टूरिस्ट परमिट लेकर दौड़ रही अंतर्राज्जीय बसें
टूरिस्ट परमिट लेकर दौड़ रही अंतर्राज्जीय बसें Raj Express
मध्य प्रदेश

शहडोल : टूरिस्ट परमिट लेकर दौड़ रही अंतर्राज्जीय बसें

Author : Afsar Khan

हाइलाइट्स :

  • ऑनलाईन टिकट बुकिंग कर हो रही यात्रा।

  • छत्तीसगढ़ के बस मालिकों के आगे मध्यप्रदेश के नौकरशाह नतमस्तक।

  • शाम ढलते ही प्रदेश में प्रवेश करती हैं दो दर्जन यात्री बसें।

  • कटघरे में संभाग के तीनों जिलों की पुलिस और परिवहन अधिकारी।

शहडोल, मध्य प्रदेश। छत्तीसगढ़ के दर्जन भर बस मालिक संभाग की सीमा से होकर टूरिस्ट बसें उत्तरप्रदेश व अन्य प्रांतों में भेज रहे हैं। कोरोना काल में टूरिज्म पूरी तरह ठप्प है, लेकिन इन्हें टूर के परमिट मिल रहे हैं और तो और बस मालिकों ने नौकरशाहों को मुट्ठी में लेकर ऑनलाईन एक-एक टिकट बुक कर रहे हैं और दिखावा टूरिज्म परमिट का है।

प्रतिदिन शाम होते ही संभाग के अनूपपुर जिले में छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे चौकियों पर छग के विभिन्न जिलों से यात्री बसें दस्तक देती हैं, यही स्थिति रीवा-चाकघाट बार्डर की भी है, जहां से उत्तरप्रदेश से आ रही बसें अंधेरे में पहुंचती हैं और अगले तीन से चार घंटो में प्रदेश के शहडोल-अनूपपुर-उमरिया, रीवा, सीधी, सतना जिलों से होती हुई गंतव्य को चली जाती है। इन बस मालिकों ने अपने-अपने जिले में परिवहन विभाग के आशीर्वाद से टूरिस्ट परमिट लिया हुआ होता है, यह अलग बात है कि कोरोना काल में 22 मार्च से लेकर अब तक लगभग टूरिज्म ठप्प पड़ा है, यही नहीं बसें जिन सवारियों को ढोती हैं, इसके लिए उन्होंने ऑन लाईन बुकिंग की सुविधा दी हुई है। छत्तीसगढ़ के परिवहन और पुलिस विभाग की खबर नहीं है, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हर समय चौकस व चौकन्नी रहने वाली मध्यप्रदेश पुलिस यहां का यातायात अमला और परिवहन विभाग इस बात से अंजान हो।

यह हैं टूरिस्ट परमिट के कायदे :

परिवहन विभाग के द्वारा दर्जन भर बस मालिकों की 2 दर्जन से अधिक बसों जिन्हें स्टेज कैरिज के नाम पर टूरिस्ट परमिट दिया गया है, उनसे इस संदर्भ में स्थानीय परिवहन विभाग व जिला प्रशासन को टूर पर जा रहे समस्त यात्रियों की सूची, आधार कार्ड लेना चाहिए। सूची उक्त कार्यालयों में जमा कराने की जिम्मेदारी बस मालिक की होती है। यात्री बस बीच के रास्ते से न तो भाड़े पर सवारी बैठा सकती है और न ही रास्ते की सवारी शुरूआत से बैठाई जा सकती है, यही नहीं जिन यात्रियों को टूर पर ले जाया जाता है, उन्हें ही वापस लाना चाहिए।

यह कर रहे बस मालिक :

