MP-MLA Court Issues Warrant Against Shivraj Singh Chauhan, VD Sharma and Bhupendra Singh
MP-MLA Court Issues Warrant Against Shivraj Singh Chauhan, VD Sharma and Bhupendra Singh Raj Express
मध्य प्रदेश

शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ MP- MLA कोर्ट ने जारी किया वारंट

Author : gurjeet kaur

हाइलाइट्स :

  • विवेक तन्खा द्वारा पेश किया गया था 10 करोड़ रूपए का मानहानि दावा।

  • पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर की थी टिप्पणी।

MP-MLA Court Issues Warrant Against Shivraj Singh Chauhan, VD Sharma and Bhupendra Singh : मध्यप्रदेश। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी हुआ है। MP- MLA कोर्ट में पेश न होने पर 500 रुपए का जमानती वारंट जारी हुआ है। MP- MLA कोर्ट ने अदालत में पेश न होने पर पिछली तारीख को रिवाइज करते हुए अब एक महीने पहले पेश होने का आदेश दिया है। तीनों नेता लगातार दो बार अदालत में सुनवाई के दौरान गैरहाजिर रहे थे जिसके बाद कोर्ट ने अब जमानती वारंट जारी कर दिया है।

दरअसल कांग्रेस नेता विवेक तन्खा द्वारा 10 करोड़ रूपए का मानहानि दावा पेश किया गया था। जबलपुर की विशेष अदालत में यह मुकदमा 21 जनवरी को दर्ज किया गया था। तीनों नेताओं पर मानहानि की धारा 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस चल रहा है। सभी के बयान दर्ज करने के बाद अदालत ने मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया था। लोकल इलेक्शन में तीनों नेताओं ने विवेक तन्खा पर ओबीसी आरक्षण रुकवाने का आरोप लगाया था जिसके बाद विवेक तन्खा ने मानहानि के लिए दावा पेश किया था।

पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चले मामले में भाजपा ने सांसद विवेक तन्खा की भूमिका को लेकर बयानबाजी की थी। इसे सर्वथा अनुचित करार देते हुए विवेक तन्खा ने शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा व पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह से माफी मांगने को कहा था। जनवरी 2024 को इसी सिलसिले में विवेक तन्खा की ओर से शशांक शेखर ने केस दायर किया था।

सांसद व पूर्व महाधिवक्ता विवेक तन्खा ने ट्वीट कर कहा था कि, 'मैने जिन तीन महानुभाव को मानहानि का नोटिस भेजा था, उनके विरुद्ध क्रिमिनल कम्पलेंट केस कोर्ट में फाइल कर दिया है। सच और झूठ का निराकरण न्यायालय करेगा। तन्खा ने कहा था कि, मेरा मानना है महत्वपूर्ण पदों पर बैठे व्यक्तियों को न्यायालयीन संबंधी मामलों में बिना समझे या जाने तथ्यहीन एवं अनर्गल बयान नहीं देना चाहिए। इससे न केवल न्यायालय की प्रतिष्ठा धूमिल होती है, बल्कि जनता भी गुमराह होती है।'

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