सिंधिया के साथ नहीं गए फिर भी अलबेल का विरोध
सिंधिया के साथ नहीं गए फिर भी अलबेल का विरोध Socia Media
मध्य प्रदेश

सिंधिया के साथ नहीं गए फिर भी अलबेल का विरोध

राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। कांग्रेस से सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद जो भी उनसे जुड़ा हुआ था उसको संदेह की दृष्टि से देखने का काम किया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि सिंधिया जब कांग्रेस में थे तो अंचल के सभी कांग्रेसी उनसे ही जुडे थे और महल में हाजिरी भरने का काम करते थे, लेकिन उनके जाने के बाद भी जो लोग कांग्रेस में डटे हुए है उनको विरोध आखिर क्यों ओर किसलिए किया जा रहा है। इसको लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। ऐसे ही एक नेता अलबेल घुरैया हैं जो सिंधिया के सबसे विश्वस्त थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी पर अब उनका विरोध विधायक पाठक कर रहे हैं।

दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में अलबेल घुरैया लंबे समय से राजनीति कर रहे हैं और कई बार उनकी पत्नी व स्वयं पार्षद रह चुके हैं। पार्षद रहते हुए उन्होंने वार्ड के साथ ही लक्ष्मीगंज श्मशानघाट का काफी विकास करने का काम किया ओर लगातार कांग्रेस को मजबूत करने में भी लगे हुए है। हां सिंधिया जब कांग्रेस में थे तो वह उनके सबसे नजदीक नेताओं में गिने जाते थे और लोकसभा चुनाव के दौरान उनको सिंधिया जिम्मेदारी भी सौंपते थे। अब यह उन्होंने कांग्रेस नेता के लिए काम किया था। जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी तो कई कांग्रेसी जो सिंधिया समर्थक थे उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था, लेकिन उसके बाद भी कई कांग्रेसी ऐसे है जो अभी भी कांग्रेस का झंडा ऊंचा किए हुए है उनमें से एक अलबेल घुरैया भी है।

पिछड़े वर्ग से आने वाले घुरैया का विरोध इसलिए किया जा रहा है, क्योकि वह गुर्जर समाज से आते है ओर विधायक प्रवीण पाठक का कहना है कि उन्होंने चुनाव के समय उनका विरोध किया था। कांग्रेस से कई सिंधिया समर्थक जाने के बाद अलबेल घुरैया को प्रदेश कांग्रेस में सचिव बनाया गया है ओर इस नियुक्ति के पीछे जातिगत समीकरण साधने का काम किया गया है, लेकिन इस नियुक्ति के बाद से ही विधायक प्रवीण पाठक ने विरोध करना शुरू कर दिया ओर सोमवार को भोपाल में कमलनाथ द्वारा ली गई बैठक में विधायक पाठक ने अलबेल का जमकर विरोध किया।

कांग्रेसी है फिर विरोध क्यों? :

चुनाव के समय परिस्थिति कुछ अलग थी ओर विरोध करने वालो की संख्या काफी थी। अब सवाल यह है कि जिन्होंने विरोध किया उसमें से अधिकांश सिंधिया के साथ ही कांग्रेस को छोड़ चुके है, लेकिन अलबेल घुरैया कांग्रेस में ही डटे हुए हैं ऐसे में उनको अपना बनाने का काम विधायक को करना चाहिए, क्योंकि विरोधी को अपना बनाना ही तो राजनीति है, जो अगले चुनाव में साथ दे सकता है। अगर इसी तरह से विरोध करने का काम किया जाता रहेगा तो कांग्रेस तो कमजोर होगी ही साथ ही आगे का रास्ता विधायक के लिए भी कठिन हो सकता है।

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT