आरपीएफ ने तस्करों से छुड़ाए 35 लड़के एवं 27 लड़कियां
आरपीएफ ने तस्करों से छुड़ाए 35 लड़के एवं 27 लड़कियां Raj Express
मध्य प्रदेश

Gwalior : आरपीएफ ने तस्करों से छुड़ाए 35 लड़के एवं 27 लड़कियां

राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। देश में दिनोंदिन बढ़ रही मानव तस्करी की घटनाओं से सभी अचंभित हैं। तस्करी की घटनाओं का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ऑपरेशन आहट के तहत आरपीएफ ने जनवरी से लेकर अब तक अभियान चलाकर 35 लड़के और 27 लड़कियों को मानव तस्करों से मुक्त कराया है, साथ ही 83 तस्करों को भी गिरफ्तार किया है। 4.7 करोड़ रुपए मूल्य का एनडीपीएस बरामद किया है। 19 तस्करों को उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंप दिया गया है।

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने जनवरी 2023 में ऑपरेशन नारकोस और ऑपरेशन आहट के तहत एक महीने का राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया। इस दौरान, आरपीएफ ने 88 मामलों का पता लगाया और और एनडीपीएस के 83 पेडलर्स/तस्करों को गिरफ्तार किया। गौरतलब है कि रेलवे लंबी दूरी के लिए एनडीपीएस की तस्करी का मुख्य माध्यम रहा है। इसलिए भारत सरकार ने सहायक उप-निरीक्षक के पद के और उससे ऊपर के आरपीएफ अधिकारियों को तलाशी लेने, एनडीपीएस को जब्त करने और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटांसेस (एनडीपीएस) अधिनियम, 1984 के प्रावधानों के तहत तस्करों को गिरफ्तार करने और उन्हें शक्तिशाली कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंपने के लिए शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार दिया है।

यहां बता दें कि यौन शोषण, वेश्यावृत्ति, बंधुआ मजदूरी, जबरन विवाह, घरेलू दासता, गोद लेने, भीख मांगने, अंग प्रत्यारोपण, नशीली दवाओं की तस्करी आदि के लिए मानव तस्करी, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की तस्करी एक संगठित अपराधियों का गिरोह कर रहे हैं। मई 2011 में भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध (यूएनटीओसी) के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की पुष्टि की और इसके तीन प्रोटोकॉल में से एक में व्यक्ति, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने, नियंत्रित करने और दंडित करने के लिए प्रोटोकॉल शामिल है। आरपीएफ के ऑपरेशन आहट के तहत मानव तस्करी के पीडि़तों की पहचान करने और उन्हें बचाने के लिए अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

आरपीएफ एक मिशन मोड में काम कर रहा है कि रेलवे में संविदात्मक काम पर लगे सभी व्यक्तियों की साख और आपराधिक पृष्ठभूमि संबंधित पुलिस से सत्यापित हो और रेलवे प्रणाली में केवल उन्हीं व्यक्तियों को काम करने की अनुमति दी जाए, जिनका कोई आपराधिक बैकग्राउंड नहीं है। इस संबंध में एक केंद्रित पहल की गई और ठेकेदारों को निर्देश दिया गया कि वे अपने कर्मचारियों के पुलिस सत्यापन की शर्त का पालन करें।

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