मध्यप्रदेश में किसानों की आफत बनी भारी बारिश
मध्यप्रदेश में किसानों की आफत बनी भारी बारिश Syed Dabeer Hussain - RE
मध्य प्रदेश

मानसून और महंगाई की किसानों पर दोहरी मार

Author : Rishabh Jat

इस वर्ष हुयी भारी बरिश ने किसानों की समस्या बढ़ा दी है प्रदेश में अब तक सात लाख हेक्टेयर की फसलें बरबाद हो चुकी हैं और वर्षा रुकने के बाद ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है। इन परिस्थितियों में किसानों का एकमात्र सहारा सरकार ही है जो मुआवजा राशि प्रधान कर के किसानों की सहायता कर सकती है अन्यथा किसानों के लिए आने वाले समय में खेती करना बहुत मुश्किल हो जायेगा, इस बार सरकार भी एक्शन में दिख रही है। मुख्यमंत्री के आदेश समस्त बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के कलेक्टरों को दिए जा चुके हैं लगातार नुकसान का जमीनी स्तर पर आंकलन किया जा रहा है जिससे किसानों को जल्द से जल्द मदद प्रदान की जा सके।

आखिर कितना हुआ है नुकसान?

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में छह से सात लाख हेक्टेयर रकबे सोयाबीन, मूंग, उड़द और सब्जी की फसलें बर्बाद हो गई हैं। फसलें पानी में कई दिनों से डूबी हैं।

मूंग, उड़द और सब्जियां गल चुकी हैं, जबकि सोयाबीन के पत्ते पीले पड़ गए हैं। कई जगहों पर फली न आने या दाना नहीं पड़ने की शिकायतें मिली हैं तो कहीं पौधे में ही फलियां अंकुरित हो गई हैं। सबसे ज्यादा नुकसान मूंग-उड़द और सोयाबीन को हुआ है।

कर्ज तले दबे किसान

खेती-किसानी समय के साथ बदल रही है और इसकी लागत भी बढ़ती जा रही है सबसे पहले तो किसान महंगे हाइब्रिड बीज ख़रीदता है उसके बाद फसल की बुवाई के लिए ट्रेक्टर के डीज़ल का खर्चा और फसलों की रख-रखाव, निदाई आदि के ख़र्चे इन कामों के लिए ऊँचे सूद पर पैसे भी बाजार से लेता हैं और सारी उम्मीद टिकी होती हैं, अच्छी फसल पर, फसल अच्छी नहीं आती है तो किसान कर्ज तले दब जाता है और अगली फसल के लागत के लिए उसके पास धन राशि भी नहीं बचती है अगर किस्मत से अच्छी फसल आ गयी तब भी फसल का सही समय पे भुगतान ना होने के कारण किसान र्ज तले दबता चला जाता है अगर सरकार किसानों की सहायता करना चाहती है तो किसानो की तुरंत भुगतान प्रणाली को लागू करना होगा तब ही देश के किसानों की हालत सुधर सकती है।

किसान ऐसे प्राप्त करे बीमा दावा राशि

इस समय फसल में अफलन और कीट-व्याधि का प्रकोप देखने को मिल रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय आपदा के मध्य में यदि प्राकृतिक आपदाओं के कारण अधिसूचित क्षेत्र के पटवारी हल्के अनुमानित वास्तविक उपज का 50 फीसदी से कम रहने की संभावना में त्वरित क्षतिपूर्ति एवं ऑन अकाउंट का प्रावधान है। बशर्ते कलेक्टर और कृषि विभाग का नोटिफिकेशन जरूरी है। नोटिफिकेशन के सात दिन के भीतर सत्यापन होगा। हल्का क्षेत्र के हिसाब से 10-15 सैंपल लेंगे। इसमें देखेंगे कि अब कितना उत्पादन मिल सकता है। यदि उत्पादन 50 फीसदी से कम होता है तो 25 फीसदी बीमा दावा मिल जाएगा।

किसानों को वैज्ञानिकों का सुझाव

वैज्ञानिकों का कहना है कि जो किसान फसल विविधता (एक साथ कई फसल) अपनाता है, उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान कम होगा। इसके साथ ही किसानों को अपनी आय के लिए वैकल्पिक साधन भी खोज लेना चाहिय जैसे की डेरी फार्मिंग ,मछली पालन, जैविक खाद उत्पादन, और रासायनिक खाद का कम से काम प्रयोग करें। इसकी जगह जैविक खेती करें इससे लागत भी बच सकती है और मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है

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