सोना उगलेंगी प्रदेश की सात कोल खदानें
सोना उगलेंगी प्रदेश की सात कोल खदानें सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

सोना उगलेंगी प्रदेश की सात कोल खदानें

Author : राज एक्सप्रेस

हाइलाइट्स :

  • सात नए कोल माइंस के लिए ऑक्शन का काम पूरा

  • लेकिन पर्यावरणीय अनुमति के लिए अटक गया मामला

भोपाल, मध्यप्रदेश। मप्र में स्थित सात नए कोल माइंस के लिए केंद्र सरकार ने ऑक्शन की प्रक्रिया पूरी कर ली है। इस प्रक्रिया को पूरे हुए अब सात माह से अधिक हो गए हैं। यह कोल माइंस प्रदेश की आमदनी के लिए नए द्वार खालेगी, जिससे राज्य सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का राजस्व मिलेगा। यह कोल माइन्स आमदनी के लिहाज से मध्यप्रदेश के लिए सोना उगलने वाली साबित हो सकती हैं, लेकिन जैसा की अक्सर होता है, यह खदानें अब वन एवं पर्यावरणीय मंत्रालय में अनुमति के लिए अटक गई हैं। जब तक खनन की अनुमति नहीं मिलेगी, तब तक प्रदेश की आमदनी का यह रास्ता बंद ही रहेगा। अब राज्य सरकार ने भी केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि वह इन प्रोजेक्ट्स में खनन के लिए जल्द ही अनुमति दे, जिससे कि मध्यप्रदेश को भी कुछ राजस्व मिलना शुरू हो सके। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र सरकार के सामने इस मुद्दे को प्रमुखता से रखा है। कुछ दिनों पहले जब उन्होंने केंद्रीय कोल मंत्री से चर्चा की तो उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए जरूरी क्लियरेंस देने में तेजी लाने का आग्रह किया था।

सीधी में कोल माइन्स से हर वर्ष मिलेगा 799 करोड़ का राजस्व :

प्रदेश की सात कोल माइन्स की बिड के बाद ईएमआईएल माइन्स एंड मिनरल रिसोर्सेस प्रायवेट लिमिटेड को प्रदेश की सबसे बड़ी खदान मिली है। सीधी जिले में स्थित इस माइन्स का नाम बंधा है। यहां से प्रतिवर्ष 799 करोड़ 82 लाख रुपए का राजस्व मिलने का अनुमान जताया गया है। इसी तरह दूसरे नंबर में सिंगरौली जिले में स्थित धिरौली कोल माइन्स की बोली लगी है। इस माइन्स से खनन का अधिकार स्ट्राटाटेक मिनरल रिसोर्सेस प्रायवेट लिमिटेड को मिला है। इस माइन्स से प्रतिवर्ष 398.27 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की बात कही गई है। इसी तरह अर्टन कोल माइन्स जो कि अनूपपुर जिले में स्थित है। यहां खनन का अधिकार जेएसएम माइनिंग प्रायवेट लिमिटेड को मिला है। इस माइन्स से प्रतिवर्ष 124.27 करोड़ रुपए राजस्व मिलने का दावा किया गया है। इसी तरह उमरिया और शहडोल जिले में स्थित शाहपुर वेस्ट कोल माइन्स बिड में शारदा इनर्जी एंड मिनरल्स प्रायवेट लिमिटेड को खनन का अधिकार मिला है। यहां से भी 103.83 करोड़ रुपए का राजस्व प्रतिवर्ष मिलना अनुमानित है। इसी तरह प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में भी कोल मिला है। यहां गोटिटोरिया ईस्ट और गोटिटोरिया वेस्ट कोल माइन्स के लिए बोल्डर स्टोन मार्ट प्रायवेट लिमिटेड को खनन का अधिकार मिला है। यहां से 70.77 करोड़ रुपए का राजस्व प्रतिवर्ष मिलना तय है। इसी क्रम में उरतन नार्थ जिला अनूपपुर स्थित कोल माइन्स बिड के बाद जेएसएम माइनिंग प्रायवेट लिमिटेड को मिला है। यहां से प्रतिवर्ष 84.64 करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा, वहीं शाहपुरा ईस्ट जो कि उमरिया और शहडोल जिले की सीमा में स्थित है। यहां 142.51 करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा। इस तरह इन सातों कोल माइन्स से प्रतिवर्ष 1724 करोड़ 11 लाख रुपए का राजस्व मिलने की संभावना है।

कोल खनन में सरकारी क्षेत्र की कंपनियों का दबदबा, मिलेगी चुनौती :

प्रदेश में कोयले के भंडार भरपूर मात्रा में हैं। प्रदेश में कोयला खनन का कार्य भारत सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। इनमें एसीसीएल और डब्ल्यूसीएल शामिल हैं। प्रदेश में बिजली उत्पादन के लिए कोयले की आपूर्ति की जिम्मेदारी इन कंपनियों के कंधे पर ही है। प्राय: बिजली कंपनियों और कोल कंपनियों के बीच कोल के भुगतान और आपूर्ति को लेकर विवाद की स्थिति बनती रहती है। अब निजी क्षेत्र की भागीदारी बढऩे से सरकारी कंपनियों के दबदबे को चुनौती मिल सकती है। यदि रियायती दामों पर कोल निजी कंपनियां देंगी, तो मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के बिजली उत्पादन की लागत में कमी आएगी। इससे बिजली के दामों को नियंत्रित करने में भी मदद मिल सकेगी।

सातों कोल माइन्स से प्रतिवर्ष 1724 करोड़ 11 लाख रुपए का राजस्व मिलने की संभावना।

किस माइन से कितना राजस्व आएगा

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT