कमला बुआ का निधन
कमला बुआ का निधन Social Media
मध्य प्रदेश

सागर: पहली किन्नर महापौर कमला बुआ का निधन, नेताओं ने जताया शोक

Author : Priyanka Yadav

राज एक्सप्रेस। महापौर का चुनाव निर्दलीय जीत कर देश भर में सुर्खियों में आई सागर की किन्नर महापौर कमला बुआ का गुरूवार को निधन हो गया। सन 2009 में बतौर किन्नर पहली महापौर बनने वाली कमला बुआ का दिसम्बर 2012 में जाति प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने पर अदालत ने निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया था।

देश भर में रही थी चर्चा

  • पिछले कुछ समय से बीमार कमला बुआ सामाजिक कार्यों में हमेशा सक्रिय रही हैं ।

  • उन्होंने किन्नर समुदाय के अधिकारों को लेकर हमेशा लड़ाई लड़ी। लेकिन राजनीतिक सफर हमेशा विवादों में रहा।

  • कमला किन्नर ने भाजपा और कांग्रेस के उमीदवारों को रिकार्ड मतों से पराजित किया था।

  • तत्कालीन भाजपा सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव ने उनको भाजपा में शामिल कराया था। उनके निधन पर भाजपा और कांग्रेस नेताओं ने शोक जताया है।

फर्जी जाति प्रमाणपत्र ने महापौर के पद से हटाया था कमला बुआ को

दिसंबर 2009 में हुए नगर निगम चुनाव में सागर महापौर के पद अनुसूचित जाति की महिला वर्ग के लिए आरक्षित किया गया था। चुनाव में किन्नर कमला बुआ निर्दलीय उम्मीदवार थीं। उन्होंने नामांकन पत्र में स्वयं को कोरी अनुसूचित जाति का बताया था। लिंग के स्थान पर स्वयं को स्त्री लिखा था। चुनाव में चाबी चुनाव चिन्ह पर उन्हें लगभग 65 हजार वोट मिले थे। भाजपा उम्मीदवार सुमन अहिरवार को उन्होंने लगभग 40 हजार मतों के अंतर से हराया था। कांग्रेस की वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष रेखा चौधरी की जमानत जप्त हो गई थी।

चुनाव जीतने के बाद कमला बुआ ने मंत्री गोपाल भार्गव के जरिये सत्ताधारी भाजपा का दामन थाम लिया था। चुनाव प्रक्रिया को भाजपा उम्मीदवार सुमन अहिरवार ने जाति प्रमाणपत्र को लेकर चुनौती दी थी। उनकी याचिका पर तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रतिभा रत्नपारखी ने कमला बुआ के निर्वाचन को शून्य करते हुए सुमन अहिरवार को महापौर नियुक्त करने के आदेश दिए थे।

कमला बुआ ने अदालत में स्वीकारा था कि उनके पास नामांकन दाखिल करते वक्त कोई जाति प्रमाणपत्र नहीं था। वे दो सालों में भी अदालत को स्वयं की जाति को लेकर कोई प्रमाण नहीं दे पाई थी। दूसरा पद महिला के लिए आरक्षित था एवं वे किन्नर थीं। इस आधार पर उनके निर्वाचन को शून्य कर दिया गया। कमला बुआ ने हाईकोर्ट में अपील की थी पर हॉइकोर्ट ने जिला अदालत के फैसले को ही बरकरार रखा था।

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