हाइलाइट्स :
सड़क पर दुर्घटनाओं का कारण बनते कैप्सूल।
पावर प्लांट सहित सीमेंट फैक्ट्री पर होनी चाहिए कार्यवाही।
शहडोल, मध्यप्रदेश। संभाग के अनूपपुर, उमरिया जिले से लगातार हो रही दुर्घटना में रीवा रोड छुईया घाटी में ओवरलोड बल्कर बिगड़ा खड़ा था। जिससे रोड में जाम की स्थिति बनी, जिस वजह से बस चालक ने रोड से नीचे उतार कर नहर के रास्ते से बस को निकालना चाहा, लेकिन बस दुर्घटना हो गयी। जिसमें सवार 52 यात्री की मृत्यु हो गई, लेकिन हादसे का केन्द्र रहा ओवरलोड कैप्सूल को लेकर अभी तक कोई विशेष कार्यवाही नहीं की गई है।
पॉवर प्लाटों से निकलने वाले ओवरलोड कैप्सूलों को दलालों एवं बलकर मालिकों द्वारा राखड़ देने व लेने वाली फैक्ट्रियों पर कार्यवाही बड़ी दुर्घटनाओं के बाद भी सुनिश्चित नहीं हो पाती, जबकि उक्त सभी लोगों पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। जिससे भविष्य में बल्कर से होने वाली दुर्घटनाओ से बचा जा सके, साथ ही पावर प्लांटों पर शासन-प्रशासन का डर बना रहे। शासन-प्रशासन को इस पूरे घटनाक्रम के आधार को देखते हुए ओवरलोड का खेल-खेल रहे प्लांट के प्रबंधन चाहे वह पावर प्लांट हो या सीमेंट प्लांट इन सभी के प्रबंधन पर भी सत प्रतिशत कार्यवाही होनी चाहिए।
कैप्सूल हादसे का कारण :
घटना के बाद अधिकारियों पर होने वाली कार्यवाही क्या पीड़ित परिवारों के घाव भरने के लिए काफी है, संभाग में कैप्सूल हादसे के बड़े कारक हैं, जबकि जहां एक ओर सड़क पर दौड़ रहे यह बलकर सड़कों के लिए काल हैं, वहीं दूसरी ओर सड़क के परखच्चे उड़ जाने से आये दिन होने वाले हादसे को भी प्रशासन नहीं रोक पा रहा है, जबकि जिन बल्कर को पावर प्लांट द्वारा ओवरलोड राखड़ दी जाती है, हादसे का मुख्य जिम्मेदार उन्हें बनाना चाहिए, आये दिन होने वाली दुर्घटना में चर्चा है कि बल्कर के ओव्हर लोड होने की वजह से ही सड़क के परखच्चे उड़ जाते हैं, साथ ही इसी वजह से घटना होती है।
इच्छाशक्ति में है कमी :
ओवरलोड बल्कर लगभग रीवा रेंज में ही पहुंचते हैं, सीमेंट फैक्ट्री के प्रबंधको द्वारा लगातार पावर प्लांट से ओवरलोड बलकरों से राखड़ ली जा रही है, प्रशासन अगर चाहे तो सीमेंट फैक्ट्री के दस्तावेजों के साथ ही पॉवर प्लाटों से बल्करों के दस्तावेजों के साथ ही उनमें दिये गये राखड़ की वजन पता लगाकर तीनों पर कार्यवाही कर सकता है, साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों में पड़ने वाले टोल प्लाजा में लगे तौलकाट से अगर इनका वजन होता है, उससे भी स्थिति स्पष्ट हो सकती है, लेकिन प्रशासन में बैठे जिम्मेदारों ने आज तक इस ओर संभवत: ध्यान देना मुनासिब ही नहीं समझा या इच्छा शक्ति की कमी की वजह से आज तक कार्यवाही प्रस्तावित नहीं हो सकी।
बर्बाद हो रही जिंदगियां :
कंपनी के प्रबंधक ओवरलोड करवाकर माल मंगवाने के चक्कर में सैकड़ों जिंदगियों को बर्बाद हो रही है, लेकिन इन बड़े लोगों पर कार्यवाही न होने के कारण बार-बार मनमानी करते रहते हैं और घटनाएं घटती रहती है, कंपनी के प्रबंधक सभी पावर प्लांट एरिया में अपने दलाल सक्रिय करके ज्यादा राखड़ कैप्सूलो में लोड करवाते हैं। जिसके लिए एक बड़ी रकम लोड करने वाली कंपनी को प्रदान करते हैं, सीधी बस दुर्घटना जैसे बड़े हादसे को न्योता आज भी सीमेंट फैक्ट्री द्वारा दिया जा रहा है। लोक संपत्ति निवारण अधिनियम के तहत उक्त कंपनियों सहित पावर प्लाटों पर जब तक कार्यवाही की गाज नहीं गिरेगी तब तक सड़क पर मौत का ताण्डव करने वाले ओव्हर लोड बल्करों पर अंकुश नहीं लग पायेगा।
दलाल सालों से हैं सक्रिय :
ओव्हरलोड राखड़ भरवाने के लिए चयनित किए गए कुछ चुनिंदा नामों पर चर्चा की जाए तो कई वर्षों से अनूपपुर, शहडोल, पाली, उमरिया क्षेत्रों में बैठकर पावर प्रोजेक्ट कंपनियों से संबंध स्थापित कर ओवरलोड का गेम खेलने वाले सीमेंट फैक्ट्री कंपनी के दलाल रविंद्र प्रमुख चिन्हित दलालों में से सबसे ज्यादा सक्रिय है, इसके अलावा जय किशन एवं प्रकाश ओवरलोड राखड़ भेजने वालों में सबसे ऊपर के नाम हैं, चर्चा है कि कथित दलालों के फोन नंबर की अगर जांच की जाये तो, राखड़ के मैनेजमेंट के मामले में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं, जिसमें खादी-खाकी के नाम भी सामने आ सकते हैं।
इनका कहना है :
अभी मैं व्यस्त हूं, मैं आप से बाद में बात करता हूं।रविंद्र गोस्वामी, प्रबंधक, एमपी बिरला सीमेंट फैक्ट्री
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