के के मिश्रा का आरोप
के के मिश्रा का आरोप Social Media
मध्य प्रदेश

ग्वालियर: मंत्रीमंडल के गठन में ग्वालियर-चम्बल के दलितों की उपेक्षा

Author : राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। गुरुवार की हुए मंत्रिमंडल के गठन पर संवैधानिक आपत्ति दर्ज कराते हुए प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी (ग्वालियर-चम्बल संभाग) केके मिश्रा ने कहा कि प्रदेश की अनैतिक राज्य सरकार एक के बाद एक निरंतर लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही है, लगता है उसने बेशर्मी की चादर ओढ ली है।

मिश्रा ने कहा कि विधान सभा के मौजूदा सदन में कुल 206 सदस्य हैं, इस संख्या के 15 प्रतिशत के आधार पर 30.06 यानि अधिकतम 31 मंत्री हो सकते हैं किन्तु मंत्रियों की संख्या इससे अधिक हो गई है, जो सीधे तौर पर संवैधानिक व्यवस्था पर राजनैतिक प्रहार है। यही नहीं 14 मंत्री तो ऐसे है, जो सदन के सदस्य (विधायक) भी नहीं हैं, शायद आपदा में अवसर खोज कर सरकार को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह राजनैतिक अपराध किया गया है?

उन्होंने कहा कि करोड़ों का कर्ज लेकर इस जम्बो गठन को लेकर इस बात की भी चिंता नहीं की, कि उसने खुद अभी हाल ही में यह स्वीकारोक्ति की है कि, कोरोना के कहर के कारण उसकी आय में 60 प्रतिशत की कमी आंकी जा रही है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता मिश्रा ने कहा कि शिवराज की सरकार और महाराज के हुए विस्तार में ग्वालियर-चम्बल संभाग में दलितों का अपमान किया गया है। आगामी 24 उपचुनाव क्षेत्रों में से 16 उपचुनाव इन्हीं संभागों में होना हैं, जिसमें 6 सीटें अनुसूचित जाति की हैं किंतु यहां नए दलित मंत्री नहीं बनाये गए। श्रीमती इमारती देवी तो पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार में केबीनेट मंत्री पहले से ही थी। लिहाजा, शिवराज-महाराज के गठबंधन वाली अनैतिक सरकार ने संविधान तथा दलितों की सीधे तौर पर अवहेलना की है, जिसका उन्हें खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा।

वहीं प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री यदुनाथ सिंह ने कहा कि सिंधिया अपने आपको दलितों का मसीहा बताते थे, लेकिन जब मंत्री मंडल में अपने समर्थकों को शामिल करा रहे थे तो उनको दलित समर्थक नजर नहीं आया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस खरीदे गए जनादेश व अनैतिक गठजोड़ के गर्भ से महाराज, नाराज और शिवराज का ही उदय हुआ है, लेकिन दलित को पूरी तरह से छोड़ दिया गया।

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