रातों-रात तालाब पर हो गया अवैध निर्माण
रातों-रात तालाब पर हो गया अवैध निर्माण Sitaram Patel
मध्य प्रदेश

Anuppur : रातों-रात तालाब पर हो गया अवैध निर्माण

Shrisitaram Patel

कोतमा नगर के वार्ड क्रमांक 4 में सरस्वती स्कूल के सामने स्थित तालाब पर अवैध व नियम विरुद्ध तरीके से रजिस्ट्री कर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं, इस अवैध निर्माण से भारत सरकार के राजस्व और नगरी प्रशासन दोनों विभागों पर उंगलियां उठना चालू हो गई हैं। कुछ दिन पूर्व नपा प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण कार्य स्थल में नोटिस चस्पा करने के बाद कुछ ही दिनों में चार से पांच घर रातों-रात खड़े कर दिए गए। रसूख के बल पर तालाब के मेढ़ में अतिक्रमण कर निर्माण कार्य कराया जा रहा है।

कोतमा, मध्यप्रदेश। राज्य तथा केन्द्र सरकार भू-जलस्तर बनाए रखने के लिए हर साल नए-नए कार्यक्रम शुरू कर रही है। ताकि किसी भी तरह से जागरूकता लाकर नदी, नालों एवं तालाबों को संरक्षित किया जा सके। मगर, कोतमा नगर में तालाबों का अस्तित्व खतरे में दिखाई पड़ रहा है। दरअसल, नगर में मौजूद तालाबों की स्थिति को लेकर शासन-प्रशासन तथा स्थानीय अधिकारी, जनप्रतिनिधि उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। नगर के बड़े तालाब में अतिक्रमण तथा एनजीटी के नियमों की अनदेखी कर होने वाले निर्माण कार्यों के कारण दिन-ब-दिन तालाब का आकार सिकुड़ता जा रहा है, लेकिन इस तालाब की किसी को कोई परवाह ही नहीं है।

अवैध निर्माण को नपा की मंजूरी :

कोतमा वार्ड नंबर 4 पर हो रहे अवैध निर्माण को 2018 में लीगल रूप से अनुमति प्रदान की गई थी। जिसके 2 वर्ष बाद अब अवैध तरीके से लगातार रातो रात तालाब के मेढ में निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। जबकि कोतमा नगर पालिका द्वारा 22 सितंबर को निर्माणाधीन कार्य स्थल पर जाकर कार्य बंद कर नोटिस चस्पा की गई थी जिसमें स्पष्ट तौर पर उल्लेखित था कि उक्त निर्माण की जानकारी तहसीलदार को दे दी गई है, बिना उनके आदेश के या कार्यवाही तक निर्माण कार्य को रोक लगा दी जाए किसी भी प्रकार का निर्माण न किया जाए उसके बावजूद भी रातो रात मकान खड़ी हो गई। और नगर पालिका प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई।

नोटिस बना मजाक, पूर्ण हुआ निर्माण कार्य :

मुख्य नगरपालिका अधिकारी द्वारा 22 सितंबर को आराजी खसरा नंबर 741/3 सहित अन्य खसरा नवम्बर जो की तालाब के मेढ का खसरा नवम्बर है जिस पर भूमि विकास अधिनियम 2012 के प्रावधान के अनुसार जल स्रोतों के 30 मीटर की अंदर किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता है। इस प्रावधान के आधार पर नोटिस चस्पा करते हुए मुख्य नगरपालिका अधिकारी द्वारा निर्माणाधीन कार्य पर रोक लगाई गई थी। तथा नोटिस में उल्लेखित किया गया था कि 21 दिसंबर 2018 की ऑनलाइन प्रणाली से की गई अनुज्ञा निरस्त करने की बात कही थी। जिसके बाद उक्त भूमि के खसरा तथा सीमांकन की जानकारी तहसीलदार को प्रेषित कर दी गई थी। इसके बाद सारे काम को नगर पालिका द्वारा बंद करवा दिया गया था। लेकिन अब रातों-रात नोटिस को दरकिनार करते हुए लगातार 5 से 6 घरों का निर्माण तालाब के मेल में कर दिया गया है। यह तो साफ है कि सरकारी पदों में बैठे अधिकारियों के हस्ताक्षर से जारी नोटिस भी अब माफियाओं के लिए मजाक बनकर रह गए हैं।

रसूख के बल पर माफियाओं की चांदी :

रसूखदारों के द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटाने में प्रशासन हर बार नाकाम ही साबित हुआ है। बताया गया कि सरकारी दस्तावेजों में हेर-फेर कर तालाब की कई एकड़ जमीन को भूमिस्वामी मद में बदल दिया गया है। वहीं, तालाब के मेढ़ पर घरों का भी निर्माण कर दिया गया है । बहरहाल, यह जांच का विषय है। इस मामले की जांच होने पर ही दूध का दूध और पानी का पानी होने की बात जानकार कह रहे हैं। लेकिन लेनदेन कर पूरा मामला माफियाओं द्वारा शॉट आउट कर लिया गया है अब तो निर्माण पर लगभग पूर्ण हो चुका है देखना यह है कि क्या अब प्रशासन की नींद खुलती है या लगातार कब्जे होते रहेंगे।

कोतमा में बदला राजस्व और पर्यावरण विभाग का कानून :

भारत एवं मध्य प्रदेश के राजस्थान में भूमि विकास अधिनियम के कानून के अनुसार किसी भी जलाशय हुआ तालाब के 30 मीटर की दूरी पर ना तो भूमि का क्रय विक्रय किया जा सकता है और ना ही उक्त जगह पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण व निर्माण कार्य किया जा सकता है वही एनजीटी के नियम के अनुसार भी तालाब के मेड में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं कराया जा सकता है लेकिन कोतमा नगर पालिका के लिए यह नियम पूरी तरह बदल चुका है कोतमा के कई बड़े तालाबों में निर्माण कार्य को बिना देखे ही मंजूरी दे दी गई है और वार्ड क्रमांक 4 में स्थित सरस्वती स्कूल के सामने के तालाब पर नोटिस चस्पा करने के बावजूद भी निर्माण कार्य को पूरी तरह हरी झंडी देकर कार्य भी पूरा कर लिया गया है अब देखना यह है कि क्या उक्त कानून के उल्लंघन पर प्रशासन द्वारा किसी तरह की कार्रवाई की जाती है या प्रशासन के ढुलमुल रवैया बरकरार रहता है।

इनका कहना है :

खसरा नंबर अलग-अलग है, अपनी भूमि पर ही निर्माण कार्य कर रहे हैं, किसी भी प्रकार से अवैध रजिस्ट्री नहीं कराई गई है।
अजय वर्मा, निर्माणकर्ता
मैंने नोटिस भी जारी किया था, रात के समय चुपके से निर्माण कार्य किया जाता है, कई बार एसडीएम से भी चर्चा की गई, अब कोर्ट में भी मामले को पेश किया जायेगा।
विकास मिश्रा, सीएमओ, नपा कोतमा
निर्माण कार्य में रोक लगा दिया गया है, अगर फिर भी हो रहा है तो हम उसे दिखवाते हैं।
मनीष शुक्ला, तहसीलदार कोतमा
शिकायत मिली है, जल्द ही संज्ञान में लेकर कार्यवाही के निर्देश देता हूं।
सरोधन सिंह, अपर कलेक्टर अनूपपुर

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