गांधी की खादी का एप्रॉन, गाउन्स पहने दिखाई देंगे डॉक्टर
गांधी की खादी का एप्रॉन, गाउन्स पहने दिखाई देंगे डॉक्टर सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

Bhopal : मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में अब गांधी की खादी का एप्रॉन, गाउन्स पहने दिखाई देंगे डॉक्टर

Rakhi Nandwani

भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में जल्द ही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ खादी कपड़े से बने एप्रॉन, गाउन्स पहने नजर आएंगे। इसके अलावा भी अवश्यकता अनुसार खादी का उपयोग किया जाएगा। यह बदलाव राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग की सलाह पर होगा।

दरअसल, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के अन्तर्गत कार्य करने वाले स्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. अरूणा व्ही वानीकर ने देश के सभी मेडिकल कॉलेज और संस्थानों को एडवाजरी जारी की है। एडवाजरी पत्र में कहा गया है कि यह अब वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि खादी से बने उत्पाद न केवल स्वास्थ्य के लिहाज से बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल भी होते हैं। चूंकि डॉक्टरों को ड्यूटी के दौरान हर वक्त सफेद कोट पहनना अनिवार्य होता है, इसलिए उन्हें खादी से बने सफेद कोट का उपयोग करना चाहिए, जिससे उन्हें सर्दियों में गर्माहट और गर्मियों में ठंडक मिलती रहे। खादी से बने वस्त्र हर मौसम में अनुकूल रहते हैं, इसलिए मरीजों की बेडशीट और उनके गाउन्स भी खादी के उपयोग किए जाएं। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग की इस सलाह पर कब तक अमल होगा, यह तो राज्य शिक्षा चिकित्सा विभाग और स्वास्थ्य विभाग पर निर्भर करता है।

खादी उत्पादों को प्रोत्साहित करने की पहल :

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत पंजीकृत खादी और हस्तशिल्प के उत्पादों की बिक्री और इस क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की है। अगर मध्यप्रदेश सहित देश भर के मेडिकल कॉलेज और संस्थान खादी वस्त्रों और अन्य उत्पादों का उपयोग करना शुरू कर देते हैं, तो फिर तंगहाली से जूझ रहा खादी उद्योग जगत में रौनक आ जाएगी। स्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड के पत्र के अनुसार सभी डॉक्टर, अस्पताल प्रबंधन में शामिल स्टाफ इस्तेमाल में आने वाली बेड-शीट, पिलो कवर, एप्रेन, पर्दे, रोगी के गाउन आदि के लिए खादी का उपयोग कर सकता है।

मप्र में कुल निजी सरकारी मेडिकल :

  • 23 मेडिकल

  • 15 डेंटल

  • 57 आयुष कॉलेज

  • नर्सिंग होम्स 500 से ज्यादा

इनका कहना है :

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग की पहल अच्छी है। इससे ग्रामीण और शहरी अंचलों में चल रहे खादी उद्योग को न सिर्फ बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार भी बढ़ेगा। खादी वस्त्र ईकोफे्रंडली होते है, यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।
डॉ. राकेश पाण्डेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता आयुर्वेद महासम्मेलन

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