ग्वालियर, मध्य प्रदेश। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी (ग्वालियर-चम्बल संभाग) केके मिश्रा ने राज्य सरकार की अर्कमण्यता, शाब्दिक सक्रियता और लापरवाही के कारण प्रदेश में कोरोना अनियंत्रित हो गया है।
मिश्रा ने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि राज्य को कोरोना संक्रमण का विंध्याचल बनाने के लिये सरकार और भाजपा के राजनैतिक आयोजन जिम्मेदार है। प्रदेश की जनता कोरोना और जबकि मुख्यमंत्री चौहान को कमलनाथ से भय लग रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को कोरोना संक्रमण को लेकर श्वेत-पत्र जारी करना चाहिए। मिश्रा ने मुख्यमंत्री से भी जानना चाहा है कि उनके कोरोना पॉजिटीव पाये जाने और अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उन्होंने प्लाज्मा डोनेट करने की घोषणा की थी, क्या वह पूरी हो पाई है?
अपने आरोपों को स्पष्ट करते हुए मिश्रा ने सरकार से जानना चाहा है कि क्या कारण है कि राज्य सरकार प्रदेश में संचालित 50 महत्वपूर्ण विभागों से इतर सिर्फ कोरोना संक्रमण से ही जूझने की वाहवाही लूट रही है ,किन्तु अब तक 350 करोड़ रूपयों के खर्च के बाद भी संक्रमण नियंत्रित नहीं हो पा रहा है, प्रतिदिन औसत 2,000 संक्रमित पाये जा रहे हैं और आंकड़ा 81 हजार से अधिक हो चुका है।
मिश्रा ने यह सवाल भी पूछे :
आखिरकार क्या कारण रहा कि इस पूरे दौर में प्रदेश में किसी भी सरकारी अस्पताल को कोविड अस्पताल घोषित नहीं किया, जबकि महाराष्ट्र और दिल्ली सरकार ने 10,000 बेड के अस्थाई अस्पताल बना डाले, इसके पीछे सरकार की कौन सी ईमानदारीपूर्ण मंशा छुपी हुई है?
कोरोना संक्रमण फैलने के साथ ही सरकार ने टेस्ट किट खरीदने में देर की, जो थी वह एक माह में खत्म हो गई और अन्य व्यवस्था करनी पड़ी?
ऑक्सीजन की कमी को लेकर मुख्यमंत्री मुम्बई में 200 टन का ऑक्सीजन प्लान्ट लगाने की बात कर रहे हैं जबकि प्लान्ट के निर्माण में ढेड़ से दो साल का वक्त लगेगा? तब तक तो वैक्सीन ही बाजार में आ जायेगी। यह बात तो शादी के वक्त बैंगन का पौधा लगाने जैसी है।
जब अन्य प्रदेश कोरोना के अतिरिक्त अन्य विभागों के कामों के क्रियान्वयन पर सक्रिय दिखाई दे रहे हैं तब मप्र में सिर्फ और सिर्फ कोरोना की ही दुहाई दी जा रही है, फिर भी नतीजा सिफर, ऐसा क्यों?
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