करोड़ों की वन सम्पदा का सौदा, कटघरे में एसडीएफओ
करोड़ों की वन सम्पदा का सौदा, कटघरे में एसडीएफओ Raj Express
मध्य प्रदेश

शहडोल : करोड़ों की वन सम्पदा का सौदा, कटघरे में एसडीएफओ

Author : राज एक्सप्रेस

शहडोल, मध्य प्रदेश। वन वृत्त शहडोल अंतर्गत शहडोल जिले के पाली में पदस्थ तात्कालीन एसडीएफओ राहुल मिश्रा पर विभाग के भू-खण्ड, दीगर के साथ मिलकर बेचने के आरोप लगे हैं, जिसमें सोची समझी रणनीति के तहत पहले कब्जा, फिर शिकायत और फिर अतिक्रमणकारी के पक्ष में फैसला करवाने के आरोप हैं।

वन वृत्त शहडोल अंतर्गत उमरिया व शहडोल जिले में एक से डेढ़ दशक से पदस्थ रेंजर से एसडीएफओ तक का सफर तय करने वाले राहुल मिश्रा के द्वारा किये गये दर्जनों घोटाले परत-दर-परत सामने आ रहे हैं। उमरिया वन मंडल के पाली में पदस्थ उप वनमंडलाधिकारी व तत्कालीन एसडीएफओ राहुल मिश्रा ने जहां बिना निर्माण कार्यों के नाम पर करोड़ों रूपयों का विभाग और सरकार को चूना लगा दिया। वहीं पाली नगरपालिका के सुभाष वार्ड में खसरा क्रमांक-128, रकवा-0233 हेक्टेयर, खसरा क्रमांक-129, 450, खसरा क्रमांक-133, 202 कुल खसरा 03, रकवा-883 हेक्टेयर उपरोक्त तीनों खसरों जिस पर वर्ष 1952 से वन विभाग का अधिपत्य है, उक्त भू-खण्ड आर्थिक लाभ के फेर में बेच देने के आरोप सामने आये हैं।

ऐसे लगवाई वन सम्पदा पर सेंध :

राहुल मिश्रा पर लगे नये आरोपों पर यकीन करें तो, वर्ष 1952 से वन विभाग के अधिपत्य भूमि को वर्ष 1988 में 27 दिसम्बर को मालिक बन चुके सिद्धार्थ जैन ने लालमन सराफ को बिक्री कर दिया, तब तक वन विभाग के कुल 13 भवन और गोदाम निर्मित हो चुके थे, वर्ष 2008-09 में उप वनमंडलाधिकारी पाली का निवास भी बन चुका था, वर्ष 2010 में लालमन निवासी पाली का सामग्री निवास बना, वर्ष 2010 में लालमन के पुत्र राजेश सराफ में उपरोक्त जमीन पर दावा करते हुए व्यवहारवाद क्रमांक-42/1 सन् 2012 में कायम किया, उक्त व्यवहारवाद (पीटिशन) का जवाब उस समय के एसडीएफओ ए.के.तिवारी पाली ने 12 अप्रैल 2017 को दाखिल भी किया।

बाड़ी ही खा गई खेत :

एसडीएफओ ने विभाग की भूमि को बचाने के लिये, विभाग की तरफ से अपना दावा पेश तो किया, किंतु 08 मई 2017 को उप वनमंडलाधिकारी के पद पर आये राहुल मिश्रा ने माननीय न्यायालय द्वारा दिये गये कई सम्मन को दबाते हुए दूसरे पक्ष से हाथ मिलाकर वन विभाग की भूमि एवं निर्मित करोड़ों की सम्पदा का सौंदा कर लिया, लिहाजा न्यायालय को मजबूरन 28 दिसम्बर 2017 को अपना एक पक्षीय फैसला करते हुए वन विभाग विरूद्ध निर्णय करना पड़ा।

डीएफओ ने हटाया था पद से :

