कोरोना के सबक शामिल होंगे बिजनेस स्कूलों के पाठ्यक्रमों में
कोरोना के सबक शामिल होंगे बिजनेस स्कूलों के पाठ्यक्रमों में Social Media
मध्य प्रदेश

कोरोना के सबक शामिल होंगे बिजनेस स्कूलों के पाठ्यक्रमों में

Author : राज एक्सप्रेस

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के इंदौर में आमतौर पर बिजनेस स्कूलों में आपातकाल से पैदा हुए आर्थिक गतिविधियों पर पड़े प्रभावों का आंकलन किया जाता है या अचानक आई मंदी के विभिन्न आयामों को पढ़ाया जाता है लेकिन अब तक किसी महामारी के कारण लंबे दीर्घकालिक आर्थिक प्रभाव को पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया गया है। अब यह तरीका बदल जाएगा और इसमें दीर्घकालिक परिणामों की व्याख्या को शामिल किया जाएगा।

इसे लेकर अब बिजनेस स्कूलों में महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, वर्क फ्रोम होम के कारण मानव संसाधन प्रबंधन की गतिशीलता में परिवर्तन, मूल्य नियंत्रण, संवहनीयता, स्थानीयता, प्राकृतिक आपदा और महामारी के समय व्यापार की रणनीति, जोखिम प्रबंधन, अनिश्चितता के दौर में निर्णय प्रक्रिया जैसे कई नए विषय को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना है।

कोरोना ने पूरी जिंदगी की गति थाम दी है। इसका अंत कब होगा और जीवन कब अपनी गति पकड़ेगा, कोई नहीं जानता। इस परिस्थिति से निपटने के लिए देश में लंबे समय से लॉकडाउन है। लॉकडाउन कब खत्म होगा, इस पर गहराई से चिंतन किया जा रहा है लेकिन इस लॉकडाउन से उत्पन्न लंबे दीर्घकालिक परिणामों ने देश के बिजनेस स्कूलों को अलग से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।

यही कारण है कि इंदौर समेत देश के कई प्रबंधन संस्थानों में कोरोना से पैदा हुए लंबे आर्थिक परिणामों की समग्र व्याख्या को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार चल रहा है। कई बिजनेस स्कूलों ने अपने पाठ्यक्रम में इसे शामिल भी कर लिया है। आईआईएम इंदौर, कोलकाता, बेंगलुरु, लखनऊ कोविड-19 के विभिन्न आयामों को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर काम कर रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो फैकल्टी महामारी से उत्पन्न समस्याओं के कई आयामों पर काम कर रही है। फैकल्टी महामारी के विभिन्न आयामों से निपटने के लिए नेतृत्व क्षमता के मुद्दे पर गहराई से विमर्श कर रही है। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि स्टार्टअप, तकनीकी, अर्थव्यवस्था और व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर महामारी का किस तहर से असर पड़ रहा है। इन मुद्दों को लेकर फैकल्टी के सदस्य एक-दूसरे के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान कर रहे हैं। कई सदस्य इस विषय को लेकर शोध पत्र तैयार करने में लगे हैं। इन शोध पत्रों को जर्नल में प्रकाशित करवाया जाएगा। इनमें से ज्यादातर शोध पत्र सैद्धांतिक अनुप्रयोग के रुप में क्लासरुम का हिस्सा बन सकते हैं। क्लासरुम मेें किस तरह की केस स्टडी को शामिल किया जाए इसकी रुपरेखा भी तैयार की जा रही है।

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