Honey Trap Case
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मध्य प्रदेश

हनी ट्रैप मामले की जांच सवालों के घेरे में-24 घंटे के अंदर SIT में बदलाव

Priyanka Sahu

राज एक्‍सप्रेस। मध्‍यप्रदेश में इन दिनों हनी ट्रैप मामले (Honey Trap Case) के कारण सियासत में गरमा-गरमी चल रही है, आए दिन इस मामले में कुछ नया मोड़ सामने आ रहा है, फिलहाल इस समय तो, हनी ट्रैप मामले की जांच, सवालों के घेरे में घिरी हुई है। सबसे बड़ी वजह है, विशेष जांच टीम (SIT) में महज 24 घंटों के भीतर ही बदलाव किया गया।

24 घंटे के अंदर बनी दूसरी टीम :

पुलिस मुख्यालय ने इस टीम को भंग कर, एक और दूसरी टीम तैयार की है। अब हनी ट्रैप मामले की जांच की जिम्मेदारी तेजतर्रार अफसरों में शुमार एडीजी संजीव शमी को दी गई है। इसके अलावा इंदौर की एसएसपी रूचि वर्धन मिश्रा, भोपाल साइबर सेल के एसपी विकास शहवाल, इंदौर साइबर सेल के एसपी जितेंद्र सिंह, इंदौर क्राइम ब्रांच के एडीशनल एसपी अमरेंद्रर सिंह, भोपाल सीआईडी इंस्पेक्टर नीता चौबे एवं मनोज शर्मा के अलावा पलासिया थाने के प्रभारी शशिकांत चौरसिया को इस टीम में शामिल किया है।

एडीजी संजीव शमी

इससे पहले किसे दी गई थीे जिम्मेदारी :

वहीं इससे पहले हनी ट्रैप मामले की जांच के लिए सोमवार को बनी एसआईटी का चीफ 1997 बैच के आईपीएस आईजी डी. श्रीनिवास वर्मा को बनाया गया था। एसआईटी के प्रमुख के तौर पर वर्मा ने काम भी शुरू कर दिया था और केस से जुड़ीं फाइलें भी देखीं, लेकिन मंगलवार दोपहर वर्मा को हटाकर शमी को नया चीफ बनाए जाने के आदेश जारी कर दिया।

क्‍यों किया गया बदलाव :

वहीं चीफ को बदले जाने पर प्रशासन का कहना है कि, आईजी वर्मा ने ही इच्छा जाहिर की थी की, उन्हें इस जिम्मेदारी से दूर रखा जाए, हालांकि आईजी वर्मा ने इस संबंध में ज्यादा कुछ कहने से मना करते हुए सिर्फ इतना कहा कि, न मैंने एसआईटी प्रमुख बनने के लिए आवेदन किया था और न ही हटने के लिए। ऐसा माना जा रहा है कि, आईपीएस डी श्रीनिवास वर्मा ने इस मामले की जांच में असमर्थता जाहिर कर दी थी और टीम में बदलाव की मुख्‍य वजह इसे ही माना जा रहा है।

क्या है हनी ट्रैप मामला :

इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन की 3 करोड़ रुपए मांगने की शिकायत के बाद भोपाल और इंदौर पुलिस ने कार्रवाई कर ब्लैकमेलिंग करने वाली 5 महिलाओं को गिरफ्तार किया था, यह महिलाएं अफसरों व नेताओं के वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करती थीं। हालांकि, इस मामले में एक पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व राज्यपाल, पूर्व सांसद, भाजपा और कांग्रेस से जुड़े नेता और नौकरशाहों के फंसे होने की बात कही जा रही है, फिलहाल अभी तक इस मामले में किसी का नाम सामने नहीं आया है।

अफसरों-नेताओं के दिल की धड़कनें तेज :

बता देंं कि, इंदौर नगर निगम के प्रभारी आयुक्त कृष्ण चैतन्य ने अधीक्षण यंत्री हरभजन सिंह को निलंबित कर दिया है। फिलहाल, इस समय उन अफसरों और नेताओं के दिल की धड़कनें तेज हैं, जिनका वीडियो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में कैद हैं, अब जांच एजेंसियों ही तय करेंगी की वीडियो में छुपे नामों को कैसे सामने लाएगी या फिर शिकायतकर्ताओं के अभाव में जांच बस एक इंदौर के सरकारी अधिकारी तक ही सिमट कर रह जाएगी। हनी ट्रैप मामले से संबंधित ओर जानकारी जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

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