जबरन प्रतिमाएं स्थापित करने वालों के सामने नतमस्तक प्रशासन
जबरन प्रतिमाएं स्थापित करने वालों के सामने नतमस्तक प्रशासन Raj Express
मध्य प्रदेश

Gwalior : जबरन प्रतिमाएं स्थापित करने वालों के सामने नतमस्तक प्रशासन!

राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, ममध्यप्रदेश। जिले में इन दिनों महापुरुषों की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर विवाद बढ़ने लगे हैं। हालत यह है कि प्रशासन से अनुमति लिए बिना मूर्ती स्थापित करना फैशन बन गया है। बाद में प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से विवाद होता है। सरकारी मशीनरी कई दिन तक इसी काम में व्यस्त रहती है। अंत में प्रशासन जबरन प्रतिमा स्थापित करने वालों के सामने नतमस्तक हो जाता है। इसके बाद उसी स्थान पर अनुमति देकर प्रतिमा स्थापित करा देता है। यदि यही हाल आगे निरंतर चलता रहा तो शहर और देहात की लगभग प्रत्येक सरकारी जगह पर सिर्फ महापुरुषों की प्रतिमाएं ही नजर आएंगी। यहां पर यह कहना गलत नहीं होगा, कि महापुरुषों की प्रतिमाओं को सरकारी जमीन पर कब्जा करने का माध्यम बनाया जा रहा है।

पहला मामला :

बिलौआ में एक गौशाला बनाया जाना प्रस्तावित था। गौशाला निर्माण के लिए गतिविधियां आरंभ हो चुकी थी। यह सब देखते हुए कुछ लोगों ने रातों-रात गौशाला के लिए जो प्रस्तावित भूमि थी। उस पर डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा स्थापित कर दी। जब प्रशासन को इसकी भनक पड़ी तो उस प्रतिमा को हटाए जाने के प्रयास शुरू किए गए। इस पर ग्रामीणों द्वारा बड़ी संख्यां में एकत्रित होकर विरोध किया गया। बाद में समझौता इस बात पर हुआ कि जो गौशाला बनाई जाएगी। उसका नाम अम्बेडकर गौशाला रखा जाएगा। इसके अलावा गौशाला में प्रशासन से अनुमति लेकर डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

दूसरा मामला :

भितरवार के ग्राम चरखा में हाल ही में एक पानी की टंकी का निर्माण किया जाना था। निर्माण कार्य आरंभ होने से पूर्व ही टंकी के लिए प्रस्तावित जमीन पर कुछ लोगों द्वारा डा. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा स्थापित कर दी। जिसे हटाने के लिए तहसीलदार, एसडीएम पहुंचे। जब बात नहीं बनी तो एसपी व कलेक्टर भी मौके पर पहुंचे और समझौता इस बात पर हुआ कि अभी प्रतिमा को हटा लीजिए। इसके बाद प्रतिमा स्थापित करने के लिए अनुमति लें। कलेक्टर ने मौके पर मौजूद लोगों को विश्वास दिलाया कि वह प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति दे देंगे। इसके बाद मामला शांत हुआ और दूसरे ही दिन प्रशासन की ओर से उसी जगह पर प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति दे दी गई।

तीसरा मामला :

करीब एक वर्ष पूर्व चिरवाई नाका स्थित चौराहे पर राजा मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापित की गई। उक्त प्रतिमा की स्थापना के बाद गुर्जर समाज और क्षत्रिय समाज आमने- सामने आ गए। दोनों ही समाज राजा मिहिर भोज को अपना पूर्वज बताते हैं। इस विवाद को लेकर कई बार शहर में तनाव की स्थिति निर्मित हो चुकी है। शहर में शांति बनाए रखने के लिए कई दिन तक जिला प्रशासन और पुलिस को हाई अलर्ट पर रहता पड़ता है।

प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी हो रहे हैं शिकार :

जबरन सरकारी जगह पर प्रतिमाएं स्थापित करने और प्रतिमाओं को लेकर चल रहे अन्य विवादों में कई बार प्रशासन और पुलिस के अधिकारी से लेकर कर्मचारियों को शिकार होना पड़ रहा है। हाल ही में ग्राम चरखा में हुए विवाद में तहसीलदार शिवानी पाण्डेय चोटिल हो गईं थीं। बिलौआ में भी तनाव की स्थिति निर्मित हुई थी। राजा मिहिर भोज को लेकर भी तनाव पैदा हो जाता है। इस बीच में कई बार अधिकारी व कर्मचारी चोटिल हो जाते हैं।

राजनैतिक रोटियां सेकने के लिए बनाए जा रहे हैं मुद्दे :

जिस तरह से प्रतिमाओं की स्थापना के बाद विवाद पैदा हो रहे हैं। उनसे प्रतीत होता कि शातिर लोग इन मुद्दों को अपने राजनैतिक हित साधने के लिए पैदा करते हैं। यह लोग भोली भाली जनता को बहका कर इस प्रकार के कृत्य करने के लिए मजबूर कर देते हैं। जिससे जिले में शांति की स्थिति बिगड़ती है। बड़ी बात यह है कि इन प्रतिमाओं की स्थापना के लिए जो लोग पैरवी करते हैं। वह इलाके में कभी भी विकास की बात नहीं करते हैं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT