प्रवासी भारतीय सम्मेलन का 'सम्मान' के साथ हुआ समापन
प्रवासी भारतीय सम्मेलन का 'सम्मान' के साथ हुआ समापन Raj Express
मध्य प्रदेश

भारत वसुधैव कुटुंबकम की भावना से काम में लगा है : प्रवासी भारतीय सम्मेलन का 'सम्मान' के साथ हुआ समापन

राज एक्सप्रेस

इंदौर, मध्यप्रदेश। इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन का मंगलवार को समापन हुआ। समापन समारोह में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु शमिल हुईं और विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत विशिष्टि प्रवासी भारतीयों को सम्म्मानित किया गया। इस मौके पर राष्ट्रपति ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रवासी भारतीय अलग-अलग देशों में बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। उनकी सफलता की बदौलत विदेशी धरती पर भारत की पहचान बन रही है। अगले 25 साल में नए सफर पर भारत है। आपको एकजुट होकर इस शक्ति का राष्ट्र निर्माण में योगदान देना होगा। भारत वसुधैव कुटुंबकम की भावना से काम में लगा है। आज कई चुनौतियां हैं, भारत विश्व के साथ मिलकर इनसे निपटने में लगा है।

मंच पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ सूरीनाम और गुयाना के राष्ट्रपति, केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्यप्रदेश के राज्यपाल राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे।

प्रवासी भारतीय देश को आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि प्रवासी भारतीय अलग-अलग देशों में बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। उनकी सफलता की बदौलत विदेशी धरती पर भारत की पहचान बन रही है। अंतिम दो दशक में प्रवासी भारतीय सम्मेलन आपके और भारत के बीच संवाद का बेहतर माध्यम बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि यहां सबको अतुल्य संगम का अहसास हुआ है। किसी व्यक्ति की पहचान उसकी माटी और शरीर से होती है। 21 साल बाद हो रहा यह आयोजन तारीख तक ही सीमित नहीं है। यह प्रवासी भारतीयों को सशक्त करने की कोशिश है। इसके माध्यम से भारत और भारतीयों को उभारने का प्रयास किया गया।

उन्होंने इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर का भी उल्लेख किया। राष्ट्रपति ने कहा कि देश को आजाद हुए 75 साल पूरे हो चुके हैं। इसे अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। सरकार ने अगले 25 साल में विकास करने को लेकर रूपरेखा बनाई है, जिसमें भारत को मजबूत किया जाएगा। इसमें प्रवासी भारतीय भी अपना योगदान देकर देश को आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। हर क्षेत्र में भारतीय एक ऊर्जावान और आत्मविश्वास से भरा समुदाय है। यहां तक कि विश्व की लीडरशिप पोजिशन पर भी है। कठिन परिश्रम से हमने जीवन के हर क्षेत्र में चुनौतियों के बीच उपलब्धियां हासिल की हैं। कला, साहित्य, व्यापार और विज्ञान-प्रौद्योगिकी हर क्षेत्र में ऐसा है। भारत और भारत के बाहर की उपलब्धियों की प्रशंसा के लिए ये मंच नहीं है। बल्कि ये भारत के उस विश्वास को परिलक्षित करता है, जिसमें ये विश्वास समाहित है कि हम ऊंची उड़ान भर सकते हैं। उन्होंने ने कहा कि जिन प्रवासी भारतीयों को सम्मान मिला उन्हें शुभकामना देती हूं और कामना करती हूं कि ये भविष्य में आपको महान उपलब्धियों के लिए प्रेरित करेगा।

भारत विश्व पटल पर उजागर हो रहा है : डॉ. एस जयशंकर

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इस समारोह में राष्ट्रपति की मौजूदगी से सब गौरवांवित हैं। उन्होंने कहा कि यह आयोजन सफल रहा। प्रवासी भारतीयों की वजह से देश की पहचान विश्व मंच तक पहुंचती है।

2030 तक भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा : ज्योतिरादित्य सिंधिया

केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इस मौके पर मां अहल्यिा की नगरी में वे सबका तहेदलि से स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का कोई भी सपूत कहीं भी रहे वो भारत से जुदा नहीं हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत को उभारने में प्रवासी भारतीय की अहम भूमिका है। देश की जनसख्या 135 करोड़ नहीं है, बल्कि उसके भी आगे है। अलग-अलग देशों में रहने वाले 3 करोड़ भारतीय दुनिया में देश को पहचान दिला रहे हैं। उनकी भागीदारी की वजह से भारत विकसित हुआ है, आत्मनिर्भर बना है। इन प्रवासी भारतीयों को पिरोने का काम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। विश्व में ये ऐलान हो चुका है कि भारत के बिना विश्व आगे नहीं बढ़ सकता। इस वर्ष भारत जी 20 की अध्यक्षता कर रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में भारत विश्व पटल पर उजागर हो रहा है। वो जी 20 की अध्यक्षता किस सोच और विचारधारा के साथ कर रहा है, वन अर्थ, वन फैमिली एंड वन फ्यूचर। वसुधैव कुटुंबकम की सोच। पूरा विश्व एक परिवार है। युद्ध के दौरान यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने में प्रधानमंत्री ने दिन-रात एक कर दिया था। लोगों को जिम्मेदारी देकर भारतीयों को वहां से सुरक्षित निकाला था। श्री सिंधिया ने प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा किआपकी साझेदारी भारत को आत्मनिर्भर बनाने में है। रोमानिया में मैंने देखा था विकट हालात में प्रवासी भारतीय मदद में जुटे थे। भारत के बिना विश्व आगे नहीं बढ़ सकता। आज भारत विश्व में 5 वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनी है। 2030 तक भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। आप सीखें, कमाएं और वापस लौटाएं।

