भोपाल, मध्यप्रदेश। सोमवार को दीपोत्सव है। देश के बहुसंख्यकों का सबसे बड़ा त्यौहार। कोविड काल के बाद अब स्थितियां सामान्य होने के बाद घर से लेकर बाजार तक गुलजार है। यह सीजन कारोबारियों के लिए भी उत्साह और उमंग वाला साबित हो रहा है, तो फिर भला शासकीय सेवक इससे अछूते क्यों रहे? मप्र सरकार ने भी माह समाप्त होने के एक सप्ताह से भी अधिक समय पहले ही प्रदेश के शासकीय सेवकों को वेतन का भुगतान कर दिया है। सरकार के इस निर्णय से कर्मचारी-अधिकारी जगत में खुशी की लहर है, लेकिन इस बीच सरकार के इस निर्णय से सरकार के हाथ तंग भी हो गए हैं। इस तंगी से बचने का एक ही बड़ा रास्ता है और आसान भी। बाजार से कर्ज लेना। लिहाजा मप्र सरकार एक बार फिर दीपावली से एक दिन बाद बाजार से एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की तैयारी कर चुकी है।
वित्त विभाग ने नए कर्ज के लिए पूरी तैयारी कर ली है। इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है। तय कार्यक्रम के हिसाब से 25 अक्टूबर को भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू होगी। मप्र सरकार को कर्ज देने के इच्छुक निवेशक आरबीआई के माध्यम से भागीदारी करेंगे। राज्य सरकार ने कर्ज के लिए न्यूनतम ब्याज सीमा तय नहीं की है। ऐसे में निवेशकों पर निर्भर करेगा कि वे कर्ज के लिए राशि किस ब्याज दर पर देना चाहते हैं। न्यूनतम ब्याज दर देने वालों को ही मप्र सरकार को कर्ज देने का मौका मिल सकेगा।
27 को होगा ओपन :
मप्र सरकार को कितने निवेशकों ने कर्ज देने में दिलचस्पी दिखाई है, इसका खुलासा 27 अक्टूबर को होगा। 27 को ही ऑक्शन ओपन होगा। ऑक्शन में कम ब्याज दर वाले मप्र सरकार को तय समय पर कर्ज राशि की अदायगी करेंगे। मप्र सरकार ने आरबीआई को कर्ज के लिए जो विवरण दिया है, उसमें इस राशि की जरुरत प्रदेश के विकास कार्यों और लोक कल्याणकारी योजनाओं के संचालन के लिए बताई गई है। हालांकि यह राज्य सरकार के विवेक पर निर्भर करता है कि वह राशि का किस तरह उपयोग करती है।
मप्र सरकार 11 वर्ष में करेगी कर्ज की अदायगी :
अब तक सरकार ढाई वर्ष से लेकर 20 वर्ष की अवधि तक के लिए अलग-अलग अवधि में कर्ज लेती रही है। सामान्य तौर पर 10 से 15 वर्ष की अवधि के लिए कर्ज लिया जाता है, लेकिन यह पहली बार है कि मप्र सरकार 11 वर्ष की अवधि के लिए कर्ज लेने जा रही है। यानि कर्ज का अदायगी सरकार को 11 वर्ष की अवधि में करना होगा। कर्ज की अवधि में सरकार नियमित रूप से निवेशकों को ब्याज की अदायगी करेगी। ब्याज की अदायगी के लिए अप्रैल 27 और अक्टूबर 27 का समय तय किया गया है।
वित्तीय वर्ष का चौथा कर्ज होगा :
नया कर्ज मौजूदा वित्तीय वर्ष का चौथा कर्ज होगा। इससे पहले सरकार तीन बार कर्ज ले चुकी है। तीना ही कर्ज दो-दो हजार करोड़ रुपए के लिए गए थे। इस तरह सरकार नये कर्ज से पहले 6 हजार करोड़ रुपए बाजार से ले चुकी है। नया कर्ज को मिलाकर आंकड़ा 7 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। हालांकि राज्य सरकार मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही 40 हजार करोड़ रुपए तक कर्ज ले सकती है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के सातवें माह तक सरकार महज 7 हजार करोड़ रुपए ही कर्ज ले लाई है। एेसे में अब बाकी 5 माह की अवधि में कर्ज लेने की रफ्तार बढ़ सकती है।
मप्र पर पहले ही दो लाख 95 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज :
मप्र सरकार पर 31 मार्च 2022 की अवधि में पहले ही दो लाख 95 हजार 532 करोड़ 91 लाख रुपए का कर्ज है। इसमें बाजार से लिया गया एक लाख 74 हजार 373 करोड़ 24 लाख रुपए का कर्ज भी शामिल है। मौजूदा वर्ष में अब तक लिए गए कर्ज को मिलाकर सरकार कर्ज के मामले में तीन लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर चुकी है।
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