एसडीएफओ राहुल मिश्रा की कार्यशैली से नाराज न्यायालय ने अपने एक पक्षीय फैसले में कहा कि वन विभाग के जवाब दावा में दाखिल तथ्यों का समर्थन नहीं किया तथा कोई दस्तावेजी सबूत भी प्रस्तुत नहीं किया, इतना ही नहीं अपने विभाग के साथ धोखा करते हुए कथित अधिकारी ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से विभाग के विरूद्ध हुए एक पक्षीय निर्णय को छिपाये रखा, जिसके बाद वन मंडलाधिकारी आर.एस. सिकरवार ने मामले को गंभीरता से लेते कथित एसडीएफओ भार मुक्त करते हुए आर.एन. द्विवेदी एसडीएफओ को पाली उप वनमंडल का प्रभार दिलाते हुए एडीजे कोर्ट उमरिया में वन विभाग की ओर से अपील दायर कराई।

जांच में पाई गई करोड़ों की हेराफेरी :

विभाग को अंधेरे में रखकर वन विभाग के अधिपत्य पाली राजस्व की भूमि जिसका वर्तमान पंजीयन मूल 1700 रुपये वर्ग मीटर के आधार पर डेढ़ करोड़ का आंका गया, जांच में वन मंडलाधिकारी आर.एस. सिकरवार ने वन भूमि के अधिपत्य भूमि पर निर्मित कार्यालय, आवास, गोदाम की लागत 39 लाख रुपये, जो वर्ष 1952-53 से वर्ष 2013-14 तक बनते रहे, यदि अपील में वन विभाग केस हारता है तो 01 करोड़ 90 लाख की जिम्मेदार तत्कालीन कथित उप वनमंडलाधिकारी की तय की है।

तो ईडी से भी ऊंचा है कद :

लगातार दो दशकों से एक ही वन वृत्त के अंतर्गत शासकीय सेवा के दौरान जंगल में हरियाली की आड़ में भ्रष्टाचार की कहानी गढ़ रहे कथित एसडीएफओ की अकूत सम्पत्ति का अंदाजा ईडी भी नहीं लगा पा रही है, आरोप है की शहर के नामी-गिरामी होटलों पर एसडीएफओ की काली कमाई लगी हुई है, इनके कार्यकाल के दौरान जिन फर्मों के नाम पर भुगतान हुए हैं, उनमें सांईनाथ जैसी लगभग फर्में हैं, जिसमें श्री मिश्रा पर साझेदारी के आरोप लगे हैं।

जांच अधिकारियों को उलझाने की कवायत :

इको टूरिज्म विभाग द्वारा पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भेजी गई, लाखों की राशि बिना निर्माण कार्य के ही बंदरबांट करने के आरोप में निलंबित अधिकारी के अन्य कई मामलो को उजागर करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के विरूद्ध षडय़ंत्र कर डेमेज करने का प्रयास किया जा रहा है, सूत्रों की मानें तो प्रायोजित तरीके से कथित अधिकारी मीडिया समेत अन्य हथकण्डों के माध्यम से जांच कर्ता अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं, हालांकि लगातार वन मंडलाधिकारी उमरिया द्वारा ताबड़-तोड़ कार्यवाही करते हुए कथित एसडीएफओ के भ्रष्टाचारों की पोल खोल दी है।

इनका कहना है :

वन विभाग के अधिपत्य में राजस्व की भूमि का केश विभाग उस समय के अधिकारी द्वारा दावा पेश न करने की स्थिति में एकतरफा निर्णय से हार गया, जिम्मेदार एसडीओ पर जवाब देही तय कर आगे की कार्यवाही की जा रही है।
आर. एस. शिकरवार, वन मण्डल अधिकारी, उमरिया
मामला आपने संज्ञान में लाया है, निश्चित रूप से कार्यवाही की जायेगी।
राजेश श्रीवास्वत, पीसीसीएफ, भोपाल

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