जैसी गिजा खाओगे वैसे अखलाक और मामलात होंगे - मौलाना साद
जैसी गिजा खाओगे वैसे अखलाक और मामलात होंगे - मौलाना साद Social Media
मध्य प्रदेश

जैसी गिजा खाओगे वैसे अखलाक और मामलात होंगे - मौलाना साद

Shahid Kamil

हाईलाइट :

  • 73 वें आलमी तब्लीगी इज्तिमा का आगाज़

  • हलाल और हराम की पहचान करो और अपनी कमाई हलाल रोजी से करो

  • पहले दिन चला तकरीरों का सिलसिला, नमाज ए जुमा भी हुई

भोपाल, मध्य प्रदेश। राजधानी में तिहत्तरवें आलमी तब्लीगी इज्तिमा का आगाज शुक्रवार को हुआ। इस मौके पर दिल्ली मरकज़ से तशरीफ लाए दुनिया के मशहूर और मारूफ उलेमा मौलाना साद ने मौजूद लोगों को खिताब करते हुए हलाल और हराम की पहचान करने की नसीहत दी। मौलाना साद साहब ने कहा कि जैसी गिज़ खाना या अन्न, खाओगे, उसका असर आपके अखलाख पर मामलात पर होगा। उन्होंने हिदायत देते हुए कहा कि अपनी रोजी को हलाल ढंग से कमाएं। ये जरूरी नहीं कि तुम्हें कुरआन और हदीस से हलाल और हराम की पहचान है, जरूरी यह है कि तुम उस पर अमल कितना कर रहे हो। मौलाना साद सा. ने यह बयान इज्तिमा के पहले दिन मगरिब की नमाज के बाद लाखों लोगों से खचाखच भरे मजमे को खिताब करते हुए फरमाया। आपने फरमाया कि हराम कारोबार में आसानी है हलाल में दिक्कतें है। लेकिन क्या कमा रहे हो क्या खा रहे हो यह सबसे जरूरी सवाल है। कई मुसलमान हलाल रोजी के मामलात में अपना बड़ा नुकसान कर लेते है लेकिन हराम से गुरेज करते हैं।

इससे पहले अल सुबह (फजिर की नमाज) के बाद राजस्थान से तशरीफ लाए मौलाना चिराग उद्दीन साहब के बयान से इज्तिमा का आगाज हुआ। ईंटखेड़ी-घासीपुरा में लाखों जमातियों के मजमे को खिताब करते हुए मौलाना ने फरमाया कि अल्लाह ने हमें किसी न किसी काम के लिए पहुंचाया है। उस काम से हम भटक गए हैं। उन्होंने हदीस और कुरआन की रोशनी में नसीहत की कि अल्लाह के हुक्म और पैगम्बर साहब के बताए रास्ते पर चलें। वहीं इज्तिमा के पहले दिन जुमा की नमाज के बाद मेहमूद साहब की तकरीर हुई। जबकि असीर की नमाज के बाद मौलवी यूसुफ साहब ने मुख्तसिर बात की।

बॉक्स- किसी ने खर्च कर दी जिंदगी, कोई पहुंचा पहली बार

तबलीग से सिखाई जाने वाली भलाई की बातें और खुद की जिंदगी में एक बेहतर अनुशासन कायम रखने की नीयत से लोगों का जमातों में निकलने का सिलसिला करीब सौ बरस पुराना हो चुका है। भोपाल इज्तिमा में पहुंचे लोगों में कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा जमातों में गुजार दिया है। साथ ही कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने दीन की इस महफिल को पहली बार अनुभव किया है। मूलत: मथुरा के रहने वाले शमसुद्दीन कारोबारी सिलसिले को पार करते हुए ग्वालियर होते हुए भोपाल पहुंच गए हैं। पुराने शहर के बाशिंदे शमसुद्दीन बताते हैं दुनिया में सब कुछ जरूरी है, लेकिन उससे बड़ा काम दीन की खिदमत करना है।

मेडिकल डिपार्टमेंट में अकाउंटेंट रहे हाजी अनवर उल्लाह खान भी अपने रिटायरमेंट के बाद ज्यादा वक्त जमातों और तबलीगी काम में गुजारते हैं। करीब 30 वर्षों से लगातार आलमी तबलीगी इज्तिमा में शिरकत कर रहे 82 वर्षीय अनवर उल्लाह बताते हैं कि असल सुकून दीन की बात में है और कामयाबी का रास्ता भी इसी से होकर गुजरता है।पेशे से एयर कंडीशनर इंजीनियर अफजल बताते हैं कि इंसान के दुनिया में आने का असल मकसद मौत के बाद की जिंदगी को संवारना है। 12 वर्षीय आसिम अहमद पहली बार इज्तिमा में शामिल होने पहुंचे हैं। कुरआन की तालीम से फारिक होने के बाद वे नमाजों की पाबंदी करते रहे हैं।

जमातों का आना जारी

आलमी तब्लीगी इज्तिमा के पहले दिन ही लाखों की तादाद में लोग पहुंच गए हैं। जबकि अभी भी लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। शनिवार और रविवार की छुट्टी के चलते ये मजमा अगले दो दिन और बढऩे की उम्मीद है। सोमवार को होने वाली दुआ के दिन तक इज्तिमा पहुंचने का सिलसिला जारी रहेगा।

खिदमत के लिए लगे कैम्प, फ्री चाय नाश्ता

राजधानी में खिदमत के लिए जगह-जगह कैम्प लगाए गए हैं। भोपाल रेलवे स्टेशन, हबीबगंज रेलवे स्टेशन, नादरा बस स्टेंड, भोपाल टाकीज, प्रभात चौराहा से इज्तिमागाह पर जाने वालों के लिए खिदमती कैम्प लगाए गए हैं। स्टेशन पर उतरते ही पहले इज्तिमा यात्रियों का इस्तकबाल किया जाता है। इसके बाद उन्हें कैम्प में लाकर चाय-नाश्ता दिया जा रहा है, फि र नि:शुल्क ट्रकों, बसों, जीपों और अन्य साधनों से उन्हें इज्तिमा स्थल तक पहुंचाया जाता है। इस मार्ग पर चलने वाले कई ऑटो, आपे और इलेक्ट्रिक ऑटो ने भी जमातों के लिए किराया मुफ्त कर दिया है। इस काम में पूर्व ऑटो स्टेंड अध्यक्ष मकसूद भाई, शाहरूख, राजा भाई एवं लतीफ भाई आदि की टीम खिदमत में लगी हुई है।

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