इंदौर जनभागीदारी और जनसहयोग की राजधानी है : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री शविराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में स्वागत करते हुए कहा कि आज समारोह के समापन पर वे भावुक हैं। इंदौर ने बेटी की शादी जैसी तैयारी की और जब बेटी की विदाई होती है तो मन में तकलीफ होती है। समारोह में तीन-तीन राष्ट्रपपति की मौजूदगी से हम गौरवांवित हैं। इंदौर आपसे एकरूप हो गया। सचमुच में इंदौर ने तैयारी वैसे की, जैसे बेटी की शादी की तैयारी करते हैं, लेकिन जब बेटी की विदाई होती है तो मन में तकलीफ होती है।आनंद, उत्सव और उमंग के तीन दिन कब बीते, पता ही नहीं चला। मुख्यमंत्री ने कहा कि कि इंदौर जनभागीदारी और जनसहयोग की राजधानी हैं। ग्लोबल गार्डन में लगाये पेड़ से प्रेम के बंधन में बांधा है। उन्होंने यहां सम्मानित होने वाले लोगों को बधाई दी। उन्होंने ने बेटियों का महत्व बताने के साथ लाड़ली लक्ष्मी योजना की जानकारी दी। उन्होंने इस अवसर पर मध्य प्रदेश की विकास यात्रा का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री प्रवासी भारतीयों से कहा मप्र लगातार आगे बढ़ रहा है। जाते-जाते निवेदन है कि मप्र को भूलना मत। निवेश में योगदान देना। आपको निवेश नहीं करना हो तो दूसरों से करवाएं। वर्ष में एक बार अपने शहर अवश्य आएं और अपना योगदान विकास में दें। हम आपको चीता देखने जरूर बुलाएंगे। अफ्रीका से और चीते मध्य प्रदेश में आएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कि विदाई की बेला है, जब तुम चले जाओगे याद बहुत आओगे। तुम बिन लगेगा राजवाड़ा, छप्पन सूना-सूना। किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी। उन्होंने भारतीय विद्यार्थियों के लिए देश में हेल्प डेस्क के साथ प्रदेश में फ्रेंड्स ऑफ एमपी पोर्टल की जानकारी भी दी।

इन्हें मिला 2022 प्रवासी भारतीय सम्मान :

प्रो. जगदीश चेन्नुपति, आस्ट्रेलिया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी/शिक्षा, प्रो. संजीव मेहता, भूटान, शिक्षा, प्रो. दिलीप लौंडो, ब्राजील, कला और संस्कृति / शिक्षा, डा. अलेक्जेंडर जान, ब्रुनेई दारुएस्सलाम, दवा, डा. वैकुंठम अय्यर लक्ष्मणन, कनाडा, सामुदायिक कल्याण, जोगिंदर सिंह निज्जर, क्रोएशिया, कला और संस्कृति / शिक्ष, प्रो. रामजी प्रसाद, डेनमार्क, सूचना प्रौद्योगिकी, डॉ कन्नन अम्बलम, इथियोपिया, सामुदायिक कल्याण, डॉ. अमल कुमार मुखोपाध्याय, जर्मनी, सामुदायिक कल्याण/चिकित्सा, डॉ. मोहम्मद इरफान अली, गुयाना, राजनीति/सामुदायिक कल्याण, रीना विनोद पुष्करना, इजराइल, व्यवसाय/सामुदायिक कल्याण, डा. मकसूदा सरफी, जापान, शिक्षा, डॉ. राजगोपल, मैक्सिको, शिक्षा, अमित कैलाश चंद्र लाठ, पोलैंड, व्यवसाय/सामुदायिक कल्याण, परमानंद सुखुमल दासवानी, कांगो गणराज्य, सामुदायिक कल्याण, पीयूष गुप्ता, सिंगापुर, व्यवसाय, मोहनलाल हीरा, दक्षिण अफ्रीका, सामुदायिक कल्याण, संजयकुमार शिवभाई पटेल, दक्षिण सूडान, सामुदायिक कल्याण, शिवकुमार नदेसन, श्रीलंका, सामुदायिक कल्याण, डा. दीवान चंद्रभोसे शरमन, सूरीनाम, सामुदायिक कल्याण, डॉ. अर्चना शर्मा, स्विजरलैंड, विज्ञान प्रौद्योगिकी, न्यायमूर्ति फ्रेंक आर्थर सीप्रसाद, त्रिनिदाद और टोबैगो, शिक्षा, सिद्धार्थ बालचंद्रन, यूएई, व्यवसाय/सामुदायिक कल्याण,चंद्रकांत बाबूभाई पटेल, यूके, मीडिया, डॉ. दर्शन सिंह धालीवाल, अमेरिका, व्यवसाय / सामुदायिक कल्याण, राजेश सुब्रमण्यम, अमेरीका, व्यवसाय, अशोक कुमार तिवारी, उज्बेकिस्तान, व्यवसाय।

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