एमवायएच की जनरल ओपीडी तीन माह से बंद
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मध्य प्रदेश

इंदौर : एमवायएच की जनरल ओपीडी तीन माह से बंद, मरीज हो रहे परेशान

Author : Mumtaz Khan

इंदौर, मध्य प्रदेश। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक एमवायएच की जनरल ओपीडी लॉकडाउन के बाद से यानि करीब तीन माह से बंद है। ओपीडी में केवल कोविड-19 संदिग्ध मरीजों को ही देखा जा रहा है। कहने को केजुल्टी में जनरल ओपीडी संचालित की जा रही है, लेकिन यहां बहुत ज्यादा गंभीर मरीजों को देखा जाता है, अन्य को रफा-दफा कर दिया जाता है।

बड़ी बात यह है कि जनरल ओपीडी (केजुल्टी) में सीनियर कंसल्टेंट ना के बराबर बैठ रहे हैं। पूरी केजुल्टी जूनियर डॉक्टर्स के हवाले है। उनकी मर्जी आती है, उसका इलाज करते हैं और मर्जी नहीं होती, तो इलाज से मना कर दिया जाता है। इसके चलते एमवायएच में मरीज इलाज के लिए ही नहीं आ रहे हैं, जो आ रहे हैं, उनमें से कुछेक का ही इलाज हो रहा है।

कहां जाए गरीब मरीज इलाज कराने?

एमवायएच की जनरल ओपीडी में प्रतिदिन 2 हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। अनलॉक के बाद भी अस्पताल की ओपीडी शुरू नहीं होने के कारण एमवायएच में के विभिन्न विभागों जैसे मेडिसिन, सर्जरी, मनोरोग, अस्थिरोग, नेत्र रोग, त्वचा रोग, ईएनटी, फिजियोथैरेपी की ओपीडी में केवल अति गंभीर मरीजों को इलाज मिल रहा है। सधारण और कम गंभीर मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है। प्रसूति के लिए आने वाले महिलाओं के लिए तो स्री एवं प्रसूति रोग विभाग सेवा दे रहा है, लेकिनसबसे बड़ी दिक्कत मधुमेह, ब्लड प्रेशर, मानसिक रोग, हड्डियों से संबंधित आदि बीमारी के जो मरीज यहां नियमित इलाज कराने आते थे, न उनका यहां इलाज हो रहा है और न ही दवा मिल रही है। दिक्कत बीपीएल और अन्य गरीब मरीजों को हो रही है, क्योंकि निजी अस्पतालों में कोविड-19 के चलते जनरल ओपीडी की फीस बहुत ज्यादा बढ़ा दी गई है। वहीं इलाज भी महंगा होगा गया। ऐसे में यह मरीज इलाज के लिए कहां जाए, उनके समझ में नहीं आ रहा है।

निजी प्रैक्टिस भी बंद कर दी हैं सीनियर डॉक्टर्स ने :

कोविड-19 के चलते शहर के ज्यादातर सीनियर डॉक्टर्स, जिसमें एमवायएच के वर्तमान और भूतपूर्व फेकल्टी भी शामिल हैं अपने निजी क्लीनिक पर भी मरीज नहीं देख रहे हैं। इसके चलते मरीजों की फजीहत और ज्यादा हो रही है। वहीं निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाने पर मुश्किल से उन्हें भर्ती किया जा रहा है और भर्ती किया भी जा रहा है, तो बहुत ज्यादा फीस वसूली जा रही है। इस कारण गरीब मरीज के साथ ही मध्यम वर्गीय मरीज भी परेशान हैं। चोइथराम अस्पताल की ओपीडी में 300 रुपए फीस में मरीजों को इलाज मिल जाता था, लेकिन उसे भी कोविड-19 के लिए आरक्षित करने से मुश्किल बढ़ गई है, क्योंकि अन्य निजी अस्पतालों में ओपीडी की फीस 1 हजार रुपए से अधिक हो गई है। वहीं निजी क्लीनिक में विशेषज्ञ डॉक्टर्स की वेटिंग लंबी चल रही है। कुल मिलाकर इन दिनों कोविड-18 के साथ ही अन्य बीमारियों का इलाज करना मुश्किल हो रहा है, जिसके कारण लोग घरों पर ही बिना इलाज के दम तोड़ऩे पर मजबूर हो रहे हैं।

जल्द से जल्द शुरू की जाए जनरल ओपीडी :

एक आम आदमी के मन में सवाल उठ रहे हैं कि वर्तमान में एमजीएम मेडिकल कॉलेज में टीचिंग कार्य बंद पड़ा हुआ है। वहीं अस्पताल की केजुल्टी और इनडोर को भी ज्यादातर जूनियर डॉक्टर संभाले हुए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि अस्पताल में केवल कुछ सीनियर ही नियमित रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, तो बाकी कहां पर हैं? एमटीएच और एमआरटीबी में जरूर सीनियर कंसल्टेंट अपने सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन अन्य विभागों के डॉक्टर्स क्या कर रहे हैं? वो चाहते हुए भी मरीजों की सेवा नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए जल्द से जल्द जनरल ओपीडी शुरू की जाए, ताकि डॉक्टर अपने मरीजों का इलाज क सके और गरीब मरीजों को भी डॉक्टर्स की सेवा मिल सके। जहां तक कोविड-19 की बात है, तो सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, एमटीएच और एमआरटीबी, चेस्ट सेंटर इसके लिए वर्तमान में काफी है। यदि जल्द से जल्द एमवायएच में जनरल ओपीडी शुरू नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि डेंगू, मलेरिया, डायरिया जैसी मौसमी बीमारी बारिश में सिर उठाती हैं।

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