स्वास्तिक ग्रीन वैली
स्वास्तिक ग्रीन वैली Afsar Khan
मध्य प्रदेश

शहडोल: सावधान! जिंदगी भर की जमा पूंजी को चूना न लगा दे ग्रीन वैली

Author : Afsar Khan

राज एक्सप्रेस। सरकार बदलने के बाद राजस्व सहित अन्य कई महकमों को जैसे लकवा सा लग गया है, नजूल की भूमि पर बह रहे नाले को दफन कर उस पर सांई प्रभा स्वास्तिक ग्रीन वैली जैसी फर्मों के द्वारा कालोनी बनाने की शिकायत हुई और इस मामले में राजस्व की पूरी टीम डिप्टी कलेक्टर के साथ बीती 25 जुलाई को जांच पर पहुंची। सिंहपुर रोड, पोण्डा नाला के समीप बन रही कालोनी की शिकायत पर तमाम राजस्व अधिकारियों ने जांच की और शिकायत को सही पाया।

खुद डिप्टी कलेक्टर सुश्री पूजा तिवारी ने 29 जुलाई को तहसीलदार को अति आवश्यक पत्र जारी करते हुए, कथित लोगों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध करते हुए, अतिक्रमण हटाने हेतु आदेशित किया, लेकिन इस पूरी जांच और आगे की कार्यवाही को भ्रष्टाचार का दीमक लग गया। एक तरफ राजस्व अधिकारी जांच करते रहे, दूसरी तरफ कथित कालोनी की देख-रेख और स्वास्तिक ग्रीन वैली के कर्ता-धर्ता शंभू जयसिंघानी स्वास्तिक ग्रीन वैली के भू-खण्ड व भवनों की बिक्री का प्रचार करते रहें और लगातार उनके सौदे भी करते रहें।

क्रेताओं को शासन की इस कार्यवाही से पूरी तरह से अलग रखा गया, उन्हें इस बात का भान भी नहीं हुआ कि, जीवन भर की पूंजी जिस सपने के आशियाने के लिए लगा रहे हैं, उसमें रखी जा रही पहली ईंट ही धोखे की है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कथित कालोनाईजर तो भू-खण्ड और भवन बेंचकर किनारे हो जायेंगे और भविष्य में क्रेताओं को न्यायालय के चक्कर लगाने पड़ेंगे, या फिर जीवन भर की पूंजी से बना मकान अतिक्रमण में आकर जमींदोज कर दिया जायेगा।

अतिक्रमण हटाने के थे निर्देश :

29 अगस्त को डिप्टी कलेक्टर सुश्री पूजा तिवारी द्वारा तहसीलदार सोहागपुर को विभागीय पत्र क्रमांक 4060 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि मामले की शिकायत के बाद उसकी जांच मेरे द्वारा की गई, जांच उपरांत प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन क्रमांक 3904, दिनांक 25 जुलाई 2019 के अनुसार ऐताझर के ग्राम फतेहपुर एवं नरसरहा सीमा के मध्य स्थित नाला ग्राम फतेहपुर, खसरा नंबर 58 एवं खसरा नंबर 84 दोनों आराजी शासकीय आराजियां हैं, उक्त नाले के दोनों तरफ सत्य प्रकाश मिश्रा पिता दधिवल प्रसाद मिश्रा के स्वामित्व की आराजी है। श्री मिश्रा द्वारा पटवारी नक्शे में बने नाले का स्वरूप बदलकर नवीन सूखा नाले का स्वरूप दिया गया, जिमसें कुल 0.132 हेक्टेयर भूमि अतिक्रमित है, श्री मिश्रा को उक्त शासकीय नाले से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिये गये तथा आरआई द्वारा प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार स्थल निरीक्षण करने पर अतिक्रामक द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाया गया, न ही नाले को पूर्ववत स्वरूप दिया गया। सुश्री तिवारी डिप्टी कलेक्टर द्वारा उक्त शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाने हेतु धारा 248 के अंंतर्गत कार्यवाही किये जाने हेतु प्रस्तावित किया गया। सुश्री पूजा तिवारी डिप्टी कलेक्टर शहडोल द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन 3904 दिनांक 25 जुलाई 2019 की छायाप्रति संलग्न कर भेजी जा रही है, अत: मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के अधीन प्रकरण दर्ज कर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जाये।

कांग्रेस की साख भी हो रही धूल-धुरसित :

लगभग 2 महीने पहले जिला प्रशासन द्वारा की गई जांच और उसमें अतिक्रमण का होना प्रमाणित पाये जाने के बाद भी अभी तक इस संदर्भ में कोई कार्यवाही न होना, दूसरी तरफ कथित कालोनाईजर द्वारा भू-खण्ड/भवन का खुलकर प्रचार और सौदा करना जिला प्रशासन को ही कटघरे में खड़ा कर रहा है, प्रशासन द्वारा कराई गई जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक होने और उसके बाद प्रशासन का कार्यवाही की जगह चुप्पी साध लेना, जनचर्चा का विषय बन चुका है, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही 15 साल बाद भ्रष्टाचार समाप्त करने का वायदा कर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार की भी साख इस मामले के चलते धूल-धुरसित हो रही है।

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