किसान को सलाह देकर दुकानदार को बचा रहे हैं अधिकारी
किसान को सलाह देकर दुकानदार को बचा रहे हैं अधिकारी Raj Express
मध्य प्रदेश

इंदौर : किसान को सलाह देकर दुकानदार को बचा रहे हैं अधिकारी

Author : Piyush Mourya

इंदौर, मध्य प्रदेश। बीज कंपनी गोल्डन सीड्स व दुकानदार के खिलाफ पीड़ित किसान ने बुधवार को उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। भारी भरकम रुपए खर्च करके गाजर की फसल तैयार करने वाले किसान को उस वक्त ठगी का सामना करना पड़ा जब कंपनी द्वारा बताई गई फसल की साइज और पैदा हुई फसल की साइज में जमीन आसमान का अंतर देखने को मिला। नामी कंपनी के बीज के नाम पर घटिया क्वालिटी का बीज किसान को थमा दिया गया जिससे उसे लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।

अधिकारियों ने कहा किसी भी भाव में बेच दो फसल

किसान ने गोल्डन सीड्स गाजर का बीज कृषि सुधार बीज भंडार, नंदलालपुरा इंदौर से खरीदा। बीज खरीदी के समय कंपनी व दुकानदार के द्वारा किसान को अच्छी क्वालिटी का बीज होना बताया गया। जब किसान ने उसे अपने खेत में बोया व खाद, दवाई की मात्रा सामान्य प्रकार से देने के बाद जब गाजर की फसल की पककर तैयार हुई तो गाजर की फसल की लंबाई सिर्फ तीन इंच के आसपास ही निकली जबकि कंपनी द्वारा बताया गया कि 10 से 12 इंच लंबी साइज की गाजर बनेगी। साथ ही गाजर के पौधे ने अनेक जगह से फुटाव किया, जिससे यह साबित होता है कि सान को हल्की क्वालिटी का गाजर का बीज दिया गया था। पीड़ित किसान ने इसकी शिकायत उद्यानिकी विभाग को भी। विभाग के अधिकरी और वैज्ञानिकों दल ने खेत पर पहुंचकर पंचनामा बनाते हुए वास्तुस्थिति को समझा। उसके बाद किसान को सलाह दी कि वह किसी भी भाव में अपनी फसल को बेच दें जिससे कुछ तो लागत निकलें। किसान महेंद्र पिता प्रेम नारायण का कहना हैं कि मैंने पहले ही भारी भरकम रुपए खर्च करके फसल तैयार की थी और नामी कंपनी का बीज लिया था। इसके बाद भी घटिया बीज मुझे दिया गया। मेरी लागत भी नहीं निकल पा रही है। लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। अधिकारियों ने कंपनी व दुकानदार पर कोई कार्यवाही नहीं की।

किसान को समझाइश देकर बचा लेते हैं दुकानदार को :

उचित न्याय नहीं मिलने पर उपभोक्ता फोरम का दरवाजा किसान ने खटखटाया है। इस मामले में भारतीय किसान मजदूर सेना के प्रदेश अध्यक्ष बबलू जाधव का कहना है यह पहली बार नहीं है जब अधिकारियों ने किसान को समझाइश देकर दुकानदार और नामी कंपनियों को सीधे-सीधे बचा लिया हो। कंपनियों और दुकानदारों को बचाने का काम अधिकारी की ओर से ही किया जाता है। यदि अधिकारी कंपनी पर उचित कार्यवाही करती तो किसान को उपभोक्ता फोरम नहीं जाना पड़ता। बबलू का कहना हैं कि दुकानदार कई बार कमाने के चक्कर में किसान को घटिया क्वालिटी का बीज भी थमा देते हैं जो कि उपर से नामी कंपनी की छाप लगी रहती है जिससे किसान को लाखों रुपए की लागत लगाकर भी कुछ हासिल नहीं होता है। बबलू का कहना है, बुधवार को किसान ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया है। अभी तक ना तो बीज कंपनी गोल्डन सीड्स व दुकानदार के खिलाफ अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की और ना ही किसान को जो नुकसान हुआ है उसकी अब तक भरपाई करवाई गई।

यह है मामला :

मामला इंदौर जिले के नजदीक कम्पैल गांव का है। गांव के किसान महेंद्र पिता प्रेमनारायण चौधरी ने गाजर का बीज गोल्डन सीड्स की वैरायटी गोल्डन रोजी के नाम का बीज कृषि सुधार बीज भंडार नंदलालपुरा बीज भवन इंदौर से खरीदा था। किसान को दुकानदार ने 600 रुपए प्रति किलो के हिसाब से 8 किलो बीज दिया जो कि 4800 रुपए का किसान ने दुकानदार से खरीदा।

जब फसल पककर तैयार हुई तो गाजर की लंबाई तीन इंच के आसपास ही बनी जिसमें बीच में से जगह-जगह फुटाव किया गया जबकि देसी गाजर की लंबाई लगभग 1 फीट के आसपास होती है। इसमें इस तरह की समस्या भी नहीं आती लेकिन गोल्डन सीड्स गोल्डन रोजी का बीज किसान को खरीदना महंगा पड़ गया। जबकि किसान को प्रमाणित बीज व नामी कंपनी का बीज खरीदने पर भी लाखों रुपए का घाटा उठाना पड़ेगा।

राज एक्सप्रेस की खबर के बाद दल ने किया खेत का निरीक्षण :

अमानक गाजर के बीज से किसानों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। राज एक्सप्रेस में प्रमुखता से खबर प्रकाशित किए जाने के बाद उद्यानिकी विभाग और कृषि वैज्ञानिक का दल ने किसान के खेत का निरीक्षण किया। जांच में अधिकारियों ने पंचनामा बनाकर मौके पर पाया कि जो गाजर खेत में उगी है उसकी साइज किसान के शिकायत के आधार पर बिल्कुल सही है। जब फसल पककर तैयार हुई तो गाजर की लंबाई तीन इंच के आसपास ही बनी जिसमें बीच में से जगह-जगह फुटाव किया गया जबकि देसी गाजर की लंबाई लगभग 1 फीट के आसपास होती है। अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान पाया कि खेत में बिल्कुल बोना साइज उगा है जबकि किसान ने सही मात्रा मेें दवाई, खाद का उपयोग किया, लेकिन फिर भी फसल बाजार में बेचने लायक नहीं रही। अधिकारियों की जांच दल ने इस बात की पुष्टि की इसके बावजूद किसान को उचित न्याय नहीं दिया गया। अधिकारियों की ओर से उचित कार्यवाही नहीं किए जाने पर न्याय की आस में किसान को उपभोक्ता फोरम जाना पड़ा।

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