नकली घी बनाने के मामले में आरोपी ने कबूला जुर्म
नकली घी बनाने के मामले में आरोपी ने कबूला जुर्म Deepika Pal-RE
मध्य प्रदेश

नकली घी बनाने के मामले में आरोपी ने कबूला जुर्म, 30 सितंबर तक रिमांड पर

Deepika Pal

इंदौर, मध्यप्रदेश। प्रदेश में महामारी का प्रकोप जहां बढ़ते संक्रमण के साथ अब भी जारी है तो वहीं संक्रमण काल के बीच कई अप्रत्याशित घटनाएं भी सामने आती जा रही हैं, इस बीच ही बीते दिन पहले खजराना क्षेत्र में नकली घी बनाने के कारखाने पर क्राइम ब्रांच की दबिश के बाद अब गिरफ्तार किए आरोपी अशरफ ने जुर्म कबूल कर लिया है। जिसके बाद आरोपी को कोर्ट ने 30 सितंबर तक रिमांड पर सौंप दिया है।

क्या था पूरा मामला

मिली जानकारी के अनुसार, यह मामला शहर के खजराना क्षेत्र का है जहां क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि,एक कारखाने में नकली घी बनाकर बाजार में बेचा जाता है। जिस पर कार्रवाई करते हुए क्राइम ब्रांच ने पुलिस और खाद्य विभाग की टीम के साथ शुक्रवार को खजराना क्षेत्र में नकली घी बनाने के कारखाने पर दबिश दी है। बताते चलें कि, आरोपी इंदौर, उज्जैन सहित अन्य पड़ोसी जिलों के व्यापारियों को नकली घी बेचता था। यह डालडा में सनफ्लावर तेल और सुगंध वाला केमिकल मिलाकर अमूल, सांची और नोवा ब्रांड के नाम से पैकिंग कर व्यापारियों को 300 रु. किलो में बेचता था।

शादी-ब्याह और बड़े आयोजनों में खपाता था घी

इस संबंध में, क्राइम ब्रांच और पुलिस की टीम ने जब आरोपी से पूछताछ की तो बताया कि, जो भी घी बनाया है, उसे शादी-ब्याह और बड़े आयोजनों में खपाया है। जिसे लेकर उसके पास से मिले रजिस्टर में खजराना क्षेत्र के ही कुछ व्यापारी और आसपास के ग्रामीण अंचलों के व्यापारियों के नंबर मिले हैं। बताते चलें कि आरोपी ने नकली नमक व मक्खन भी बनाया था।

आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते अपनाया ये गोरखधंधा

इस संबंध में, आरोपी से पूछताछ के बाद एसपी विजय खत्री ने बताया कि, आरोपी 2018 में ऑटो रिक्शा चलाता था। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते किसी व्यक्ति की सलाह पर नकली घी का कारोबार शुरू किया। वहीं अमूल, सांची और नोवा कंपनी के स्टीकर ग्वालियर से तैयार कराए जाते थे। फिलहाल अभी ब्रांडेड कंपनियों के स्टीकर वह ग्वालियर में कहां से बनवाता था, इस बात को लेकर टीम पूछताछ कर रही है। साथ ही पूछताछ में आया कि, ग्वालियर में किसी अजीत नामक व्यक्ति के द्वारा नामी कंपनियों के स्टीकर प्रिंट करके और घी के खाली टिन, डिब्बे भी बस से भेजे जाते थे।

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