सेफ सिटी कार्यक्रम  मध्यप्रदेश
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मध्य प्रदेश

Safe City : शहरों में महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने की योजना ने दम तोड़ा

राज एक्सप्रेस

भोपाल ( कन्हैया लोधी )। मध्यप्रदेश के 6 बड़े शहरों में महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए शुरू की गई सेफ सिटी कार्यक्रम ने दम तोड़ दिया है। इस कार्यक्रम के तहत किस तरह के कार्यक्रम किए गए, ये तो शायद ही आम लोगों को पता चला हो। इस बीच इस कार्यक्रम के लिए सरकार ने पैसा देना भी बंद कर दिया गया है। अब बिना पैसे के इस कार्यक्रम का संचालन होना मुश्किल है। वैसे भी पहले इस कार्यक्रम के लिए नाम मात्र की राशि का ही इंतजाम किया जा रहा था। नाम भले ही सेफ सिटी कार्यक्रम हो लेकिन ये कार्यक्रम अफसरशाही के चलते स्वयं को भी सेफ नहीं रख सका।

प्रदेश में सेफ सिटी कार्यक्रम 6 शहरों में संचालित किया जा रहा था। इनमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, छिंदवाड़ा और छतरपुर जिला शामिल थे। प्रदेश के चार बड़े शहरों का शामिल होना तो स्वाभाविक था ही, इसमें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिला छिंदवाड़ा को भी शामिल किया गया था। इतना ही नहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में प्राय: ज्यादा होते हैं। इसे देखते हुए छतरपुर को भी इस कार्यक्रम के दायरे में शामिल किया गया था।

क्या था इस कार्यक्रम का उद्देश्य

इस कार्यक्रम को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से संचालित किया जा रहा था। प्रदेश में इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास की थी। इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश में बालिकाओं और महिलाओं को शहर में सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराया जाना था, जिससे कि वे सभी प्रकार की हिंसा के भय से मुक्त रहें और सुरक्षित तरीके से जीवन जी सकें। इसी तरह इस कार्यक्रम का एक उद्देश्य लड़कियों व महिलाओं के प्रति सम्मानजनक नजरिये व व्यवहार को बढ़ावा देना तथा छेड़छाड़ मुक्त शहर का निर्माण करना भी था, लेकिन ये कार्यक्रम दोनों ही उद्देश्यों को पूरा करने में नाकाम रहा। इन शहरों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश नहीं लगाया जा सका। न तो छेड़छाड़ जैसी छटनाएं रुकी और न ही वे पूरी तरह हिंसा से भय मुक्त हो सकीं।

6 शहरों में 469 हॉट स्पाट की पहचान का दावा

सेफ सिटी कार्यक्रम के तहत इन 6 शहरों में महिला अपराध वाले 469 हॉट स्पाट के पहचान का दावा किया गया है। विभाग ने अपनी रिपोर्ट में ये भी दावा किया है कि हॉट स्पाट पर सेफ्टी वाक किया गया है और लगभग एक चौथाई हॉट स्पाट पर अपराध रोकथाम की कार्यवाही की गई है। इतना ही नहीं रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि चयनित शहरों में इंटर्नस, शौर्य दल, आंगनवाड़ी केंद्रों को शामिल कर वल्लेनरेबिली मेपिंग की गई है। रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि सिटी बस ड्राइवर, ई- रिक्शा, आशा कार्यकर्ता, एएनएम, सफाई कर्मचारी, शौर्य दल, कोचिंग संस्थान, स्कूल, कॉलेज, एनसीसी आदि में बाकायदा संवेदीकरण के लिए ट्रेनिंग भी दी गई।

अब कार्यक्रम के लिए पैसा नहीं

महिला सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता वाले विषयों में शामिल है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्राय: सुरक्षा- व्यवस्था से जुड़े सभी बैठकों में महिला सुरक्षा को लेकर विशेष निर्देश देते हैं, जिससे कि प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अपराध की घटना में लगातार कमी आए। लेकिन उसके बाद भी लगता है कि विभाग के अफसरों को इस कार्यक्रम से अब ज्यादा सरोकार नहीं रह गया है। ये इस बात से ही पता चलता है कि अब इस कार्यक्रम के लिए पैसा देना बंद कर दिया गया है। नए वित्तीय वर्ष में इस कार्यक्रम के लिए एक भी राशि नहीं दी गई है। पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान जरुर इस कार्यक्रम के लिए राशि का प्रावधान जरुर किया गया था, लेकिन इतना नहीं कि ये कार्यक्रम इन शहरों में कोई बड़ा प्रभाव छोड़ सके। वर्ष 2021-22 के दौरान इस कार्यक्रम के लिए महज एक करोड़ 19 लाख 64 हजार रुपए का ही इंतजाम किया गया था, वहीं वर्ष 2022-23 की अवधि में एक करोड़ 75 लाख 50 हजार रुपए दिए गए थे।

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