निगम का परिषद भवन
निगम का परिषद भवन Raj Express
मध्य प्रदेश

Indore : अभी भी गति नहीं पकड़ी निगम के परिषद भवन के निर्माण कार्य ने

राज एक्सप्रेस

इंदौर, मध्यप्रदेश। नगर निगम परिसर में नए परिषद भवन का निर्माण किया जा रहा है। इस कार्य की इतनी धीमी रफ्तार है कि करीब दस वर्ष में भी यह बनकर तैयार नहीं हुआ है। इस तरफ नगर निगम के जिम्मेदारों का शुरू से ध्यान ही नहीं रहा है। इस दौरान निगम के जितने भी सम्मेलन, आयोजन हुए हैं, उस पर अब तक निगम करोड़ो रुपए खर्च चुका है, लेकिन इसके बाद भी सभी बेफिक्र हैं।

नई परिषद के कार्यभार ग्रहण करने के बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने जरूर कहा था कि हम जल्द से जल्द परिषद भवन का निर्माण कार्य पूरा कराएंगे। इसके लिए राशि भी स्वीकृत की गई और निर्माण कार्य में भी हलचल दिखी थी, लेकिन फिर उसी रफ्तार से भवन का कार्य चल रहा है।

21 माह में कार्य पूर्र करने का था लक्ष्य :

निगम के नए परिषद भवन के निर्माण की शुरूआत 27 अक्टूबर 2014 को की थी। इसके निर्माण के लिए 11 करोड़ 11 लाख 50 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी। निर्माण कार्य तेजी से शुरू भी हुआ था, लेकिन इसके बाद जो अटका तो दस वर्ष भी भवन बनकर तैयार नहीं हुआ है। जबकि इस भवन के निर्माण की समय सीमा 21 माह रखी गई थी। ऐसा कोई बड़ा कारण भी नहीं है कि भवन का काम जिसकी वजह से अधूरा पड़ा है। निगम के पास बजट की कमी नहीं है। जितना निर्माण का बजट है, संभवत: इतनी राशि तो अब तक निगम किराए में दे चुका होता। यदि परिषद भवन बन जाता, तो निगम चाहता तो उसे किराए पर देकर राशि भी कमा सकता था, लेकिन समय पर भवन ही नहीं बना।

वर्तमान में भी धीमी गति से चल रहा है कार्य :

भवन में नगर निगम के महापौर, सभापति और नेता प्रतिपक्ष नेता, महापौर परिषद के कैबिन के साथ ही अलग से परिषद हॉल और कांफ्रेंस हाल भी बनाए जा रहे हैं। लेटलतीफी के कारण इसका भवन का बजट बढ़कर करीब 18 करोड़ कर दिया गया था। परिषद भवन का कार्य लंबे समय तक रुका रहा था। इसके चलते 2021 में नेताप्रतिपक्ष, नगर निगम द्वारा कोर्ट में याचिका भी लगाई गई थी। इसमें सवाल उठाया था कि नगर निगम द्वारा गत पांच वर्षों में करोड़ों रुपए किराया चुकाने में खर्च कर दिए हैं, परिषद भवन का निर्माण क्यों नहीं जल्द पूरा किया जा रहा है। इसके बाद भी अब तक भवन का काम धीमी रफ्तार से ही रुक-रुककर चल रहा है और जिस हिसाब से भवन का निर्माण हो रहा है, उसमें कई महीने लगेंगे। बड़ा सवाल यह है कि नगर निगम शहरभर में चल रहे निर्माण कार्यों में लेटलतीफी को लेकर संबंधित कंपनी को ब्लैक लिस्टेट, पैनल्टी के साथ ही निर्माण एजेंसी तक बदल देता है, तो फिर यहां पर ऐसी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।

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