बढ़ रहा लंपी वायरस का प्रकोप
बढ़ रहा लंपी वायरस का प्रकोप Raj Express
मध्य प्रदेश

MP News: मध्यप्रदेश की सीमा सील, पड़ोसी राज्यों में बढ़ रहा Lumpy Virus का प्रकोप

Raj News Network

Lumpy Skin Disease: मध्यप्रदेश के पड़ोंसी राज्यों में लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) तेज़ी से फ़ैल रही है। इसके चलते प्रदेश की सीमाओं को बंद किया गया है। सीमाओं पर कड़ी नज़र रखी जा रही है। वायरस (Virus) के तेज़ी से बढ़ने के कारण दूसरे राज्यों से बिना अनुमति और जांच के पशु लाने पर रोक लगा दी गई है। दरअसल पड़ोसी राज्य राजस्थान (Rajsthan) के जोधपुर (Jodhpur) और आस-पास के जिलों में लंपी वायरस के संदिग्ध मामले सामने आए हैं।

जांच के लिए भोपाल भेजे गए सैंपल :

जानकारी के मुताबिक लगभग 50 सैंपल उच्च सुरक्षा पशु रोग अनुसंधान प्रयोगशाला भोपाल (High Security Animal Disease Research Laboratory Bhopal) में भेजे गए हैं। एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट (Report) आने की सम्भावना है।

इन जिलों की सीमा को किया गया बंद :

प्रदेश के बालाघाट, सिवनी, रीवा और छिंदवाड़ा जिले की सीमाओं को सील कर दिया गया है। वहीं पशु चिकित्सा संचालनालय (Veterinary Directorate) ने सभी जिलों में अलर्ट जारी किया है और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करने की हिदायत दी गयी है। प्रदेश में सुरक्षा के लिए पिछले 20 दिनों के अंदर तीन लाख से ज्यादा पशुओं (Animal) को वैक्सीन (Vaccine) लंपी प्रो वेक (Lumpi-ProVac ) लगायी जा चुकी है।

क्या है लंपी वायरस:

इस वायरस को 'गांठदार त्वचा रोग वायरस' कहा जाता है। इसे संक्षिप्त में LSDV भी कहा जाता है। पशुओं में होने वाली यह बीमारी काफी संक्रामक है। संक्रमित पशु के संपर्क में आने से दूसरा पशु भी बीमार हो सकता है। Capri Poxvirus नामक वायरस के चलते होता है लंपी स्किन डिजीज। यह वायरस गोट पॉक्स (Gout Pox) और शीप पॉक्स (Sheep Pox) वायरस फैमिली से सम्बन्धित है। मवेशियों में ये बीमारी मच्छर के काटने और खून चूसने वाले कीड़ों के जरिए भी होती है।

लक्षण व बचाव के उपाय :

  • पशु को बुखार आना, पशुओं के वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना, लार बहना, शरीर पर दाने निकलना, दूध कम देना, भूख न लगाना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण है।

  • इसके उपायों में संक्रमित पशु को अलग रखना। तबेले की साफ सफाई रखना। मच्छरों को भगाने के लिए स्प्रे करना। संक्रमित पशु को गोट पॉक्स वैक्सीन लगाया जाए। पशुओं को चिकित्सक की सलाह पर ही दवा दी जानी चाहिए।

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