बाद से एआईसीसी की तरफ से पवन बंसल ने प्रदेश कांग्रेस को पत्र लिखकर जांच करने के निर्देश दिए थे उसके बाद से ही प्रदेश कांग्रेस की तरफ से शहर कांग्रेस अध्यक्ष के पास एक पत्र भेजा गया था जिसमें ट्रस्ट से संबंधित जानकारी देने के निर्देश दिए थे। अब उस पत्र में दी गई तारीख निकल गई पर जानकारी नहीं पहुंची तो शुक्रवार को राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के साथ कमलनाथ की लीगल एडवाइडर सुशांत शेखर भी ग्वालियर आएं थे ओर उन्होंने एक नेता के निवास पर बंद कमरे मेें कुछ कांग्रेसियो से ट्रस्ट के बारे में विस्तार से जानकारी लेने का काम किया था। यहां बता दे कि कई साल पहले मोहन माहेश्वरी ने मुकुल वासनिक को पत्र लिखकर गांधी स्मारक ट्रस्ट के मामले की जांच कराने की मांग की थी।

मनोनयन की नही चुनाव का प्रावधान

गांधी स्मारक ट्रस्ट से जुड़े हिसाब किताब की जानकारी देने के लिए कांग्रेस प्रबंध कार्यकारिणी की बैठक होना चाहिए, लेकिन इस तरह की बैठक में कोई हिसाब किताब नहीं रखा था जिसको लेकर कांग्रेसी लम्बे समय से शिकायते कर रहे थे। यहां बता दे कि ट्रस्ट में पदाधिकारी चुनाव के जरिए ही बनाएं जाते है, लेकिन यहां अमर सिंह माहौर, सुनील शर्मा व स्वर्णलता जैन को मनोनयन कर पदाधिकारी बना दिया गया, लेकिन इसमें खास बात यह है कि प्रोसेडिंग जो बनाई जाती है उस पर हस्ताक्षर घर भेज कर करा लिए गए थे। स्वर्णतला जैन ने 2020 मेे कांग्रेस छोड़ दी थी, लेकिन पदाधिकारी अभी भी है। ट्रस्ट में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, शहर कांग्रेस अध्यक्ष व मुरार ब्लॉक के अध्यक्ष पदेन सदस्य के रूप में पदस्थ रहते है। अब इस मामले के सुर्खियो में आने एवं प्रदेश कांग्रेस द्वारा जांच कराएं जाने के बाद से ही शहर कांग्रेस में हडकंप मचा हुआ है ओर हिसाब -किताब कै से बनाया जाएं उसको लेकर भी मंथन चल रहा है।

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