नगरपालिका की बाजार बैठकी ठेका में खुलेतौर पर भ्रष्टाचार
नगरपालिका की बाजार बैठकी ठेका में खुलेतौर पर भ्रष्टाचार सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

Hoshangabad : नगर पालिका की बाजार बैठकी ठेका में खुलेतौर पर भ्रष्टाचार

Prafulla Tiwari

होशंगाबाद, मध्यप्रदेश। नगर पालिका की बाजार बैठकी में भ्रष्टाचार का खेल खुलेआम चल रहा है। प्रदेश के नगरी निकाय अपनी आमदनी के स्रोत तलाश और बढ़ा रहे हैं। तो दूसरी तरफ होशंगाबाद नगर पालिका में उलटी गंगा बह रही है। यहां आमदनी के स्रोत बढ़ाने की जगह पुराने बने बनाए स्रोतों को एक प्रकार से बंद ही किया जा रहा है। ताजा मामला नगर पालिका की बाजार बैठकी का है, जिसमें पिछले वर्ष ही नगर पालिका को करीब 20 लाख रुपए से अधिक की चपत लग चुकी है। पिछले कुछ सालों से नगर पालिका को बाजार बैठकी से हर साल 38 लाख से अधिक की आमदनी होती थी। ठेका दिए जाने के बाद बाजार बैठकी वसूली करना ठेकेदार का काम होता था, लेकिन नगर पालिका ने पिछले वर्ष ठेका देने की वजह अपने खुद के कर्मचारी तैनात कर दिए, जिसके कारण बाजार बैठकी में नगरपालिका की आमदनी घटकर आधी से भी कम रह गई है।

नगर पालिका होशंगाबाद बाजार बैठकी वसूली में बड़ा भ्रष्टाचार का बोलबाला है। जैसे 2015-16 में ठेका 28 लाख 60 हजार रु, वर्ष 2016-17 में 37 लाख 10 हजार रु, 2017-18 में 37 लाख 24 हजार 111 रुपये में तथा 2018-19 में 38 लाख का ठेका गया। लेकिन जब नगर पालिका से स्वयं के कर्मचारियों से बाजार बैठकी वसूली करना चालू की तो वसूली कर्ताओं की लॉटरी लग गई। जहां आखरी ठेका 2018-19 में 38 लाख रु में गया था, वही नगरपालिका के कर्मचारियों द्वरा 2019-20 में वसूली मात्र 14 लाख 38 हजार तथा 2020-21 में 9 लाख 29 हजार 240 रुपये वसूली की गई। वसूली कर्ताओ को नगरपालिका द्वारा पगार दी जाती है और एक कर्मचारी की पगार कम से कम 50000 रुपये है। लगभग चार कर्मचारियों द्वारा वसूली की जाती है, तो लगभग 24 लाख रुपये तो नगरपालिका के कर्मचारियों के पगार भुगतान में चला जाता है। जबकि ठेकेदार द्वारा 38 लाख रु में ठेका लेने के बाद और स्वयं के कर्मचारियों द्वारा वसूली कराने के बाद 25 लाख रुपये से 30 लाख रुपये स्वयं भी कमाता है। अर्थात नगरपालिका के कमर्चारियों द्वारा प्रतिमाह 50 से 60 लाख रुपये का भ्रष्टाचार किया जा रहा है। क्योंकि नगरपालिका क्षेत्र मे लगभग 2500 से 3000 छोटे सब्जी ठेले और अन्य प्रकार के विक्रेता है।

24 लाख सालाना कर्मचारियों की पगार, खजाने का बंटाधार :

बाजार मटका का ठेका देने की वजह वसूली के लिए नगरपालिका ने अपने कर्मचारी तैनात किए हैं प्रत्येक कर्मचारी को कम से कम 50 हजार मासिक वेतन दिया जा रहा है। इस हिसाब से 4 कर्मचारियों के वेतन पर की सालाना 24 लाखों रुपए खर्च किया जा रहा है। लेकिन आमदनी लगातार घट रही है। सूत्रों के अनुसार 38 लाख रुपये में जाने वाला बाजार बैठकी का ठेका पिछले वर्ष 40 और अगले वर्ष इससे अधिक राशि में जाना था। इस व्यवस्था में नगरपालिका के कुछ अधिकारियों को अपना लाभ नजर नहीं आया और उन्होंने व्यवस्था को बदल कर अपने कर्मचारी तैनात कर दिए। यही कारण है कि यह तो कर्मचारियों के वेतन पर व्यय हो रहा है, तो दूसरा एक कर्मचारी हर महीने नगरपालिका के खजाने को भी चपत लगा रहे हैं।

दोगुनी राशि में भी ठेका लेकर कमाता है ठेकेदार :

पिछले वर्षों के दौरान नगर पालिका की बाजार बैठकी का ठेका 30, 35 और 38 लाख रुपए तक में जाता रहा है। जाहिर है इतनी बड़ी राशि नगरपालिका को देने के बाद ठेकेदार वसूली के लिए अपने कर्मचारी भी तैनात करता है और खुद मानीटरिंग करता है, इसके बाद भी उसे आमदनी होती है। इसका साफ मतलब है कि बाजार बैठकी में वसूल की जाने वाली राशि में कोई कमी नहीं आई है। बल्कि गड़बड़ी वसूल की गई राशि को जमा करने में है। इससे पिछले वर्ष नगरपालिका को उसके पिछले वर्ष की तुलना में 20 लाख रुपए का घाटा उठाना पड़ा है। अगर बाजार बैठकी इतने घाटे का सौदा होती, तो ठेकेदार इतनी बड़ी रकम चुका कर ठेका लेने के लिए आगे नहीं आता, इसलिए बाजार बैठकी में भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है।

इनका कहना :

बाजार बैठकी ठेका घोटाले में लाखों रुपये का गोलमाल हुआ है, इसमें कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक मिले हुए हैं, इस मामले की निष्पक्ष जांच होना चाहिये और संबंधितों के खिलाफ कार्यवाही होना चाहिये। हाल ही में पीएम आवास योजना लगभग 5 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ है, इसकी जांच भी लंबित है, इस मुद्दे को लेकर अनशन पर बैठूंगा।
मुन्ना ग्वाला, पूर्व पार्षद, ग्वालटोली

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