फर्जी ई-वे बिल की जांच में आयकर विभाग जुटा
फर्जी ई-वे बिल की जांच में आयकर विभाग जुटा सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

Indore : फर्जी ई-वे बिल की जांच में आयकर विभाग जुटा

Satish Dixit

इंदौर, मध्यप्रदेश। फर्जी ई-वे बिल की जांच में आयकर विभाग जुट गया। विभाग ऐसे लोगों की सूची तैयार कर रहा है और जल्द उन पर कार्रवाई करेगा। राज्य और केंद्र सरकार फर्जी लेनदेन को रोकने के लिए कई नीतिगत उपाय करती है, लेकिन इसके बाद भी साल दर साल रिपोर्ट किए गए फर्जी लेनदेन मामलों की संख्या बढ़ रही है। दिसंबर 2021 में गुजरात के एसजीएसटी डिपार्टमेंट ने फर्जी बिलिंग घोटाला उजागर किया था। रिपोर्ट के अनुसार इसमें 1875 ऐसी कंपनियां मिली, जिनके कथित कारोबार के आधार पर 4264 करोड़ रुपये का आईटीसी विड्राल किया गया। इसमें अप्रैल-दिसंबर 2021 तक गुजरात एसजीएसटी ने नकली बिलिंग के 1172 मामलों का पता लगाया गया था। जो 2018-19, 2019-20 और 2020-21 की तुलना में 67 3 में फीसदी अधिक थे। इसीलिए गुजरात को फर्जी बिलिंग का बड़ा गढ़ माना जा रहा है।

सीजीएसटी और साइबर क्राइम इंदौर ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करके गुजरात से नकली बिलों का जो फर्जीवाड़ा उजागर किया है वह कई महीनों से चला आ रहा है। आमिर हालानी और अरशान मर्चेंट ही नहीं, गुजरात में ऐसे 50 से अधिक समूह हैं, जो फेक इनवॉइस बनाकर पूरे देश में सप्लाई कर रहे हैं। इन्हीं बिलों के दम पर सालाना ढाई हजार करोड़ अधिक का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) क्लैम किया जा रहा है। चूंकि सरकार क्लैम के तौर पर यह राशि कथित कारोबारियों को वितरित कर चुकी होती है, इसीलिए इस राशि की रिकवरी भी नहीं हो पाती।

क्यों रजिस्टर्ड हो रही है बोगस फर्मों :

जीएसटी रजिस्ट्रेशन की सबसे बड़ी खामी है बिना भौतिक सत्यापन के कंपनियों का पंजीयन सिर्फ संचालकों के आधार कार्ड व अन्य दस्तावेजों पर ही किया जाना। जीएसटी काउंसिल ने दिसंबर 2020 में जीएसटी पंजीकरण के लिए भौतिक सत्यापन अनिवार्य कर भी दिया, लेकिन न सीजीएसटी के अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन में रुचि ली, न एसजीएसटी डिपार्टमेंट ने।

विभाग कार्रवाई कर रहा है लेकिन सीजीएसटी की ही टीम मास्टर माइंड तक पहुंचने और फर्जी फर्मों का सर्कल बैठाकर फर्जीवाड़ा तह तक, उजागर करने में कामयाब रही। अभी तक की छानबीन में यह भी पता चला है कि गुजरात में ऐसे कई समूह हैं जिन्होंने कई बोगस फर्में बना रखी है।

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