शहडोल, मध्य प्रदेश। ढ़ाई से तीन साल पहले जिले की नगर पालिका शहडोल, बुढ़ार, धनपुरी व जयसिंहनगर की चुनी हुई परिषद का कार्यकाल खत्म होने के बाद धनपुरी छोड़ बाकी स्थानों पर चुनाव संपन्न हो गये। वार्डाे के आरक्षण और अपने रसूख का राजनीति को बचाये रखने के लिए कुछ नौकरशाहों और राजनीति के चेहरों ने लोकतंत्र के आड़े आकर उच्च न्यायालय का सहारा लिया और तब से अब तक पहले भाजपाई, फिर कांग्रेसी और अब फिर भाजपा का चोला ओढ़कर तथाकथित लोग चोर दरवाजों से नगर की सत्ता की मलाई चट कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार दरकिनार, फिर छाबड़ा सरकार :
लगभग 8 साल पहले हुए निकाय के चुनावों में भाजपा की टिकट से पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष ने विजयश्री हासिल कर अपनी पत्नी को नगर के प्रथम व्यक्ति के कुर्सी पर बैठाया था, 5 साल के कार्यकाल में नेताजी फर्श से अर्श तक पहुंच गये, लेकिन समय का पहिया घूमा तो, उनकी पूरी टीम सामने खड़ी नजर आने लगी और भ्रष्टाचार के सैकड़ों आरोप लगने लगे। विरोधी कांग्रेस, बहुजन, समाजवादी आदि दलों से तो, नेताजी ने मैनेजमेंट कर लिया, लेकिन अपनी ही पार्टी के लोगों ने उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप न सिर्फ लगाये बल्कि, मामला प्रमाणित करवा कर अपराध दर्ज होने तक पहुंचा दिया। 15 महीनों तक कांग्रेस की सरकार ने उनके मामले को ठण्डे बस्ते में जरूर रखा, लेकिन भाजपा के पुन: सत्ता में आने के बाद यहां दो प्रमुख बातें सामने आई, जिसमें पहली यह कि अध्यक्ष के भ्रष्टाचार की कहानी फिर गूंजने लगी और पिछले दरवाजे से पुन: सड़क व अन्य निर्माण तथा सप्लाई के नाम पर पूर्व अध्यक्ष का नपा में दखल बढ़ गया।
हर दिन लगती है हाजरी :
इन्द्रजीत सिंह छाबड़ा दो बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं, हालाकि अभी विधानसभा और लोकसभा के चुनाव काफी दूर हैं, बावजूद इसके शायद संगठन पार्टी के अंदर पड़ी फूट को भांप कर कोयलांचल का प्रभार ऑफ रिकार्ड पूर्व अध्यक्ष को सौंप चुके है, यही कारण है कि नगर पालिका धनपुरी की हर फाईल और हर बड़े काम पर पूर्व के 5 वर्षाे की तरह एक बार फिर "पूरन प्यारी छाया" की रौनक न सिर्फ लौट आई है, बल्कि नगर पालिका के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के द्वारा भी अलग-अलग प्रकार की यहां सेवा देने की खबर है।
उधड़ने लगी "एबब" वाली सभी सड़कें :
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष इन्द्रजीत सिंह छाबड़ा की पत्नी श्रीमती रविन्दर कौर छाबड़ा के कार्यालय के दौरान नगर पालिका के द्वारा बनवाई गई, सीसी सड़क से लेकर डामर वाली लगभग सड़कें चंद वर्षाे में ही जीर्णाेद्वार की हालत में पहुंच गई है। सड़क चाहे वार्ड नंबर 19 व 20 की हो, पुष्पेन्द्र सिंह के पार्षदी काल में लगभग 50 से 74 प्रतिशत एबब में बनी सड़कें जर्जर हो चुकी हैं। धनपुरी से कालेज चौराहे और चौराहे से बुढ़ार व हरदी मार्ग का ठेका भी निविदा राशि से कहीं अधिक में भले ही किसी ने लिया हो, लेकिन अंदर की कहानी घाटे में गये ठेकेदार आज भी चिल्ला-चिल्ला कर बयां कर रहे हैं। एक बार फिर इन्हीं सड़कों के रास्ते से चाचा सत्ता के रसूख का चोला ओढ़कर नपा और विरोधी गुट को अपने कद का एहसास करा रहे हैं।
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