सरपंच पुत्र को लाभ दिलाने में जुटा विभाग
सरपंच पुत्र को लाभ दिलाने में जुटा विभाग राज एक्सप्रेस, संवाददाता
मध्य प्रदेश

Shahdol : सरपंच पुत्र को लाभ दिलाने में जुटा विभाग

राज एक्सप्रेस

ग्राम पंचायतों में सरकारी पैसे के गबन को रोकने के लिए जितने प्रयास हुए, उससे कहीं ज्यादा पंचायत के जिम्मेदारों ने आर्थिक गड़बड़ी की, पंचायतों में फर्जीवाड़ा इस स्तर तक हुआ कि सीमेंट, रेत, सरिया से लेकर अन्य सामग्री खुद पंचायत के सरपंच के रिश्तेदारों ने ही की और बिल लगाने के फेर में सरपंच सहित अन्य जिम्मेदारों ने ग्राम पंचायत में फर्जी फर्म तैयार कर खूब मलाई छानी।

शहडोल, मध्यप्रदेश। जिले की जनपदों की ग्राम पंचायतों में सरपंच-सचिव व रोजगार सहायक रिश्तेदारों व संबंधियों के नाम फर्म बनाकर ग्राम पंचायत के विकास के लिए रूपयों की होली खेल रहे हैं। वर्ष 2015 से पहले पंच परमेश्वर एवं मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायत क्षेत्र में किए जाने वाले निर्माण का भुगतान सरपंच-सचिव चैक के माध्यम से सप्लायर फर्म को किया करते थे। सरपंच-सचिव ने इस प्रावधान का फायदा उठाते हुए पुत्र, पति, पत्नी व अन्य संबंधियों के नाम फर्में बनाकर सरकारी भुगतान हड़पना शुरू किया था। लेकिन यह मामला उजागर होने के बाद राजय शासन ने प्रावधान में बदलाव कर दिया। जिसके तहत सरपंच, सचिव एवं रोजगार सहायक के रिश्तेदार व पति, पत्नी, पुत्र के नाम की सप्लायर फर्म को भुगतान नहीं हो सकता, इसके लिए राज्य शासन ने जनपद सीईओ को निर्देश भी जारी किए थे। लेकिन अफसरशाही के चलते शासन के नियम को जिले की गोहपारू जनपद में ताक पर रखकर बरहा ग्राम पंचायत के सरपंच पुत्र को 18 लाख का भुगतान कर दिया गया।

अंकुश लगाने की नहीं मंशा :

गोहपारू जनपद की ग्राम पंचायत बरहा में सरपंच ने अपने पुत्र के नाम फर्मे बनाकर पंचायत की राशि से अपना विकास कर लिया। बरहा सरपंच के पुत्र की फर्म को पंचायत द्वारा लाखों का भुगतान किया गया, मजे की बात तो यह है कि उक्त फर्म ने दो-तीन ही ग्राम पंचायत में सामग्री सप्लाई के बिल लगाये, जिसमें बरहा में लगभग एक सैकड़ा बिल लगा दिये गये और इनका भुगतान समय से होता रहा है, बरहा पंचायत में महिला सरपंच ने अपने पुत्र को फर्जी फर्म की आड़ में लाखों के भुगतान करने की खबर जनपद सहित जिले में बैठे जिम्मेदारों को भी है, लेकिन आज तक नियम विरूद्ध हो रहे कार्य पर जिम्मेदारों ने अंकुश लगाने की जरूरत नही समझी।

अस्तित्व में नहीं है फर्म :

जीएसटी लागू होने से पहले दावे किए जा रहे थे कि पंचायतों के यह फर्जीवाड़े जीएसटी लागू होने के बाद खत्म हो जाएंगे, लेकिन यह सिर्फ भ्रम साबित हुआ। जीएसटी के बाद यह फर्जीवाड़े बंद नहीं हुए बल्कि सुरक्षात्मक ठगी हो गई है। बरहा पंचायत के सरपंच ने पुत्र के नाम से जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करा कर ऐसी फर्जी फर्म जिसका कोई अस्तित्व नहीं उसने पंचायत में मनमाने दामों में सप्लाई कर सरकार को जमकर चूना लगाया। मजे बात तो यह है कि इनके इस पूरे कारनामें में पंचायत के अन्य जिम्मेदारों ने भी खुलकर सहयोग किया। जानकारी होने के बाद भी सचिव सहित रोजगार सहायक ने कभी इसके विरूद्ध आवाज नहीं उठाई।

अधिनियम की उड़ा रहे धज्जियां :

पंचायत राज अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव, पंच और उनके रिश्तेदार किसी तरह का आर्थिक लाभ ग्राम पंचायत से नहीं ले सकते, लेकिन इन नियमो को ठेंगा दिखाते हुये बरहा ग्राम पंचायत में सरपंच पुत्र की फर्म के नाम से लाखों रुपये निकाले गये और पंचायत राज अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई। यहां की पंचायत के जिम्मेदारों ने क्रय नियमों को भी धता बताते हुए सरपंच पुत्र को खुश करने के फेर में सारे नियम-कायदों को तिलांजलि दे दी। चर्चा है कि अगर सरपंच पुत्र के फर्म के खरीदी-बिक्री की जांच हो जाये तो, चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे।

इनका कहना है :

जब इस संबंध में जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया तो, उन्होंने हमेशा की तरह फोन उठाना जरूरी नहीं समझा।

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