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मध्य प्रदेश

मप्र की सियासत! कमलनाथ की विदाई के साथ, खिलेगा कमल

Aditya Shrivastava, Priyanka Yadav

राज एक्सप्रेस। कमलनाथ के इस्तीफे के बाद भाजपा वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का ट्वीट, मध्य प्रदेश में आज जनता की जीत हुई है। मेरा सदैव ये मानना रहा है कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होना चाहिए, लेकिन प्रदेश सरकार इस रास्ते से भटक गई थी। सच्चाई की फिर विजय हुई है। सत्यमेव जयते।

कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उनके पत्र में कहा गया है, "पिछले दो सप्ताह में मध्य प्रदेश में जो कुछ हुआ है, वह लोकतांत्रिक सिद्धांतों के कमजोर पड़ने का एक नया अध्याय है।"

कमलनाथ का राज्यपाल को पत्र

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ट्वीट

मुख्यमंत्री कमलनाथ भोपाल स्थित राजभवन पहुंचे। उन्होंने विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले सीएम के पद से इस्तीफा दिया।

निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने कहा कि मैंने कहा था कि जब तक कमलनाथ हैं, मैं उनका समर्थन करता रहूंगा। लेकिन मेरी प्राथमिकता मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोगों, उनके विकास और श्रमिकों का सम्मान है। मुझे लगता है कि अब नेतृत्व की अनुपस्थिति में यह संभव नहीं है। एक निर्दलीय विधायक होने के नाते, अब मेरे पास अपने लोगों के विकास के लिए जो नयी सरकार बनेगी, उसका समर्थन करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

मध्यप्रदेश में एक पखवाड़े से अधिक समय से चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच आज मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपना त्यागपत्र राज्यपाल लालजी टंडन को सौंपने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही राज्य की लगभग 15 माह पुरानी कमलनाथ सरकार का गिरना तय हो गया। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने निवास पर बुलायी गयी पत्रकार वार्ता में राज्यपाल को त्यागपत्र देने की घोषणा की। उन्होंने लगभग 15 मिनट तक मीडिया को संबोधित किया और अपनी सरकार की उपलब्धियां बतायी एवं मौजूदा राजनैतिक हालातों का भी जिक्र किया। अंतत: उन्होंने कहा कि वे अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौपने जा रहे हैं।

फ्लोर टेस्ट से पहले सीएम कमलनाथ ने इस्तीफे का ऐलान किया है, सीएम ने कहा कि वो राज्यपाल लालजी टंडन को इस्तीफा सौंपेंगे उन्होंने कहा, 'मैंने तय किया है कि मैं राज्यपाल को इस्तीफा दूंगा'

मध्य प्रदेश में सियासत में आज साफ हो जाएगा किसकी बनेगी सरकार। संभवतः मप्र से कमलनाथ सरकार की विदाई के साथ फिर खिलेगा कमल। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को शुक्रवार शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट करने का आदेश दिया था। जिसके बाद अब सभी की नजर पर विधानसभा की कार्यवाही पर है। दूसरी ओर देर रात को विधानसभा स्पीकर ने बागी 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किये हैं।

भाजपा-कांग्रेस व्हिप जारी कर विधायकों को सदन में उपस्थित रहने को कहा है। वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीएम हाउस में विधायक दल की बैठक के बाद मीडिया से चर्चा की। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेस की। उन्होंने कहा कि भाजपा को 15 साल मिले। मुझे 15 महीने मिले। आप सब जानते हैं कि जब हमारी सरकार बनी थी तो हर 15 दिन में भाजपा नेता कहते थे कि ये सरकार पंद्रह दिन-महीने भर की सरकार है।

सीएम कमलनाथ ने कहा कि 11 दिसंबर 2018 को पिछली विधानसभा का परिणाम आया है, जिसमें कांग्रेस सबसे अधिक सीटें हासिल करके आई। 17 दिसंबर को मैंने शपथ ली और 25 दिसंबर को मंत्रिमंडल की शपथ ली, आज 20 मार्च है, इस दौरान हमारा प्रयास प्रदेश की तस्वीर बदलने का रहा। 15 महीनों में मेरी क्या गलती थी, अपने राजनीतिक जीवन में मैंने काम पर विश्वास रखा। कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी ने मेरे कार्यकाल के दौरान हमारे कार्यों के खिलाफ साजिश की, पहले दिन से ये लोग हमारी सरकार गिराना चाहते थे।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी ने 22 विधायकों को बंधक बनाया और ये पूरा देश बोल रहा है, करोड़ों रुपये खर्च कर खेल खेला जा रहा है। एक महाराज और उनके 22 साथियों के साथ मिलकर साजिश रची गयी। सीएम बोले कि जिसकी सच्चाई थोड़ी समय में सामने आएगी। हमने तीन बार विधानसभा में अपनी बहुमत साबित की, बीजेपी की ओर से जनता के साथ विश्वासघात किया जा रहा है और लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की जा रही है, जनता इन्हें कभी माफ नहीं करेगी।

सीएम ने कहा कि हमने अपने कार्यकाल में माफियाओं को खत्म करने का काम किया, बीजेपी को यहां सरकार चलाने के लिए 15 साल मिले। कमलनाथ ने इस दौरान अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनवाया और कहा कि हमने आम लोगों के लिए काम किया, लेकिन ये भाजपा को रास नहीं आया, हमारी सरकार पर किसी तरह का आरोप नहीं लगा, बीजेपी ने किसानों के साथ धोखा किया लेकिन हमें उनके लिए काम नहीं करने दिया।

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीट, 2 विधायकों के निधन के बाद कुल सीटें 228, इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के विधायक 22 हैं। अब सदन में 206 सीट बची हैं, इस स्थिति में बहुमत के लिए जरूरी 104 सीट पार्टी के पास होना अनिवार्य हैं। वर्तमान में भाजपा के पास 107 (बहुमत से 3 ज्यादा), कांग्रेस के पास 99 (बहुमत से 5 कम) कांग्रेस के 92 विधायक रह गए हैं।

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