जो काम आबकारी विभाग का उस काम को कर रही पुलिस
जो काम आबकारी विभाग का उस काम को कर रही पुलिस सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

Gwalior : जो काम आबकारी विभाग का उस काम को कर रही पुलिस

राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। अवैध शराब को पकड़ने का काम आबकारी विभाग का है, लेकिन वह उस काम को न करते हुए सिर्फ अपने आंकड़े दुरुस्त करने में लगा हुआ है। वहीं पुलिस शहर के अंदर अवैध शराब को पकड़ कर एक तरह से आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की पोल खोल रही है। कुछ दिन पहले शहर में अवैध शराब बनाने की फैक्ट्री पकड़ी जबकि आबकारी विभाग को शहर के अंदर अवैध शराब न दिखते हुए सिर्फ कंजरो के डेरे ही नजर आते हैं। विभाग की इस नाकामी की तरफ आबकारी विभाग के आयुक्त भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।

अवैध मादक पदार्थो के खिलाफ पुलिस खासी सक्रिय है ओर लगातार कार्यवाही कर रही है। शहर के अंदर अवैध शराब किस तरह से खपाई जा रही है इसका अंदाजा इसी बात से लगाता जा सकता है जब पुलिस ने करीब 11 लाख की अवैध अंग्रेजी शराब पकड़ी थी। अब पुलिस को तो अवैध शराब दिख रही है, लेकिन आबकारी विभाग को शहर के अंदर अवैेध शराब दिखाई ही नहीं दे रही है। एक तरह से आबकारी उपायुक्त एवं सहायक आबकारी आयुक्त के नाक के नीचे जिस तरह से अवैध शराब शहर के अंदर खपाई जा रही है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि संबंधित अधिकारी इस मामले में गंभीर नहीं है, क्योंकि उनके संबंध शराब ठेकेदारो से बने हुए है। अब जिस तरह से शहर के अंदर पुलिस ने अवैध शराब पकड़ी है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि खासी संख्या में अवैध शराब शहर में सप्लाई की जा रही है। अगर दुकानों की भी चैकिंग की जाए तो कुछ गड़बड़ नजर आ सकती है।

आबकारी विभाग को सिर्फ कंजरों के डेरे ही क्यों नजर आते :

आबकारी विभाग ने अभी तक जो भी कार्यवाही की है उसमें शहर के अंदर एक भी ऐसी कार्यवाही शामिल नहीं है जिसमें अवैध अंग्रेजी शराब पकड़ी हो। हां विभाग को अपना टारगेट पूरा करने ओर कार्यवाही दिखाने के लिए सिर्फ ओर सिर्फ कंजरों के डेरे ही नजर आते हैं। कंजरों के एक ही डेरे पर एक नहीं बल्कि कई बार आबकारी विभाग ने कार्यवाही करना बताया और वहां से अवैेध मदिरा जब्त करना भी बताया लेकिन आरोपी हमेशा अज्ञात ही बना रहता है। अब सवाल यह है कि आखिर आबकारी विभाग की नाक के नीचे पुलिस इतनी बड़ी संख्या मेें अवैध अंग्रेजी शराब पकड़ रही है, लेकिन संंबंधित विभाग सिर्फ कंजरों के डेरे पर ही कार्यवाही करने तक सीमित बना हुआ है। इसका मतलब साफ लगाया जा सकता है कि संबंधित अधिकारियों को इस मामले की जानकारी तो है, लेकिन कार्यवाही नहीं करते।

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