सुमन शर्मा, भाजपा नेत्री
सुमन शर्मा, भाजपा नेत्री Raj Express
मध्य प्रदेश

Gwalior : अधिकारी-नेता एक दूसरे पर फोड़ रहे हार का ठीकरा

राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। नगर निगम चुनावों में भाजपा के हाथ से महापौर पद छिनना कई सवालों को जन्म दे गया है। पिछले 57 सालों से भाजपा ने हर परिस्थिति से निपटते हुए अपनी बादशाहत बरकरार रखी थी, लेकिन इस बार हुई लापरवाही ने इस किले को ढहा दिया। भाजपा से महापौर पद की उम्मीदवार सुमन शर्मा ने हार के लिए प्रशासनिक व्यवस्थाओं को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि मतदाता पर्ची कम वितरित हुई और ऐन वक्त पर बूथ बदल दिए गए जिससे वोटिंग कम हुई। वहीं अधिकारियों का जो आंकलन है उसके अनुसार भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी इस हार का मुख्य कारण रही। देखना यह है कि शीर्ष नेतृत्व किसको जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई करता है।

ग्वालियर महापौर का पद गंवाने के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इसकी समीक्षा शुरू कर दी है। 17 जुलाई को परिणाम घोषित होने के साथ ही कई तरह की अटकलें शुरू हो गई थीं। लोगों का मानना था कि 24 घंटे में शासन द्वारा प्रशासनिक सर्जरी कर दी जाएगी। ऐसा इसलिए माना जा रहा था,क्योंकि मतदाता पर्ची बंटने में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई थी। इस बार हुए चुनाव में अधिकतर लोग मतदाता पर्ची न मिलने से परेशान थे। भाजपा कार्यकर्ताओं की माने तो 40 प्रतिशत लोगों तक ही मतदाता पर्ची पहुंची थी, जबकि प्रशासनिक अधिकारी 90 प्रतिशत मतदाता पर्ची बंटने की बात कह रहे हैं। पर्ची बंटने को लेकर जो आरोप लगाए जा रहे हैं उनकी जांच भी कलेक्टर ने शुरू कर दी है। इसके लिए नगर निगम के टीसियों से एक सत्यापित फार्म भी भरवाकर लिया गया है जिसमें उन्होंने बांटी गई मतदाता पर्चियों की जानकारी दी है। प्रशासनिक अधिकारियों ने इस जानकारी का सत्यापन कराने की बात भी कही है। लेकिन भाजपा का गढ़ माने जाने वाले ग्वालियर में कांग्रेस के महापौर का जीतना वरिष्ठ नेतृत्व को पच नहीं रहा। महापौर पद की हारी हुई प्रत्याशी सुमन शर्मा प्रशासन की लापरवाही बताते हुए कम मतदाता पर्ची का बंटना एवं बूथ बदलने को हार का कारण बता रहीं हैं। लेकिन अधिकारियों की माने तो वह भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी को हार की मुख्य वजह बता रहे हैं। हालांकि अधिकारी सामने आकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। इस मामले में शीर्ष नेतृत्व किसकी बात मानते हुए कार्यवाही करता है यह जल्द ही सामने आ जाएगा।

बूथ बदले तो कैसे जीते भाजपा के पार्षद :

भाजपा नेत्री की बात को सही मान लिया जाए तो सवाल यह पैदा होता है कि अगर कम मतदाता पर्ची बंटना हार का कारण है तो फिर भाजपा के 34 पार्षद कैसे जीत कर आए। जिन लोगों ने उन पार्षदों को जिताया उन्होंने भी तो महापौर पद के लिए वोट डाले होंगे। इससे समझ आता है कि मतदाताओं ने भाजपा पार्षदों का तो समर्थन किया, लेकिन महापौर पद का प्रत्याशी उन्हें रास नहीं आया। यही वजह है कि शीर्ष नेतृत्व में किसी अधिकारी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया।

अधिकारियों को नाराज नहीं करना चाहता शीर्ष नेतृत्व :

नगर निगम चुनाव में टिकिट बांटने को लेकर मची हौच पौच से शीर्ष नेतृत्व भी वाकिफ है। कितने लोगों ने पार्टी के खिलाफ काम किया यह भी सभी को पता है। यही वजह है कि शीर्ष नेतृत्व अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करके पूरी आईएएस या आईपीएस लॉबी को नाराज करना नहीं चाहता। 2023 में विधानसभा चुनाव हैं और इसके लिए प्रशासनिक तंत्र का समर्थन बहुत आवश्यक है। अगर शीर्ष नेतृत्व कुछ बदलाव करेगा भी तो वह समय पूर्ण होने वाले अधिकारियों का तबादला ही होगा। जो अधिकारी दो से तीन साल एक ही पद पर पूरी कर चुके हैं उन्हें दूसरी जगह पदस्थ कर दिया जाएगा। इससे अधिक कुछ भी करने का जोखिम वरिष्ठ नेता नहीं उठाएंगे।

इनका कहना :

कम वोटिंग होना ही हार की मुख्य वजह है। आम जनता को मतदाता पर्चियां नहीं मिली। जो लोग वोट डालने पहुंचे उन्हें बताया गया कि मतदान केन्द्र बदल गया है। मैंने खुद अधिकारियों को फोन करके फटकार लगाई थी। हमारा वोटर पढ़ा लिखा है और उसे घर से लाने की जरूरत नहीं पड़ती। इस संबंध में शीर्ष नेतृत्व को बता दिया है। जो अधिकारी यह कह रहे हैं कि भाजपा कार्यकर्ता नाराज थे उनका नाम सार्वजनिक कर दें तो फिर सब सामने आ जाएगा।
सुमन शर्मा, भाजपा नेत्री

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