वर्षो से शासकीय विद्यालय भवन को तरस रहे बच्चे
वर्षो से शासकीय विद्यालय भवन को तरस रहे बच्चे Shashikant Kushwaha
मध्य प्रदेश

वर्षों से शासकीय विद्यालय भवन को तरस रहे बच्चे

Shashikant Kushwaha

राज एक्सप्रेस। जिले के विकास खण्ड बैढन अंतर्गत संकुल सुहिरा के पोखरी टोला विद्यालय चार वर्ष से निर्माणाधीन हैं। बच्चे शासकीय विद्यालय को तरस रहे हैं। जबकि उक्त विद्यालय के लिये निर्माण एजेंसी पंचायत को चुना गया था, लेकिन सरपंच सचिव द्वारा उक्त राशि का पूरी तरह से बंदर-बांट कर लिया गया है। जहां मौके पर अभी भी निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। ऐसे में क्षेत्रीय जनता व विद्यालय में अध्ययन करने वाले बच्चों के अभिवावकों ने जिला पंचायत सीईओ का ध्यान कराते हुये सरपंच-सचिव के खिलाफ कार्यवाही की अपील की है।

जिले भर में आज भी कई ऐसी विद्यालय हैं जो भवन विहीन पड़े हुये हैं। जबकि इन भवनों के निर्माण के लिये लाखों करोड़ों रूपये का बजट दिया गया था। भवन निर्माण के नाम पर विद्यालय प्रबंधन के साथ-साथ पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाया गया था, लेकिन स्कूल भवन निर्माण के नाम पर जमकर बंदर-बाट का खेल-खेला गया था। इस खेल में अधिकारी से लेकर पंचायत के प्रतिनिधियों तक पैसे का खेल-खेला गया है। दिखावे के लिये निर्माण कार्य शुरू तो कराये गये थे, लेकिन अधिकांश भवन आज भी निर्माण कार्य की बाट जोह रहे हैं। कई बार इन भ्रष्ट अधिकारियों व पंचायत के सरपंच सचिवों के खिलाफ शिकायत की गई। लेकिन उन शिकायतों को रद्दी टोकरी में डाल कर फाइलों को बन्द कर दिया गया। यही कारण है कि, आज तक ऐसे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही नही हो पाई है।

आधा अधूरा पड़ा है भवन

स्थानीय ग्रामीणों के बातों पर गौर करें तो ग्राम पंचायत अमिलिया के पोखरी टोला में वर्ष 2016 में शासकीय विद्यालय के निर्माण के लिये राशि स्वीकृति की गई थी। जब यह राशि स्वीकृति हुई थी, तब दिखावे के लिये पंचायत ने निर्माण कार्य शुरू किया था। लेकिन यह निर्माण कार्य आधा अधूरा पड़ा हुआ है। जो आज तक पूर्ण नही हो पाया है और जिस तरह से कार्य चल रहा है ऐसे में तो यह लग रहा है कि पोखरी टोला में विद्यालय का निर्माण कार्य पूर्ण नही हो पायेगा। इस अनियमितता की खोज खबर संबंधित विभाग के अधिकारी भी नहीं ले रहे है।

सरपंच सचिव द्वारा कर ली गई राशि आहरित

ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत के सरपंच व सचिव ने पोखरी टोला के शासकीय विद्यालय भवन के नाम पर जमकर अनियमितता की है। आधे-अधूरे भवन में भी गुणवत्ता की जमकर अनदेखी की गई है।

विद्यालय भवन न होने के चलते बच्चे खपरैल के मकान में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। उक्त निर्माणाधीन भवन को लेकर कई बार क्षेत्रीय जनता कलेक्टर से भी शिकायत की है। लेकिन आज तक सरपंच सचिव के खिलाफ कार्यवाही नही हुई है। लिहाजा भवन की हालत जस की तस बनी हुई है।

ऐसे हुआ खेल

सरपंच सचिव द्वारा तो पहले किसी किसान की जमीन पर जबरदस्ती स्कूल बनाने की कोशिश की गई। उसके बाद सरकारी भवन बनने के बाद किसान से सौदेबाजी भी की गई। लेकिन तब तक बात कई लोगों तक फैल चुकी थी। जिसकी वजह से किसान व सरपंच-सचिव के बीच सौदा नहीं हो सका।

बात जब उपर अधिकारियों तक पहुंची तो सरपंच-सचिव द्वारा ले देकर मामला निपटाने की कोशिश की गई। फिर जैसे-तैसे मामले को निपटाया गया। इसके बाद पटवारी से मिल कर शासकीय जमीन स्कूल मुहैया कराई गई। जहां पर स्कूल भवन का निर्माण शुरू किया गया। लेकिन जब आधे पैसे किसान के खेत मे बने स्कूल मे खर्च हो गये, तब आधे पैसे से स्कूल कैसे बने। जिसकी वजह से शासकीय स्कूल भवन का निर्माण अब तक अधूरा पड़ा हुआ है। वहीं उस गांव के बच्चे खपरैल के मकान में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। वैसे जिस मकान में स्कूल चलाया जा रहा है। वह काफी जर्जर हो चुका है। जिसमें कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

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