देश की पहली महिला क्रिकेट कमेंटेटर चंद्रा नायडू नहीं रहीं
देश की पहली महिला क्रिकेट कमेंटेटर चंद्रा नायडू नहीं रहीं Social Media
मध्य प्रदेश

इंदौर : देश की पहली महिला क्रिकेट कमेंटेटर चंद्रा नायडू नहीं रहीं

Author : राज एक्सप्रेस

इंदौर, मध्यप्रदेश। भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान कर्नल सीके नायडू की पुत्री और देश की पहली महिला क्रिकेट कमेंटेटर चंद्रा नायडू का रविवार दोपहर 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। चंद्रा नायडू अंग्रेजी की रिटायर्ड प्राध्यापक थी। आपने अपने पिता महान क्रिकेटर सीके नायडू पर पुस्तक भी लिखी थी जिसका शीर्षक "सीके नायडू: ए डॉटर रिमेम्बर्स" था।

चंद्रा नायडू के भतीजे और पूर्व घरेलू क्रिकेटर विजय नायडू ने बताया कि उनकी मौसी ने यहां मनोरमागंज स्थित अपने घर में आखिरी सांस ली। उन्होंने बताया कि चंद्रा नायडू लम्बे समय से उम्र संबंधी व्याधियों से जूझ रही थीं और बीमार होने के कारण चल-फिर नहीं पाती थीं। वह अविवाहित थीं और घरेलू सहायिकाएं बरसों से उनकी देखभाल कर रही थीं।

50 के दशक में उन्होंने ने होलकर कॉलेज में पढाई की, जब लड़कियां सफेद सलवार कमीज पहनकर खेलती थीं। उन्होंने ने खेल में सक्रिय रुचि ली और बाद में वे एक अंतर्राष्ट्रीय मैचों की पहली महिला कमेंटेटर बनी। क्रिकेट के जानकारों के मुताबिक चंद्रा नायडू भारत की शुरूआती महिला कमेंटेटरों में से एक थीं। उन्होंने नेशनल चैम्पियंस बॉम्बे और एमसीसी की टीमों के बीच इंदौर में वर्ष 1977 में खेले गए क्रिकेट मैच में पहली बार कमेंट्री की थी। हालांकि, चंद्रा नायडू क्रिकेट कमेंटेटर के रूप में पेशेवर तौर पर लम्बे समय तक सक्रिय नहीं रही थीं।

उन्होंने खेल में सक्रिय रुचि ली और एक अंतर्राष्ट्रीय मैच की पहली महिला कमेंटेटर बनी। उन्होंने 80 के दशक में महिलाओं के लिए इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट भी शुरू किया था और अपनी मां की याद में एक ट्रॉफी भी दान की थी। वह एमपीसीए की सक्रिय सदस्य थीं और वह रोटरी क्लब ऑफ इंदौर और जायंट्स इंटरनेशनल की एक सक्रिय सदस्य भी थीं और उन्होंने सामाजिक गतिविधियों में खुलकर भाग लिया था।

बीसीसीआई के पूर्व सचिव संजय जगदाले ने चंद्रा नायडू के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह देश के महिला जगत में क्रिकेट कमेंट्री की पुरोधा थीं और उन्होंने अपने मध्यप्रदेश में महिला क्रिकेट को आगे बढ़ाने में भी योगदान किया था। उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि अलग-अलग शहरों में आयोजित मैचों के लिए चंद्रा नायडू राज्य की महिला क्रिकेट टीमों के साथ प्रबंधक तथा अन्य भूमिकाओं में जाती थीं और खिलाडिय़ों का हौसला बढ़ाती थीं।

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