क्रिकेट सट्टे को रोकने के हाइटेक इंतजाम
क्रिकेट सट्टे को रोकने के हाइटेक इंतजाम Social Media
मध्य प्रदेश

इंदौर : क्रिकेट सट्टे को रोकने के हाइटेक इंतजाम

Author : Piyush Mourya

इंदौर, मध्य प्रदेश। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का श्रीगणेश 19 सितंबर से होने वाला है। इस बार ये दुबई में हो रहा है। कोरोना काल में हो रहा ये आईपीएल बेहद ही महत्वपूर्ण हो गया है। आईसीसी का मुख्यालय दुबई में है इसके साथ ही क्रिकेट सट्टे को लेकर दुबई पहले ही काफी कुख्यात हैं। देश में भी क्रिकेट सटोरियों ने अपना जाल फैलाना शुरु कर दिया है। सोशल मीडिया पर रोजगार देने के बहाने कई क्रिकेट बुकी युवाओं को अपने जाल में फंसाने के लिए सक्रिय हो गए हैं। कोरोना काल में होने वाले इस आयोजन को लेकर ये भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार आईपीएल में रिकार्ड तोड़ क्रिकेट सट्टे सौदे होंगे। 10 नवंबर तक चलने वाले इस क्रिकेट उत्सव को लेकर अब सटोरियों ने भी प्लानिंग शुरु कर दी है। हाईटेक होते जा रहे देेश में अब सट्टा भी हाईटेक ही होगा। वैसे भी पिछले तीन चार साल के मामलों में पर नजर डाली जाए तो क्रिकेट का सट्टा हाईटेक तरीके से ही होता पाया गया है। क्राइम ब्रांच ने भी सटोरियों पर पैनी नजर रखने के साथ ही हाईटेक तरीके से होने वाले सट्टे को पकड़ने के लिए हाईटेक इंतजाम कर लिए हैं।

चलते-फिरते होते हैं सौदे :

कुछ अरसे से क्रिकेट सट्टे के सौदे चलते फिरते होने लगे हैं। बुकी या तो कार किराए से ले लेते हैं या फिर निजी कार में शहर के आसपास के इलाकों में घूमते रहते हैं। इसी तरह मोबाइल, लैपटाप आदि पर क्रिकेट सट्टे के सौदे कर लेते हैं। इस तरह के कई बुकी सक्रिय रहते हैं। पुलिस से बचने के लिए ये तरीका अपनाते हैं। सटोरिए यदि हाईटेक तरीका अपनाते हैं तो क्राइम ब्रांच भी इन्हें दबोच ही लेती है। मार्च 2019 में क्राइम ब्रांच ने लसूडिय़ा के चिकित्सक नगर में इस तरह के सट्टे का भंडाफोड़ किया था। कार में क्रिकेट सट्टा करते हुए 5 आरोपियों को पकड़ा गया था।

कई महानगरों से जुड़े होते हैं तार :

शहर के कई कुख्यात बुकी सक्रिय दिखने लगे हैं। बताते हैं कि वे अपने एजेंटों से संपंर्क कर रहे हैं। एजेंट भी लाक डाउन की कड़की आईपीएल से दूर करना चाहते हैं। इस तरह के बुकी और एजेंटों के बारे में ये भी आशंका है कि ये शहर के बाहरी इलाकों से अपना काला धंधा चलाएंगे। इस तरह के सटोरिए पूर्व में भी पकड़े जा चुके हैं। अप्रैल 2019 पीथमपुर में क्राइम ब्रांच ने ऐसा क्रिकेट सट्टा पकड़ा था जिसमें कई कुख्यात बुकी शामिल थे। करीब आधा दर्जन एजेंटों को गिरफ्तार कर लाखों रुपए का सट्टे का हिसाब मिला था। जांच पड़ताल में पता चला कि इन बुकियों के तार कई महानगरों से जुड़े थे। लाखों के हिसाब के साथ कई महानगरों से भी इन एजेंटो के तार जुड़े हुए थे। इनके खिलाफ भी क्राइम ब्रांच ने ही कार्रवाई की थी।

आन लाइन भी चलता है क्रिकेट सट्टा :

युवा वर्ग भी अब क्रिकेट सट्टे की ओर आकर्षित होने लगा है। हालात तो ये हैं कि सोशल मीडिया पर दिनभर अपना समय बिताने वाले ये युवा आन लाइन क्रिकेट सट्टा भी खेलते हैं। इन युवाओं को इस बात की पूरी जानकारी रहती है कि कहां कौन आन लाइन क्रिकेट सट्टे के सौदे कर रहा है। कई युवा कमाई के लिए इस तरह के सटोरियों के एजेंट बन जाते हैं। आन लाइन क्रिकेट सट्टा कोई नई बात नहीं है। मई 2019 में बेटमा में आन लाइन क्रिकेट सट्टा पकड़ा गया था। इसमें एक युवक तो बेटमा की रहने वाला था जबकि दूसरा नंदानगर का रहने वाला था। इनके पास से 7 मोबाइल और लाखों रुपए का क्रिकेट हिसाब किताव मिला था।

पेटीएम, गूगल पे पर बलन बांटने की तैयारी :

डिजीटल युग में क्रिकेट सटोरिए भी पीछे नहीं है। कई सटोरियों के एजेंटों ने गूगलपे औ पेटीएम जैसे एप के सहारे बलन बांटने की तैयारी कर रखी थी। सटोरियों का मानना है कि इसमें रिस्क बहुत कम रहती है। कोरोना से बचाव में भी ये स्कीम कारगर सिद्ध होगी। क्रिकेट सटोरिए भी इस तरह के इंतजाम से बेखौफ होकर अपने सौदे उतारेंगे। इस तरह का एक गैंग अक्टूबर 2019 में तिलकनगर के वंदना नगर में पकड़ा गया था। ये गैंग क्रिकेट सट्टे की बलन गूगलपे और पेटीएम के जरिए बांटते थे। गैंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। इस बार भी इस तरह के तरीकों से निपटने के लिए क्राइम ब्रांच की टीम तैयारी कर रही है।

क्रिकेट सटोरियों को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे : एएसपी

एएसपी क्राइम राजेश दंडोतिया के मुताबिक आईपीएल को लेकर यदि क्रिकेट सटोरिए तैयारी कर रहे हैं तो उनकी धरपकड़ के लिए हमारी टीम भी तैयार है। हाईटेक तरीके से क्रिकेट का सट्टा रोकने के लिए हम भी हाईटेक तरीके अपनाएंगे। क्रिकेट सटोरियों की सूची तैयार हो रही है। उन पर अभी से पैनी नजर है। उन्हें किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ा जाएगा। पता तो ये भी चला है कि क्रिकेट सटोरिए रासुका और जिलाबदर की कार्रवाई से डरकर भूमिगत हो गए हैं या फिर शहर छोड़कर चले गए हैं।

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