ऑक्सीजन की व्यवस्था छोड़ खरीदे बेड
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मध्य प्रदेश

शहडोल : ऑक्सीजन की व्यवस्था छोड़ खरीदे बेड

Author : Afsar Khan

हाइलाइट्स :

  • डीएमएफ से कोविड-19 में बनाया जुगाड़

  • आग लगने के बाद कुआं ढूंढ रहे अधिकारी

  • ऑक्सीजन की कमी से कई की गई जान

शहडोल, मध्य प्रदेश। कोयले से मिलने वाली रॉयल्टी की राशि डिस्टिक मिनरल फंड (डीएमएफ) में जमा होती है, जो कि सीधे तौर पर प्रभावित और अप्रभावित ग्रामों और शहरों में खर्च करने के प्रावधान है। खनिज संसाधन विभाग ने केन्द्र के आदेश आने के बाद सभी जिलों में संचनालय से कोविड-19 की रोकथाम और बचाव के लिए जरूरी उपकरण के साथ संसाधन क्रय करने के लिए पत्र मार्च में ही जारी कर दिया था। 29 लाख 32 हजार रूपये की राशि डीएमएफ से स्वास्थ्य विभाग को मुहैया कराई गई थी। पूर्व में रोगी कल्याण समिति सहित डीएमएफ से लाखों रूपये के बेड और उपकरण खरीदने के बावजूद अधिकारियों ने ऑक्सीजन की व्यवस्था के लिए कोई पहल नहीं की। जबकि कोरोना के मरीजों को अगर सबसे ज्यादा किसी चीज की जरूरत होती है तो, पहला ऑक्सीजन और दूसरा वेंटीलेटर, लेकिन कमीशन के फेर में अधिकारियों ने कईयों की जान गवां दी।

बेड को दी प्राथमिकता :

डीएमएफ मद से मिली राशि से स्वास्थ्य विभाग ने 100 फ्लावर बेड, 20 इन्फ्रारेड नॉन कांटेक्ट थर्मल स्क्रेनर व 5 वेंटीलेटर 29 लाख 32 हजार रूपये में खरीदने का प्रावधान किया था, बेड और थर्मल स्क्रेनर तुरंत क्रय कर लिये गये, स्वीकृत 5 वेंटीलेटर में से 3 ही अभी उपलब्ध हो सके हैं, जो कि मेडिकल कॉलेज में इस्तेमाल में आ रहे हैं, वेंटीलेटर की सप्लाई न होने से दो वेंटीलेटर क्रय किया जाना अभी भी शेष है। जबकि मेडिकल कॉलेज में रोजाना मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

पहले भी मिले करोड़ों :

ऐसा नहीं है कि कोरोना काल से पहले स्वास्थ्य विभाग को डीएमएफ से उपकरण और मशीने खरीदने के लिए राशि नहीं मिली है, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को 3 करोड़ रूपये के आस-पास, सिविल सर्जन को 30 से 40 लाख रूपये पूर्व में मुहैया कराये गये थे, जिसमें भी बेड खरीदे गये थे। लाखों रूपये स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने केवल बेड खरीदने पर खर्च कर दिये, लेकिन ऑक्सीजन की व्यवस्था पर किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। डीएमएफ से क्रय किये गये कुछ उपकरण और मशीने ऐसी हैं जो कि बंद पड़ी हुई हैं।

मौतों के बाद जागे जिम्मेदार :

मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों की ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई मौतो के बाद प्रशासन के अधिकारियों की नींद खुली और उन्हें ऑक्सीजन की याद आने लगी। अगर शुरूआत में ही ऑक्सीजन की व्यवस्था पर ध्यान दिया जाता तो, शायद इतनी मौते नहीं होती, वहीं सोशल मीडिया पर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की किल्लत होने पर रोजाना वीडियो वॉयरल हो रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते प्रदेश सरकार की किरकिरी भी हो रही है कि कोरोना को लेकर शासन गंभीर नहीं है। कुल मिलाकर कहानी वहीं है कि आग लगने के बाद अधिकारी कुआं ढूंढ रहे हैं। जनप्रतिनिधियों के रवैये पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

इनका कहना है :

मेडिकल कॉलेज में 40 वेंटीलेटर उपलब्ध है, 70 सिलेण्डर गुजरात से भोपाल पहुंच चुके हैं, 50 और सिलेण्डर की व्यवस्था की जा रही है, दो एम्बुलेंस भी क्रय की जा रही है, जिसका पैसा जमा हो चुका है, दो और एम्बुलेंस आगे भी आनी है, कई सालों तक जिले को वेंटीलेटर, ऑक्सीजन और बेड की समस्या नहीं होगी, इसके पूरे इंतजाम कर दिये गये हैं।
डॉ. सतेन्द्र सिंह, कलेक्टर, शहडोल

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