भोपाल, मध्यप्रदेश। आज भारत माँ के वीर सपूत परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया की पुण्यतिथि हैं। गुरबचन सिंह ने 5 दिसंबर 1961 में अफ्रीका के कॉन्गो में शांति के लिए लड़ते हुए खुद को न्योछावर कर दिया था। गुरबचन सिंह सलारिया की पुण्यतिथि पर एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने याद करते हुए उन्हें ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
पुण्यतिथि पर याद किए गए गुरबचन सलारिया
एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा- शांति स्थापना हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना के साथ कांगो के पक्ष में बेल्जियम के विरुद्ध अदम्य साहस का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए भारतीय सेना के जांबाज अधिकारी, परमवीर चक्र से अलंकृत कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन!
संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान के सदस्य,परमवीर चक्र से सम्मानित, गुरबचन सिंह सलारिया के बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि! विश्व शांति के ध्येय की प्राप्ति हेतु स्वयं को न्योछावर कर देने वाले सपूत की गौरवगाथा युवाओं को राष्ट्र और विश्व कल्याण के लिए मर-मिटने की प्रेरणा देंगे।सीएम शिवराज सिंह चौहान
नरोत्तम मिश्रा ने भी किया ट्वीट
एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर कहा कि स्वतंत्र भारत के पहले परमवीर चक्र विजेता कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि, कांगो में भारत की शांति सेना का नेतृत्व करते हुए उन्होंने युद्ध में जिस तरह कर्तव्य को अपनी सुरक्षा से आगे रखकर आत्म बलिदान किया, उस पर हर देशवासी सदैव गर्व करेगा।
बता दें कि, राष्ट्र की एकता व अखंडता को बरकरार रखते हुए हमारे असंख्य वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश के गौरव को बढ़ाया है। शहीदों की इस फ़ेहरिस्त में एक नाम गांव जंगल के शहीद कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया का भी आता है, जिसने विदेशी धरती दक्षिणी अफ्रीका के कांगो शहर में भारत द्वारा भेजी गई शांति सेना का नेतृत्व करते हुए न सिर्फ 40 विद्रोहियों को मार गिराया बल्कि खुद शहादत का जाम पीते हुए परमवीर चक्र हासिल किया था। संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के अभियान के दौरान अपने शौर्य, वीरता और उत्कृष्ट कर्तव्यनिष्ठा से गुरबचन सिंह सलारिया ने देश को गौरवान्वित किया। उनका सर्वोच्च बलिदान देश के युवाओं को प्रेरित करता रहेगा।
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