NEET-PG की कॉउंसलिंग में देरी के चलते हड़ताल पर उतरे जूनियर डॉक्टर्स
NEET-PG की कॉउंसलिंग में देरी के चलते हड़ताल पर उतरे जूनियर डॉक्टर्स Social Media
मध्य प्रदेश

NEET-PG की कॉउंसलिंग में देरी के चलते हड़ताल पर उतरे जूनियर डॉक्टर्स

Author : Kavita Singh Rathore

भोपाल, मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आज से हड़ताल का सिलसिला जारी है, चाहे वो आशा वर्कर्स द्वारा की जा रही हो या भोपाल के जूनियर डॉक्टर्स द्वारा। जी हां, आज मंगलवार से राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज से संबद्ध हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल के डाक्टरों ने हड़ताल शुरू की है। हालांकि, यह इन डाक्टरों की साल भर में चौथी बार की गई हड़ताल है।

जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर :

दवासल, आज मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक तरफ आशा वर्कर्स द्वारा हड़ताल की गई। वहीं, दूसरी तरफ गांधी मेडिकल कालेज से संबद्ध हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल के जूनियर डॉक्टर्स ने नीट-पीजी काउंसलिंग मे देरी होने के चलते हड़ताल का आह्वान किया। इन जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि, 'काउंसलिंग में देरी होने की वजह से एमडी-एमएस के प्रथम वर्ष के छात्र इस साल अभी तक नहीं आए हैं, जो हर साल एक जून को आ जाते हैं। ऐसे में लगभग एक तिहाई जूनियर डाक्टर नहीं होने से द्वितीय और तृतीय वर्ष के जूनियर डाक्टरों पर काम का दबाव ज्यादा है।'

इमरजेंसी सेवाएं कर देंगे बंद :

बताते चलें, इन सभी जूनियर डॉक्टर्स ने आज से ही यह हड़ताल शुरू की है। जिसके तहत इन डॉक्टर्स ने OPD ओर आपरेशन थियेटर में काम का बहिष्कार करते हुए कहा कि, 'मांग नहीं मानी गई तो इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर देंगे। इससे मरीजों की परेशानी बढ़ेगी। जानकारी के लिए बता दें, डॉक्टर्स द्वारा यह हड़ताल सिर्फ आज से ही शुरू नहीं की गई है।' बता दें, इससे पहले GMC के जूनियर डाक्टर ने अपनी इसी मांग के चलते 29 नवंबर को एक दिन के लिए आंदोलन भी किया था। तब यह सभी काली पट्टी बांधकर काम कर रहे थे।

सुप्रीम कोर्ट में है मामला :

जानकारी के लिए बता दें, हर साल NEET PG की परीक्षा जनवरी में होती है और इसके बाद काउंसलिंग होती है फिर जून से बैच शुरू कर दिए जाते है, लेकिन इस साल परीक्षा ही काफी देर से हुई। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण का मुद्दा पहुंचने के कारण अब काउंसलिंग में देरी कर दी। फ़िलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और डॉक्टर्स हड़ताल कर रहे है। खबरों की मानें तो सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष जल्दी रखकर मामले के जल्द निपटारे की कोशिश कर सकती है। इन डॉक्टर्स की दूसरी मांग है कि, 'जब तक पहला बैच नहीं आ जाता, तब तक के लिए जूनियर रेजीडेंट्स को पहले बैच की जगह पदस्थ किया जाए।'

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