नहीं रुक सका हिंगोट युद्ध, पुलिस के हटाते ही चले अग्निबाण
नहीं रुक सका हिंगोट युद्ध, पुलिस के हटाते ही चले अग्निबाण Ravi Verma
मध्य प्रदेश

Indore : नहीं रुक सका हिंगोट युद्ध, पुलिस के हटाते ही चले अग्निबाण

Mumtaz Khan

इंदौर, मध्यप्रदेश। दीपावली के दूसरे दिन धोक पड़वा पर पुलिस-प्रशासन ने गौतमपुरा में होने वाले हिंगोट युद्ध को रोकने के लिए सभी प्रयास किए, यहां तक कि अस्थाई पुलिस चौकी बनाकर निगरानी की। 32 लोगों से बांड भी भरवाए, लेकिन इसके बाद भी हिंगोट युद्ध नहीं रोक पाई। शाम के समय होने वाले हिंगोट युद्ध को लेकर शुक्रवार सुबह से यहां का माहौल गर्म था। तमाम कोशिशों के बाद भी किसी भी तरह की हिंगोट युद्ध की अनुमति नहीं मिली थी।

शुक्रवार को जैसे-जैसे शाम नजदीक आती जा रही थी, स्थानीय ग्रामीणों की बेचैनी साफ बढ़ती देखी जा सकती थी। शाम ढल गई और रात भी हो गई, लेकिन हिंगोट युद्ध नहीं हो पाया। देर रात 11.30 बजे जैसे ही पुलिस-प्रशासन का अमला युद्ध वाले मैदान से हटा, 25 से ज्यादा लोगों (योद्धा) ने मैदान की ओर दौड़ लगा दी और करीब 15 मिनट तक एक-दूसरे पर हिंगोट फेंके कर हिंगोट युद्ध की परंपरा निभा दी।

इनका कहना था कि पुलिस-प्रशासन ने अपना काम किया है और हमने हमारा। उल्लेखनीय है कि कोरोना प्रोटोकॉल की आड़ में गौतमपुरा में हर बरस दीपावली के अगले दिन होने वाले हिंगोट युद्ध को जिला प्रशासन ने इजाजत नहीं दी। कलंगी और तुर्रा दोनों ही दल के योद्धाओं को 2 दिन पहले गौतमपुरा थाने पर बुलाया गया था जहां उनसे एक बॉन्ड पर दस्तखत लिए गए जिसमें किसी भी घटना पर जिम्मेदारी उन्हीं योद्धाओं की बताई गई थी। हालांकि जिला प्रशासन ने पुलिस की पुख्ता व्यवस्था करते हुए युद्ध वाले मैदान के नजदीक एक चौकी भी बनाई थी।

गौतमपुरा के लोगों का कहना है कि हिंगोट हमारी सदियों पुरानी परंपरा है। प्रशासन ने कोरोना का हवाला देकर इसे बंद कराना चाहा, लेकिन हमें परंपरा बरकरार रखना है, जिसे हमने रखा। ये भाईचारे का युद्ध है। इसे जीवित रखना बहुत जरूरी है। नहीं तो धीरे-धीरे हिंदू धर्म की सारी परंपरा विलुप्त हो जाएगी। प्रशासन की मनाही के बावजूद लोगों ने घरों से हिंगोट छोड़े। प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, क्योंकि प्रशासनिक अधिकारियों का यही कहना था कि कोरोना की वजह से भीड़ वाले आयोजन पर रोक है। पुलिस ने 32 लोगों को चिन्हित कर उनसे बॉन्ड भरवाया था। उन्हें चेतावनी दी गई है कि माहौल बिगडऩे पर वे जिम्मेदार होंगे। उन पर शांति भंग करने की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद शाम को लोग परंपरा निभाने के लिए घरों से ही हिंगोट फेंकने लगे थे, लेकिन रात 11 बजे के बाद कई योद्धा मैदान में उतर आए और हिंगोट चलाए।

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