एनएच 43 पर यमदूत बनकर खड़े हैं बल्कर
एनएच 43 पर यमदूत बनकर खड़े हैं बल्कर Afsar Khan
मध्य प्रदेश

शहडोल: एनएच 43 पर यमदूत बनकर खड़े हैं बल्कर

Author : Afsar Khan

हाइलाइट्स:

  • सड़क पर बल्करों के कब्जे से ग्रामीणों के बेजुबान जानवर रोजाना हो रहे शिकार।

  • थाने और यातायात थानों से रोजाना सैकड़ों बल्कर गुजरते हैं।

  • बल्करों की संख्या रोजाना 200 से भी अधिक।

  • पुलिस और यातायात विभाग तोड़ रहे हैं, सर्वोच्च न्यायालय के कायदे।

राज एक्सप्रेस। सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरूद्ध करने के खिलाफ सख्त निर्देश जारी किये हैं, लेकिन इसका असर अनूपपुर जिले में होता दिखाई नहीं दे रहा है। जैतहरी के मोजर वेयर प्लांट से निकलने वाली राखड़ लेने सतना, रीवा से आने वाले बल्कर पहले सांधामोड़ से सीतापुर और फिर पीएचई कार्यालय के पास से अण्डर ब्रिज तक खड़े होते थे, नो- एंट्री खुलने के बाद जैतहरी के लिए रवाना होते थे, यातायात विभाग को शिकायत मिली कि, इससे हादसे हो सकते हैं और एक दिन अनूपपुर विधायक का काफिला बरबसपुर के पास रूक गया, तो यातायात अमले ने अब बल्करों को राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 पर खड़ा करा दिया। बकायदा इसके लिए कर्मचारी भी तैनात किये गये हैं, बल्करों की कई किलोमीटर लंबी कतार भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर देखने को मिल सकती है, अगर कोई हादसा कारित होता है, तो आखिर उसका जिम्मेदार कौन होगा?

आधी एनएच पर बल्करों का कब्जा :

राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 पर यातायात विभाग द्वारा अपने सर की बीछी, शहर से निकलाकर फेंक दी गई, विशालकाय बल्कर आधी सड़क को कब्जा कर दोपहर से लेकर नो-एंट्री खुलने तक एनएच पर खड़े रहते हैं, कई किलोमीटर लंबी इन वाहनों की कतार हाईवे पर देखने को मिल सकती है, कटनी से लेकर चांडिल जाने वाला एनएच 43 में रोजाना हजारों वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं, लेकिन आधी सड़क पर बल्करों का कब्जा करवा दिया गया है। अनूपपुर जिले की सीमा शुरू होते ही सांधा मोड़ तक बल्कर दोपहर से लेकर नो-एंट्री के समय तक खड़े रहते हैं।

बेजुबान हो रहे शिकार :

आधी सड़क पर बल्करों के कब्जे से आस-पास के ग्रामों के ग्रामीणों के बेजुबान जानवर रोजाना शिकार हो रहे हैं और ये मौत के बाद एनएच पर ही पड़े रहते हैं, वैसे तो सड़क से प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के अलावा जन प्रतिनिधि और स्वयं सेवी संस्थाओं के नुमाईंदे भी गुजरते हैं, लेकिन कभी किसी ने बेजुबानों की इस हालत के लिए कुछ करना मुनासिब नहीं समझा।

शहर से निकाल एनएच पर पहुंचाया :

यातायात अमले का तर्क है कि, सांधा मोड़ से सीतापुर तक पहले बल्कर खड़े रहते थे, जिससे हादसे होने की संभावना थी, कई बार स्थानीय लोगों ने भी इन्हें हटाने की शिकायत की, जिसके बाद बल्करों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर खड़ा कराने की व्यवस्था की गई है। शहर की चिंता तो विभाग ने कर ली, लेकिन रोजाना राष्ट्रीय राजमार्ग पर दौड़ने वाले वाहन और उसमें सवार होकर यात्रा करने वाले राहगीरों को संकट में डाल दिया गया। अगर आंकड़ों को देखा जाये, तो एनएच पर कई गंभीर हादसे वाहनों के खड़े होने के चलते हो चुके हैं।

200 से अधिक का जमावड़ा :

बल्करों की संख्या रोजाना 200 से अधिक होती है जो कि जैतहरी मोजर वेयर प्लांट राखड़ लेने के लिए जाते हैं, जानकारों की माने तो प्लांट से रोजाना 70 वाहनों को ही राखड़ की लोडिंग दी जाने की क्षमता है, यह समझ से परे हैं कि, 2 सैंकड़ा से अधिक वाहन रोजाना मार्गों पर क्यों खड़े रहते हैं। केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राजपत्र के अनुसार, प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राखड़ का स्थानीय स्तर पर खपत कराने के लिए अधिसूचना जारी की गई थी, उसका पालन करने की सीमा वर्ष 2018 थी, लेकिन उसके बाद भी इसका पालन नहीं हो पाया, जिसके पीछे पावर प्लांट में बैठे अधिकारी राखड़ की बिक्री और दलाली के पूरे खेल में शामिल हैं।

बल्करों पर नहीं पड़ती नजर :

जैतहरी से लेकर रीवा और सतना तक जितने भी थाने या यातायात थाने हैं उनसे रोजाना सैकड़ों भर से अधिक बल्कर गुजरते हैं, लेकिन वर्दीधारियों को यह ओव्हर लोड बल्कर दिखाई नहीं देते, पुलिस डॉयरी को अगर देखा जाये तो कार्यवाही का शिकार दूसरे वाहन ही ओव्हर लोड सहित अन्य कार्यवाहियों में शामिल होते हैं। जिसके पीछे का कारण है, ‘मैनेजमेंट‘ जो कि यातायात से होते हुए हर थाने और बड़े अधिकारियों तक महीने में दलालों के मार्फत पहुंचाया जाता है, जिसके चलते निर्दोषों को सड़क पर मौत के मुहाने में छोड़ दिया गया है।

इनका कहना :

यातायात प्रभारी का कहना है कि, स्थानीय लोगों और विधायक के कहने पर शहर में दुर्घटना न हो इसके लिए वाहनों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर दोपहर से लेकर नो-एंट्री खुलने तक खड़ा करवाने की व्यवस्था की गई है, पार्किंग लाईट जलाने की भी समझाईश दी गई है, वैसे राष्ट्रीय राजमार्ग पर कार्यवाही करने का अधिकार राष्ट्रीय राजमार्ग पुलिस और पेट्रोलिंग टीम का होता है, जो कि अभी जिले में नहीं है। इस मुद्दे पर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ही कोई ठोस निर्णय ले सकते हैं। वहीं, पुलिस महानिरीक्षक का कहना है कि, नियमों और कानूनों का अगर उल्लंघन मिला, तो सख्त कार्यवाही की जायेगी, सड़क दुर्घटना रोकना पहली प्राथमिकता है।

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