एचओडी बोले, "अस्पताल नहीं देता इनप्लांट और दवाइयां!"
एचओडी बोले, "अस्पताल नहीं देता इनप्लांट और दवाइयां!" राज एक्सप्रेस, संवाददाता
मध्य प्रदेश

Shahdol : एचओडी बोले, "अस्पताल नहीं देता इनप्लांट और दवाइयां!"

राज एक्सप्रेस

शहडोल, मध्यप्रदेश। कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय प्रबंधन की लापरवाही एवं गरीब आदिवासी मरीजों को दवा और हड्डी के ऑपरेशन में प्रयुक्त होने वाले इनप्लांट न देने के मामले में आरोप लगने के बाद एचओडी हड्डी विभाग डॉक्टर राजेश तेम्भुणिकर के सब्र का बांध टूट गया, उन्होंने कहा कि हमारे ऊपर आरोप लगाने से कोई फायदा नहीं है, अस्पताल प्रबंधन द्वारा हमें कहने के बाद भी दवाइयां और इनप्लांट्स नहीं दिया गया, इसमें हम क्या करें समझ नहीं आता, लिहाजा मरीजों को मजबूरन कर्ज लेकर सरकारी अस्पताल में दवाई करवाना पड़ रहा है।

सिविल सर्जन की फूल रही सांसे :

सरकारी मापदंडों के अनुरूप अस्पताल में होने वाले सभी इलाजों के लिए दवाइयां तथा प्रयुक्त होने वाले साधन-संसाधन अस्पताल एवं सरकारी व्यवस्था के अनुरूप होंगे, किंतु दवाइयों को खुर्द-बुर्द करने के फेर में अस्पताल के मुखिया ने सरकार की मंशा और अस्पताल की व्यवस्था को तार-तार कर दिया है, जिसके बाद मामला मंत्री और अधिकारियों तक पहुंचने के बाद सिविल सर्जन डॉक्टर जी.एस.परिहार की सांसे फूलने लगी है और अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए सिविल सर्जन आरोपों का मुंह मोड़ते हुए मेडिकल कॉलेज के तरफ धारा परिवर्तित कर दी है।

गूंज रही मरीजों की आवाज :

बीते कई महीनों से जिला चिकित्सालय में दवाइयों और ऑपरेशन के लिए आवश्यक इन प्लांट के अभाव में गरीब आदिवासी मजदूरों की चीत्कार गूंज रही है, जिसके बाद गरीब आदिवासी मरीज किसी तरह संपत्ति बेचकर हड्डी के ऑपरेशन कराने के लिए और दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर हो रहे थे। यहां तक की मरीज इलाज के आने के साथ ही इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाइयों के लिए राशन बेचकर दवाइयां और ऑपरेशन के लिए इन प्लांट खरीदने पर मजबूर हो रहे थे।

सुस्त सीएस ने महीनों से नहीं ली सुध :

गौरतलब है कि सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए ज्यादातर गरीब आदिवासी मरीज ही उपचार के लिए पहुंचते हैं साथ ही सरकार द्वारा उपचार के लिए दिये जाने वाले बजट व शासकीय स्कीम किस तरीके से जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर जी.एस. परिहार द्वारा खुर्द-बुर्द किया जा रहा है, जिसका जीता-जागता उदाहरण बीते दिवस ऑपरेशन के नाम पर हजारों रुपए वसूलने के मामले में बैगा आदिवासी से मिलकर लगाया जा सकता है।

कब तक अधिकारियों की आंखों में धूल :

गंभीर मामलों में वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह करने वाले सिविल सर्जन और कब तक झूठ का नकाब लगाकर अपने आप को सही सिद्ध कर पाते हैं, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के राजनीतिक जनप्रतिनिधियों में सिविल सर्जन के रवैया पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ऐसे सिविल सर्जन को हटाया जाना चाहिए, जिनके करण अस्पताल की व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग गया हैं। सांसद हिमाद्री सिंह ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन के इस रवैया से प्रदेश एवं केंद्र सरकार की साख पर भी बट्टा लग रहा है, सरकार करोड़ों रुपए स्वास्थ्य व्यवस्था में खर्च कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी उपयोगिता सिद्ध ना होना सरकार के साख पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है।

चंद लोगों का सहारा शासकीय राशि का वारा न्यारा :

चर्चा का विषय यह है कि सिविल सर्जन डॉ. जीएस परिहार संघ के कुछ लोगों का सहारा लेकर कथा स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों को नीला-पीला चश्मा पहना कर शासकीय खजाने का सौदा कर रहे हैं , जिसकी यदि जांच कराई जाए तो, लाखों का भ्रष्टाचार निकल सकता है , कार्यवाही का भनक लगते ही सिविल सर्जन ऊपरी दोस्त बता कर जिला संभाग के अधिकारियों को दबाने की कोशिश करते रहते हैं, पूर्व कलेक्टर का स्थानांतरण होने के बाद कथित सिविल सर्जन की शक्ति आधी हो चुकी है, बावजूद इसके भी इनके निरंकुश प्रशासन पर कब तक पूर्णता अंकुश लगेगा, यह आने वाला समय ही तय करेगा।

इनका कहना है :

हम पर आरोप लगाने से क्या मिलेगा, सिविल सर्जन हमें दवाइयां और इन प्लांट उपलब्ध नहीं कराते, बल्कि ऊपर से हम पर अस्पताल में काम करने का दबाव भी बनाया जाता है।
डॉ. राजेश तेम्भुणिकर, एचओडी हड्डी रोग, शहडोल
धीरे-धीरे सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त होंगी, शासकीय सेवाओं और मरीजों के हित को प्रभावित करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
राजीव शर्मा, आयुक्त, संभाग शहडोल

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