छत्तीसगढ़ के दुर्ग के मनीष जैन की मनीष ट्रेवल्स दुर्ग से इलाहाबाद, नंद कुमार जैन की नरेश ट्रेवल्स रायपुर से इलाहाबाद, रायपुर के अनवर भाई की मैट्रो स्टार ट्रेवल्स की तीन गाडिय़ा रायपुर से आजमगढ़, इलाहाबाद और बनारस, रायपुर के ही शिवरतन प्रसाद गुप्ता की शिवनाथ ट्रेवल्स रायपुर से इलाहाबाद तथा अजय सिंह की महिन्द्रा ट्रेवल्स रायपुर से लखनऊ के लिए दौड़ाई जा रही है, इसी तरह बिलासपुर से पुष्पराज बस सर्विस, रविराज बस सर्विस, राजधानी व रितिका बस सर्विस की बसें टूरिस्ट परमिट पर दौड़ रही है, मजे की बात तो यह है कि इनमें से लगभग मालिकों ने टिकट बुकिंग के लिए अपने कार्यालयों के अलावा बीच रास्ते में पडऩे वाले स्थानों में टिकट बुकिंग के साथ ही ऑन लाईन बुकिंग सेंटर भी खोले हुए हैं, यात्री चाहे तो, गूगल पर बस सर्विस का नाम सर्च कर रेलवे की तरह इनकी भी टिकट बुक कर यात्रा कर सकता है, ऐसी स्थिति में टूरिस्ट परमिट जैसी बातें खुद-ब-खुद दिखावा साबित हो रही हैं।

कटघरे में परिवहन व पुलिस अमला :

प्रतिदिन शहडोल सहित अनूपपुर व अन्य पड़ोसी जिलों से करीब 2 दर्जन से अधिक यात्री बसें इसी तरह के दिखावे के परमिट को लेकर दौड़ रही हैं, एनएच-43 सहित अन्य प्रमुख मार्गाे पर इन जिलों के परिवहन अधिकारी व उनके अमले सहित स्थानीय थाने, यातायात पुलिस के जवान तैनात रहते हैं, लेकिन बीते दो से तीन माहों से चले रहे इस खेल पर किसी की नजर न पड़ना आश्चर्य है, यही नहीं सवाल यह भी उठता है कि क्या कभी इन जिम्मेदारों ने यहां से अंतर्राज्जीय क्षेत्र में दौड़ रही बसों के परमिट आदि की जांच की जेहमत तक नहीं उठाई या फिर गांधी के फेर में सबने आंखे मूंद लीं।

दुर्घटना पर तय हो जिम्मेदारी :

टूरिज्म परमिट पर ऑन लाईन एक-एक टिकट बुक कर दौड़ने वाली इन यात्री बसों की यदि सैकड़ों किलोमीटर यात्रा के दौरान कहीं दुर्घटना हो जाती है तो, उसकी जिम्मेदारी किस जिले का यातायात या परिवहन अधिकारी लेगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जब परमिट व टिकट ही मेल नहीं खा रहे तो, बीमा कंपनी बस मालिकों के इस झूठ में होने वाले नुकसान की भरपाई क्यों करेगी।

चेक पोस्ट पर सौदेबाजी कर दौड़ रही बसें :

यातायात और परिवहन विभाग के अलावा मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश-उत्तरप्रदेश की सीमाओं पर परिवहन विभाग की चेक पोस्ट बनी हुई है, एक बार परिवहन और यातायात विभाग के जिला कार्यालयों के जिम्मेदार भले ही आधी रात को दौड़ रही बसों पर नजर न डाल पायें, लेकिन चौकियों पर बसों व उनके परमिट की जांच के लिए 24 घंटे तैनात चौकी प्रभारी और उनका स्टॉफ खुलेआम इस मामले में तथाकथित बस मालिकों से सौदेबाजी कर रहा है।

इनका कहना है :

इस संदर्भ में शिकायतें मिली है, हमने विभाग को चौकी लगाने और चौकी पर जांच कड़ी करवाने के लिए पत्र भी लिखा है, फिर भी हम स्थानीय तौर पर बसों की जांच करवाते हैं।
आशुतोष भदौरिया, परिवहन अधिकारी, शहडोल
ऐसी जानकारी तो नहीं है, लेकिन हम आज ही बसों की जांच के लिए आवश्यक कदम उठाते हैं।
रामसिया चिकवा, परिवहन अधिकारी, अनूपपुर
हम यातायात अधिकारी व थानों के माध्यम से जल्द ही बसों की जांच करवाते हैं।
एम.एल. सोलंकी, पुलिस अधीक्षक, अनूपपुर
इस मामले में परिवहन विभाग को सीधे अधिकार हैं, फिर भी मैं यातायात डीएसपी और कलेक्टर से चर्चा कर बसों की जांच करवाता हूं।
सतेन्द्र शुक्ला, पुलिस अधीक्षक, शहडोल
इस तरह की बसों के संचालन की जांच कराई जायेगी, यदि ऐसा है तो, इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही भी होगी।
नरेश पाल, कमिश्नर, शहडोल

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