उच्च न्यायालय ने बुर्जग महिला की याचिका स्वीकार की
उच्च न्यायालय ने बुर्जग महिला की याचिका स्वीकार की सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

Indore : उच्च न्यायालय ने बुर्जग महिला की याचिका स्वीकार की

Satish Dixit

इंदौर, मध्यप्रदेश। उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला ने बुर्जग महिला की और से प्रस्तुत याचिका स्वीकार कर याचिका का निराकरण करते हुए दंपति को आदेश दिया कि वे दो माह के भीतर मकान खाली कर उसका कब्जा बुजुर्ग महिला को सौंप दें। 90 साल की नि:संतान विधवा महिला को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है।

कोर्ट ने माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण अधिनियम के तहत आदेश पारित करते हुए महिला के दूर के रिश्तेदारों को आदेश दिया है कि वे दो माह के भीतर बुजुर्ग महिला का मकान खाली करें।

मामला बुजुर्ग महिला शकुंतला सक्सेना का है। महिला का जगन्नाथ की चाल चितावद स्थित एक मकान है। इस मकान को कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने अपनी रिश्तेदार शिल्पी व उनके पति ललित को रहने के लिए दिया था। दंपति ने बुजुर्ग महिला से यह मकान अपनी आर्थिक समस्या का हवाला देते हुए कुछ दिनों के लिए लिया था। लेकिन मकान में रहने की जगह मिलने के बाद दंपति ने महिला को परेशान करना शुरू कर दिया। दंपति ने घर में ही प्रिंटिग का काम शुरू कर दिया। इसमें इस्तेमाल होने वाले केमिकल की वजह से बुजुर्ग महिला की तबीयत बिगड़ने लगी। बुर्जग महिला की ओर से पेश याचिका पर यह दलील पेश की गई कि दंपति बुजुर्ग महिला को घर में एक कमरे में बंद करके रखते थे। परेशान होकर महिला ने 28 जून 2021 को माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण अधिनियम के तहत एसडीएम के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया था। इसका निराकरण करते हुए एसडीएम ने दंपति को बुजुर्ग महिला को प्रताड़ित न किए जाने के संबंध में आदेश जारी कर दिया। इस आदेश के खिलाफ बुजुर्ग महिला ने कलेक्टर के समक्ष अपील प्रस्तुत की लेकिन कलेक्टर ने 18 जनवरी 2022 को अपील यह कहते हुए निरस्त कर दी कि उन्हें बेदखली का आदेश देने का अधिकार नहीं है। बुर्जग महिला ने डीएम और एसडीएम द्वारा पारित आदेशों को चुनौती देते हुए एडवोकेट हर्षवर्धन शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इसकी सुनवाई के दौरान महिला के मकान पर कब्जा करने वाले दंपति ने जवाब दिया कि महिला के मृत पति ने उन्हें गोद लिया था। उन्होंने इस मकान के संबंध में एक वाद जिला न्यायालय में दायर किया है जो लंबित है।

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