स्ट्रेचर खींच रहे और कंधे पर लादकर ले जा रहे अपने मरीज को
स्ट्रेचर खींच रहे और कंधे पर लादकर ले जा रहे अपने मरीज को Raj Express
मध्य प्रदेश

Gwalior : अस्पताल नया व्यवस्थाएं वहीं, परेशान हो रहे मरीजों के परिजन

राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। 397 करोड़ की लागत से अस्पताल तो नया बन गया, लेकिन व्यवस्थाओं में कुछ बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। परिजन अभी भी स्ट्रेचर खींच रहे हैं और अपने मरीज को कंधे पर लादकर ले जा रहे हैं। इस पर जिम्मेदारों का तर्क है कि हमारे पास मैनपवार की कमी है। हम कहां से इन व्यवस्थाओं को दुरुस्त करें।

माधव डिस्पेंसरी में संचालित होने वाली ओपीडी में मरीजों-उनके परिजनों को स्ट्रेचर नहीं मिलते थे। इस वजह से यहां भी मरीज के परिजन अपने मरीज को कंधे पर लादकर वार्ड और ओपीडी में लेकर जाते थे। हजार बिस्तर अस्पताल के शुरू होने के बाद लोगों को लगा कि नये भवन बनने के साथ लोगों को यहां सभी प्रकार की सुविधायें भी मिलेंगी। लेकिन, हो उसके बिल्कुल उल्ट रहा है। यहां भी मरीज स्ट्रेचर के लिए परेशान हो रहे हैं, आपस में लड़ रहे हैं। लेकिन प्रबंधन से यदि स्ट्रेचर न मिलने की बात कही जाती है तो प्रबंधन का तर्क रहता है कि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में स्ट्रेचर हैं। जबकि हकीकत क्या है यह सबको पता है।

समाजसेवी संस्थाएं कर रही है मदद :

हजार बिस्तर अस्पताल में कौन सी ओपीडी कहां चल रही है। यह तो वहां के कर्मचारियों तक को नहीं पता है। ऐसे में मरीज इधर से उधर भटक रहे हैं। उनकी परेशानी को कुछ हद तक कम करने के लिए कुछ समाजसेवी संस्था आगे आई हैं। वह प्रतिदिन अस्पताल पहुंचकर ओपीडी में आने वाले मरीजों को संबंधित चिकित्सक के कक्ष तक छोड़कर आ रहे हैं। इससे ओपीडी में आने वाले मरीजों को सहायता मिली है।

पार्किंग व्यवस्था का भी है खस्ताहाल :

हजार बिस्तर अस्पताल में आने वाला स्टाफ, मरीज और उनके परिजन कहीं भी वाहन पार्क कर रहे हैं। इससे पार्किंग व्यवस्था भी बिगड़ी हुई है। अस्पताल प्रबंधन यहां से रोज गुजरता है, लेकिन उन्हें यह अव्यस्थित पार्किंग दिखाई नहीं देती। न ही वह पार्किंग व्यवस्था में सुधार के लिए कोई प्रयास कर रहे।

ओपीडी पर्चे के लिए लग रहीं कतारें :

हजार बिस्तर अस्पताल में एचआईएमएस सिस्टम लागू हो गया है। सिस्टम लागू होने से पहले दावा किया जा रहा था कि मरीजों को लाईनों से छुटकारा मिल जायेगा। सिस्टम शुरू हुए करीब एक माह से अधिक समय बीत गया, लेकिन मरीजों को अभी तक लाइनों से छुटकारा नहीं मिल पाया है। इस वजह से वहां मरीजों को अभी भी पर्चों की लाईनों में घंटों लग रहे हैं।

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